मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि के आरोप ओछे हैं : थरूर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शनिवार, 3 नवंबर 2018

मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि के आरोप ओछे हैं : थरूर

defamation-against-me-conspiracy-tharoor
कोलकाता, तीन नवंबर, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भाजपा द्वारा अपने खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दायर की गई आपराधिक मानहानि की शिकायत को ‘‘ओछी’’ करार दिया और आरोप लगाया कि यह ‘‘अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने’’ सरीखा है। दिल्ली भाजपा के नेता राजीव बब्बर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ थरूर की कथित ‘‘बिच्छू’’ वाली टिप्पणी पर कांग्रेस नेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है जिसमें कहा गया है कि इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।  थरूर ने रविवार को बेंगलोर साहित्योत्सव में दावा किया था कि एक अनाम आरएसएस नेता ने मोदी की तुलना ‘‘शिवलिंग पर बैठे एक बिच्छू’’ से की थी।  अधिवक्ता नीरज के जरिये दायर शिकायत में बयान को धर्म को मानने वाले लाखों लोगों के साथ ‘‘असहनीय दुर्व्यव्हार’’ और ‘‘पूर्ण रूप से तिरस्कृत करने वाला’’ बताया।  इस पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘आरोप ओछे हैं...अगर हम प्रकाशित सामग्री को उद्धृत करने के लोगों के अधिकारों को दबाना शुरू कर देंगे तो हमारा लोकतंत्र कहां जाएगा? अभिव्यक्ति की आजादी कहां है?’’  यह पूछे जाने पर कि क्या अपने खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के वाद को वह ‘‘उनकी आवाज को दबाने के प्रयास’’ के तौर पर देखते हैं, थरूर ने कहा, ‘‘वस्तुत: ऐसा प्रतीत होता है।’’  थरूर ने कहा कि उन्होंने 2012 में एक पत्रिका में प्रकाशित लेख को उद्धृत किया था जिसमें एक अनाम संघ नेता के बयान का जिक्र था। उन्होंने कहा, ‘‘तो अब क्यों मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है? अपनी किताब में एक लेखक के तौर पर मैंने 5000 दूसरे उदाहरणों और कहानियों को उद्धृत किया है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का माहौल, किसी समय कुछ कहा गया हो उसे उद्धृत करने की स्वतंत्रता हो या किसी सम्मानजनक प्रकाशन में अहम राजनीतिक शख्सियत के बारे में एक वक्त प्रकाशित हो चुकी बातों को लिखने की स्वतंत्रता (गलत नहीं है)। जहां तक मेरी बात है, अगर हम प्रकाशित सामग्री को उद्धृत करने के लोगों के अधिकार को दबाना शुरू कर देंगे तब हमारा लोकतंत्र कहां जाएगा?’’ थरूर ने कहा कि वह नहीं मानते कि उन्होंने कुछ भी गलत किया है या कुछ असाधारण किया है।

कोई टिप्पणी नहीं: