बिहार : कुर्जी बिंद टोली के लोग हैं परेशान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

बिहार : कुर्जी बिंद टोली के लोग हैं परेशान

kurji-bind-tola-patna
पटना: कुर्जी बिंद टोली के लोग परेशान हैं.औपचारिक ढंग से 205 घर है.यहां के 90 प्रतिशत घरों में गंगा नदी का पानी हेल गया है. दर्जनों घर ढह गया है. बता दें कि यहां के लोग नकटा दियारा ग्राम पंचायत के अभिन्न अंग हैं.दीघा से विस्थापित होने के बाद    कुर्जी में  वार्ड नम्बर-13 व 14 को स्थापित कर दिया गया है. यहां पर कुल 205 घर है.गंगा नदी का पानी घरों और राह पर पसर जाने से गत 22 दिनों से लोग निर्माणाधीन फोरलाइन रोड पर प्लास्टिक तान कर रहने को बाध्य हैं. शहर से संपर्क भंग होने के बाद बेहाल लोगों की सुधि जिला प्रशासन ने ली. यहां पर 5 नाव की व्यवस्था कर दी गयी है.व्यवस्था होने से पूर्व निजी नाव वाले चांदी का काट रहे थे.प्रति व्यक्ति 5 रू.बटोर रहे थे.अब लोग सरकारी नाव पर सवार होकर आवाजाही कर रहे हैं. यहां के लोगों कहना हैं कि राहत के नाम पर सरकार ने केवल नाव की ही व्यवस्था ही कर दी है. खाद्यान्न तो गोल ही है.जबकि यहां पर आकर  दीघा विधान सभा के विधायक डॉ.संजीव चौरसिया ने कष्ट का जायजा लिया.परंतु आंखों देखी हाल पर मलहम लगाने का प्रयास नहीं किया. कल रविवार को राज्य सभा सांसद ने ढाई किलो चूड़ा,आधा किलो मिठ्ठा,एक माचिस और एक मोमबत्ती का पैकेट बनाकर गंगा से पीड़ित लोगों के बीच वितरित किया.  लाइव आर्यावर्त के रिपोर्टर टेम्पो से उतरकर गंगा किनारे चले.काफी मुश्किल डगर को पारकर गंगा किनारे पहुंचे.यहां पर नाव के लिए लोग इंतजार कर रहे थे.लोगों से सवाल किया गया कि सरकार की ओर से क्या व्यवस्था है? मुंह लटकाकर बैठने वालों ने नाव को दिखाकर कहे कि यही व्यवस्था.नाव आने पर औरों की तरह नाव पर चढ़ गए. गंगा को पारकर धरती पर उतरे. कांदों से रिश्ता हो गया.कांदों में चलकर ठेंहुनाभर पानी में हेल कर पार किए.फोरलाइन निर्माण वाले स्थान पर चढ़ गए.यहां पर सैकड़ों पन्नी तानकर आश्रय बना दिखा.मचान के ऊपर इंसान और नीचे बकरी.दोनों साथ-साथ.सरकार से इंसान और पशुओं को चारा उपलब्ध नहीं कराया. ऊपर से नीचे की ओर देखने से बर्बादी का मंजर दिखता है.सर्वश्री सुदर्शन महतो, दिनेश महतो, हित्तू महतो,हरेंद्र महतो,अकलू महतो, बलम महतो,सूरज महतो, मंडल महतो, महेश महतो आदि का घर ढह गया है.सर्वे करके मुआवजा देने की जरूरत है. मजदूर किस्म के लोगों को काम नहीं मिल पा रहा है.खाद्यान्न की व्यवस्था करनी चाहिए.जच्चा-बच्चा को पौष्ट्रिक आहार,पशुओं को चारा उपलब्ध कराने की जरूरत है.

कोई टिप्पणी नहीं: