बिहार की ही तरह भूमि समस्याएं है दक्षिण भारत में: मंजू डुंगडुंग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 16 सितंबर 2018

बिहार की ही तरह भूमि समस्याएं है दक्षिण भारत में: मंजू डुंगडुंग

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पटना,16 सितम्बर। इन दिनों महिला भूमि संवाद यात्रा जारी है.इस संवाद यात्रा में एकता महिला मंच,बिहार की संयोजिका मंजू डुंगडुंग भी शामिल थीं.केरल, तमिलनाडु, कनार्टक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा की यात्रा करके बिहार आ गई. पटना के प्रगति भवन में आयोजित जन सत्याग्रह 2018 की तैयारी बैठक में एकता परिषद,बिहार के सत्याग्रहियों को संबोधित करते महिला मंच,बिहार की संयोजिका मंजू डुंगडुंग ने कहा कि महिलाओं के किसान एवं भूमि अधिकारों संबंधित समस्याओं को राष्ट्रीय क्षितिज पर लाने का प्रयास है.भारत में हमलोग यानी 75 प्रतिशत महिलाएं कृषि की गतिविधियों में हिस्सेदार हैं.यह उल्लेखनीय है कि भारत में कृषि महिलाओं की सहभागिता के बिना असंभव है.महिलाएं औसतन पुरूषों से लगभग 1500 घंटे सालाना किसानी करने के साथ-साथ पशु पालन,सब्जी की खेती,चारे का संग्रहण एवं घरेलु पोल्ट्री में भी अहम भूमिका निभाती हैं. मंच की बिहार की संयोजिका मंजू डुंगडुंग ने कहा कि महिला किसान भू-यात्रा 16 अगस्त को केरल प्रदेश के तिरूवनंतपुरूम से शुरू होगी.12 राज्य यथा केरल,तमिलनाडु ,कनार्टक, आंध्र प्रदेश , तेलंगाना , उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़,बिहार, उत्तर प्रदेश,राजस्थान होकर 45 वें दिन यात्रा 30 सितम्बर को ग्वालियर  पहुंच जाएगी.

आखिरकार संवाद यात्रा क्यों?
संपति में महिलाओं के हिस्सेदारी के लिए.महिलाओं को कृषक का दर्जा दिलाने के लिए.महिलाओं को आवास और वन भूमि का अधिकार मिले.मालिकाना हक के कागजों पर महिलाओं के भी नाम हो.सामुदायिक जमीन पर महिलाओं के उपयोग के लिए उपलब्ध हो.महिलाओं को कृषि एवं अन्य ऋण मिले.मंडी पंचायत एवं उत्पादक संस्थाओं में महिलाओं को सदस्यता मिले.समस्त शासकीय एवं अर्धशासकीय योजनाओं में महिलाओं की समान भागीदारी हो. लोगों में महिला भूमि संवाद यात्रा को लेकर दक्षिण भारतीय लोगों में काफी उत्साह देखा गया.बिहार की ही तरह भूमि समस्या है.वहां भी भूमि समस्याओं को निपटारा करने में दिक्कत है.

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