नई दिल्ली, 31 अक्टूबर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मेरठ में 1987 हाशिमपुरा नरसंहार में 42 लोगों की हत्या के लिए उत्तर प्रदेश प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के 16 जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने निचली अदालत के मार्च 2015 के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें निचली अदालत ने पीएसी के 16 जवानों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इस मामले में मूल रूप से 19 आरोपी थे, लेकिन तीन की मुकदमे के दौरान मौत हो गई। पीड़ितों की हत्या मेरठ में एक दंगे के दौरान हुई। पीड़ितों को पीएसी की 41 बटालियन द्वारा हाशिमपुरा के पड़ोस से तलाशी अभियान के दौरान उठा लिया गया। इस मामले में आरोपपत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद के समक्ष 1996 में दाखिल किया गया था। नरसंहार पीड़ितों के परिवारों की एक याचिका के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को सितंबर 2002 में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था। दिल्ली की एक सत्र न्यायालय ने जुलाई 2006 में सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, साक्ष्यों से छेड़छाड़ व साजिश का आरोप तय किया।
बुधवार, 31 अक्टूबर 2018
हाशिमपुरा नरसंहार : उत्तर प्रदेश पीएसी के 16 जवानों को उम्रकैद
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