कुमार गौरव । पूर्णिया : आपन बिहार में आब प्रेमक हवा चलत...ई सिनेमा देखे लेल अहां सउब जरूर आएब...यह अपील प्रेमक बसात सिनेमा के अभिनेता पीयूष कर्ण ने पूर्णिया के लोगों से की है। विशेष बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि यह पहली मैथिली मूवी है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लांच हो रही है और सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि दुबई, कतर, कुवैत, नेपाल में एक साथ लांच होगी। इस मूवी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की साउंड व विजुअल तकनीक को इस्तेमाल में लाया गया है जो कि पहली बार किसी प्रादेशिक मूवी में इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इस मूवी में मिथिलांचल की सभ्यता व संस्कृति की झलक पेश की गई है जो समाज के हर तबके के लोग सपरिवार देख सकते हैं। अभिनेता पीयूष कर्ण व डायरेक्टर रूपक शरण कहते हैं कि इस मूवी में अश्लीलता को जगह नहीं दी गई है और पूरी कोशिश की गई है कि अंतरराष्ट्रीय मानक पर यह मूवी उतरे ताकि मैथिली को नई पहचान मिल सके। उन्होंने कहा कि 2 नवंबर को यह मूवी लांच हो रही है और इसके बाद सूबे में प्रेम की हवा बहेगी।
...आदित्य नारायण की गायकी लोगों को लुभाएगी :
इस मूवी में मशहूर गायक उदित नारायण के पुत्र आदित्य नारायण की गायकी लोगों को आकर्षित करेगी। साथ ही मैथिली गाने को सूफियाना अंदाज में मशहूर सूफी गायक तोची रैना ने अपनी आवाज दी है जो इस मूवी को अन्य प्रादेशिक मूवी से अलग करती है। हिंदू मुस्लिम परिवार के बीच पनपे प्रेम की कहानी पर आधारित इस मूवी में वो तमाम मसाला है जो कि आमतौर पर हिंदी सिनेमा में होता है लेकिन इसे बेहद सुंदर तरीके से प्रादेशिक अंदाज में प्रस्तुत किया गया है जो लोगों को लुभाएगा। डायरेक्टर कहते हैं कि मैथिली को आठवीं अनसूची में शामिल करने के बाद भी मैथिली भाषा को उतना प्रसार नहीं मिल पाया है जितना मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मूवी के जरिये भरपूर प्रयास किया गया है कि मैथिली को अंतरराष्ट्रीय फलक पर एक नई पहचान मिल सके।
...मिलेगा लोगों को रोजगार :
अभिनेता पीयूष कर्ण कहते हैं कि उन्होंने मैथिली, नेपाली भाषा समेत हिंदी सिनेमा में काम किया है और इस मूवी में काम करने के बाद एक नया अनुभव प्राप्त हुआ है। सूबे में इस मूवी के बाद मैथिली भाषा की मूवी को नई पहचान मिलेगी और सूबे में यदि सबकुछ ठीक ठाक रहा तो बेशक रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि मैथिली के विकास के लिए रंगमंच, साहित्य व मैथिली के अन्य साधनों को और विकसित करने की जरूरत है ताकि हमारी सभ्यता व संस्कृति का उभार अंतरराष्ट्रीय फलक पर हो सके।
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