अजीत प्रियदर्शी, बृजेश नीरज और अरुण श्री की चयन समिति ने सर्वसम्मति से युवा उपन्यासकार किशन लाल को उनके उपन्यास ‘किधर जाऊँ’ के लिए प्रथम लोकोदय नवलेखन सम्मान प्रदान करने का निर्णय लिया है। 1 मई 1971 (मजदूर दिवस) को छत्तीसगढ़ के एक अति पिछड़े गाँव देमार के एक गरीब दलित परिवार में पैदा हुए किशनलाल का जीवन अत्यन्त संघर्ष भरा रहा है। किशनलाल ने दलित जीवन के भयावह यथार्थ को अपनी रचनाओं में अनुभूत निजता, सूक्ष्म-निरीक्षण, ईमानदारी तथा जिम्मेदारी के साथ अंकित किया है। पेशे से ईमानदार पत्रकार की भूमिका निभाने वाले किशनलाल की कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, आलेख आदि हिन्दी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और चर्चित हो चुकी हैं। लोकोदय प्रकाशन द्वारा ‘किधर जाऊँ’ का प्रकाशन किया गया है। इस सम्मान के तहत किशन लाल को उत्तरीय, प्रतीक चिह्न, सम्मान पत्र व रु. 5000/- मूल्य की पुस्तकें भेंट की जाएँगी। यह सम्मान वरिष्ठ आलोचक कर्ण सिंह चौहान द्वारा दिनांक 14-10-2018 को डी.सी.डी.एफ. सभागार, बाँदा में आयोजित समारोह में किशन लाल को दिया जाएगा।
रविवार, 14 अक्तूबर 2018
प्रथम लोकोदय नवलेखन सम्मान युवा उपन्यासकार किशन लाल को
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