पटना (आर्यावर्त डेस्क) : पटना शहर में है बिंद टोली. दीघा बिंद टोली से पुनर्वासित कर कुर्जी दियारा क्षेत्र में रहते हैं.बिहार सरकार के द्वारा बिंद टोली के साढ़े तीन सौ और अन्य डेढ़ परिवारों को यानी पांच परिवारों को तीन साल के बाद भी बासगीत पर्चा निर्गत नहीं किया है.इससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है.
पटना शहर में रहते हैं बिंद टोली के लोग
कुर्जी दियारा क्षेत्र में तीन साल से रहते हैं गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग.खेतिहर भूमिहीन हैं.इसके कारण बटाईदारी खेती करते हैं. गंगा किनारे सड़क बनने से खेती करना मुश्किल हो रहा है.यहां के लोगों का कहना है कि तीन साल में एक बार गंगा नदी का विकराल रूप धारण करने से काफी नुकसान हुआ.उसका मुआवजा भी नहीं मिला.
दस दिनों से सड़क संपर्क भंग
गंगा नदी का पानी बढ़ने से शहर से सम्पर्क टूट गयी है.निजी नाव से आवाजाही करने को लोग बाध्य हैं.सरकारी राहत नगण्य है.खेतों में पानी भर जाने से खेती कार्य बाधित है.सरकारी राहत पाने को आंख तरसती है.
गंगा नदी में उफान आने के बीडीओ व सीओ जरूर पहुंचे
बिंद टोली के लोगों की कुशलक्षेम जानने पटना सदर के बीडीओ व सीओ.बिंद टोली का जायजा लिए. जिन पांच लोगों के पास नाव है उनसे मिले. कहा कि एक नाव पर दो व्यक्ति नाविक का कार्य करेंगे.इन दोनों को केवल साढ़े तीन सौ रू. दिया जाएगा.दोनों आपस में बांट लेंगे.मनरेगा की मजदूरी 177 रू.से कम. सुबह 6 से शाम 6 बजे तक नाव चलाना है.मशीनयुक्त नाव चलाने के लिए केवल 5 लीटर डीजल दिया जाएगा.
एक सिरे से खारिज कर दिया
यहां के नाविकों का कहना है कि ढाई से तीन लाख रू.का नाव है.नाव की मजदूरी नहीं दी जा रही है.मजदूरी भी कम है.चार महीने तक नाव चलाने के बाद मजदूरी भुगतान होता है.लोग सुबह से लेकर रात नौ बजे तक आवाजाही करते हैं.इस समय निजी नाव परिचालन जारी है.प्रति व्यक्ति पांच रू.वसूला जा रहा है.
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