बिहार : आखिर कबतक उपेक्षित रहेंगे ईसाई समुदाय! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 21 नवंबर 2018

बिहार : आखिर कबतक उपेक्षित रहेंगे ईसाई समुदाय!

अब जाग उठे हैं कुछ करके दिखाना है आओ साथियों हम मिलकर काम करें..
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पटना,21नवंबर। अब समय बदल गया है.ईसाई समुदाय भी भागीदारी देने की मांग करने लगे हैं.वह चाहे धार्मिक क्षेत्र व राजनैतिक का ही हो.बस हर क्षेत्र में अधिकार चाहिए.विशेषकर  शिक्षा व चिकित्सा में.दोनों में काफी स्कोप है. शिक्षा लेकर काम भी प्राप्त कर सकते हैं.

बच्चों को शिक्षा व चिकित्सा में पूरी पढ़ाई चाहिए
जिस स्कूल में बच्चे पढ़ते हैं उसी स्कूल से पूरी शिक्षा हासिल करने का अवसर मिलना चाहिए.वहीं  नौजवानों को ट्रेनिंग चाहिए.उन्हें  नर्सिंग, लाबोरेट्री, एक्स-रे, टीचर, ब्रदर, सिस्टर, फादर,बिशप की राह पर आगे बढ़ते रहने का प्रोत्साहन चाहिए. .

राजनैतिक क्षेत्र में एंग्लो  इंडियन समुदाय
सामाजिक कार्य करने वालों को राज्य सभा में  मनोनीत करना चाहिए.15 नवंबर 2000 के बिहार विभाजन के बाद से बिहार विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के मनोनीत पद ही समाप्त है. सीएम नीतीश कुमार कानून में परिवर्तन करके उक्त समुदाय को संवैधानिक अधिकार देना चाहिए.उक्त समुदाय की जनसंख्या कम है,इसके आलोक में बिहार विधान सभा में किसी एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनीत करना बंद कर दिया है. 

अन्य जगहों में भी ईसाई समुदाय को मनोनीत करें
बिहार विधान परिषद में स्नातक, शिक्षक आदि सीट पर, अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पदों पर, अल्पसंख्यक वित्त निगम में,पिछड़ा आयोग में ,बीस सूत्री कार्यक्रम में,महिला आयोग आदि में मनोनीत करें.

ईसाइयों का प्रमाण-पत्र सहुलियत से बने
पिछड़ी जाति के ईसाइयों को जाति प्रमाण-पत्र और ओबीसी प्रमाण-पत्र सुगमता से बनाया जाएं.उसी तरह राज्य विभाजन के बाद बिहार में रहने वाले अनुसूचित जन जाति के लोगों को आसानी से प्रखंडों से प्रमाण-पत्र बनाएं.ईसाई धर्म कबूलने वाले अनुसूचित जाति  को समता के आधार पर एससी का दर्जा दिया जाए. अन्य क्षेत्र में शानदार कार्य करने वालों को राष्ट्रीय अवार्ड देने की सिफारिश सरकार करें.

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