-20 वर्षों से सावन भादो में एक दिन छोड़ एक दिन उपवास रख रही हैं किशनगंज की चंदा देवी - तपस्या करने वाले अलग अलग क्षेत्रों से आए 70 तपस्वी भैया बहनों के तप का अभिनंदन - गुलाबबाग में आयोजित विकास महोत्सव में नेपाल,बंगाल समेत बिहार के चार जिलों के सैकड़ों श्रद्धालु हुए शामिल
पूर्णिया : (कुमार गौरव) आचार्य श्री महाश्रमण जी के शिष्य मुनि श्री आलोक मुनि के गुलाबबाग चातुर्मास के दौरान तेरापंथ धर्मसंघ के बड़े कार्यक्रमों में से एक"विकास महोत्सव"का आयोजन तेरापंथ भवन गुलाबबाग में हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान तेरापंथ धर्मसंघ की बड़ी संस्था नेपाल बिहार तेरापंथ सभा की ओर से पर्युषण पर्व के दौरान संयम,साधनाव तप करने वाले विशिष्ट तपस्वियों का तप अभिनन्दन भी किया गया| नेपाल बिहार तेरापंथ सभा के अध्यक्ष राजकरण दफ़्तरी, मंत्री चैन रूप दुगड़, महासभा के कोषाध्यक्ष उज्जयन मालू और सह मंत्री नेमीचंद बैद ने आलोक मुनि के समक्ष विशिष्ट तपस्वियों का अभिनंदन करते हुए सम्मान के रूप में मोमेंटो भेंट किया|तपस्वियों में मुख्य रूप से कटिहार के गजराज संचेती ने लगातार 32 दिनों तक उपवास रखा। वहीं युवती भावना डागा और लक्ष्मी देवी दुगड़ ने 31 दिनों का उपवास रखा। इसके साथ ही लगातार 20 वर्षों से सावन भादो में एक दिन छोड़ एक दिन उपवास करने वाली किशनगंज की चंदा देवी श्यामसुखा के साथ साथ इसी प्रकार की तपस्या करने वाले अलग अलग क्षेत्रों से आए लगभग 70 तपस्वी भैया बहनों के तप का अभिनंदन किया गया| इस विकास महोत्सव में नेपाल,बंगाल समेत बिहार के चार जिलों के सैकड़ों श्रद्धालु हुए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से गुलाबबाग, पूर्णिया के साथ साथ कटिहार, भागलपुर, अररिया, सिलीगुड़ी, बायसी, दालकोला, जोकीहाट, फारबिसगंज, किशनगंज के साथ साथ नेपाल के विराटनगर सहित कई क्षेत्रों के सैकड़ों अनुयायियों ने हिस्सा लिया|
...आस्था, सकारात्मक सोच, स्वाध्याय, ध्यान और मानसिक आह्लाद मानव जीवन के विकास के पांच तथ्य : आलोक मुनि :
विकास महोत्सव में अपने आचार्यो द्वारा जनकल्याण और धर्मसंघ के विकास पर चर्चा की गई| आलोक मुनि ने अपने व्याख्यान में बताया कि मानव जीवन के विकास के पांच तथ्य हैं| आस्था, सकारात्मक सोच, स्वाध्याय, ध्यान और मानसिक आह्लाद। यह ऐसे पांच तथ्य हैं जिसका अनुशरण कर मानव नैतिकता के साथ अपना और अपने समाज का विकास कर सकता है| श्री मुनि ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी की अहिंसा यात्रा चल रही है। अहिंसा यात्रा में नैतिकता, सद्भावना और नशामुक्ति का संकल्प दिलाते हुए आचार्य अपने अगले पड़ाव की ओर प्रस्थान करते जाते हैं। हजारों किलोमीटर की उनकी अहिंसा यात्रा गतिमान है और इस अहिंसा यात्रा से देश के कई क्षेत्रों के लोगों में अभूतपूर्व बदलाव आया है। लोग आचार्य श्री महाश्रमण की इस अहिंसा यात्रा के मुख्य बिंदुओं से प्रेरणा लेते हुए न केवल नशामुक्ति का संकल्प ले रहे हैं बल्कि सद्भावना और नैतिकता पर भी अमल कर रहे हैं।
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