बेगूसराय : कवि सम्मेलन रहा अधूरा और रही कविता अधूरी।मानव को बाँटे मानव ये कैसी माया नगरी। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 अगस्त 2018

बेगूसराय : कवि सम्मेलन रहा अधूरा और रही कविता अधूरी।मानव को बाँटे मानव ये कैसी माया नगरी।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) अभिव्यक्ति  की स्वतंत्रता पर हमले हुए गणेश दत्त कॉलेज बेगूसराय के परीक्षा भवन में । आज गणेश दत्त महाविद्यालय छात्र संघ के द्वारा  कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया ।  इस मौके पर  बेगूसराय के  एएसपी (अभियान)  अमृतेश कुमार,  कवि सच्चिदानंद पाठक  ,अशांत भोला मुकुल लाल ,दीनानाथ सुमित्र राहुल शिवाय प्रवीण प्रियदर्शी , राम कृष्ण,  रंजना सिंह, कैलाश झा किंकर एवं कई छात्र युवा कवि सहित  कॉलेज के प्रिंसिपल , प्राध्यापक  एवं  सैकड़ों की संख्या में उपस्थित  छात्रगण  मौजूद थे कार्यक्रम ने जब गति पकड़ ली और  कविता पाठ के लिए  रामकृष्ण को बुलाया गया,  तो  वहां पर उपस्थित  तथाकथित  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता  जोर-जोर से चिल्लाने लगे वामपंथी  को बुला लाया है  इसको कविता नहीं पढ़ने देंगे। यह राम कृष्ण सही आदमी नहीं है। रामकृष्ण जी मंच से उतर गए कार्यक्रम रुक गया।  लेकिन एएसपी अमृतेश जी अपनी सूझबूझ से फिर से कार्यक्रम को शुरू करवाया और अपने उपस्थिति को अमलीजामा भी  पहनाया । तत्पश्चात जब  करीब 15 कवि के बाद बारी कविता पाठ के लिये ललन लालित्य को माइक पर आमंत्रित किया गया।और जब लालित्य माइक की ओर बढ़े तो फिर से वही आवाज आई ।कि देखो फिर एक बामपंथी मंच पर जा रहा है। जब  लालन लालित्य ने माइक थामी  तो साफ साफ शब्दों में कहा संचालक महोदय, सही कदम के नाम पर सही कार्यक्रम का खून किया जा रहा है, अतिथि को बेइज्जत किया जा रहा है ।अगर राम कृष्ण जी को कविता पढ़ने से रोका जा रहा है तो हम भी कविता नहीं पढेंगें। इसलिए पहले रामकृष्ण जी को कविता पढ़वाया जाय।तब जाकर हम कविता पढ़ेंगे। इतना सुनते ही दो दर्जन पुलिस ,जिसको  कॉलेज के प्राचार्य के  निवेदन पर  बुलाया गया था जिस के हवाले अमृतेश जी कार्यक्रम छोड़कर आवश्यक काम से गए थे उस प्रशासनिक व्यवस्था  की धज्जी उड़ाते हुए तथाकथित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र संघ के नेता  ने हंगामा शुरू कर दिया,माहौल को गाली गलोच करके खराब कर दिया,वहां पर बैठे लोग सकते में आ गए,आनन फानन में मंचासीन अतिथि भी  समय रहते निकल जाना ही उचित समझा।प्राचार्य एवं प्राध्यापक लगातार लोगों को आग्रह करते रहे लेकिन किसी की एक ना चली,एक अपूर्ण कवि सम्मेलन की खतरनाक समाप्ति हुई।

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