पटना 2 नवंबर 2018 (शुक्रवार), पुलिस लाइन में हुए पुलिस मारपीट मामले को लेकर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ दानिश रिज़वान ने इस घटना की निंदा करते हुए बिहार की नीतीश सरकार पर करारा हमला करते हुए कहा कि बिहार में सुशासन नाम की कोई चीज़ नहीं रह गई है | सुशासन के नाम पर सूबे में कूूशासन का राज चल रहा है। हम प्रवक्ता ने कहा कि एक तरफ़ जहाँ राज्य में अपराधी बेलगाम हो गए हैं, सूबे में हत्या, अपहरण और लूट की वारदात में सौ गुना से ज़्यादा इज़ाफ़ा हुआ है | वहीं दूसरी तरफ़ पुलिस महकमें में हुए इस आपसी मारपीट की घटना ने बिहार की किरकिरी कर दी है। ऐसा पहला मौक़ा है जब पुलिस प्रशासन के बीच में इतना बड़ा विद्रोह हुआ हो | सिपाहियों ने अपने वरीय पदाधिकारी को दौड़ा दौड़ाकर मारा | इस घटना ने साबित कर दिया कि बिहार में सुशासन की कोई सरकार नाम की चीज ही नहीं है | पुलिस प्रशासन द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर नीतीश सरकार के रहते अंजाम दिया गया है, जो पूरे देश में बड़ा चिंता का विषय है | डॉ दानिश ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिखाने के लिए महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्ति तो कर दी,लेकिन उन्हें किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही । लगातार वरीय पुलिस पदाधिकारी महिला पुलिसकर्मियों के साथ छेड़-छाड़ की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। कभी BMP कैंपस में तो कभी पुलिस लाइन में महिला पुलिसकर्मियों के साथ अत्याचार हो रहा है | राज्य की सरकार हर तरफ़ सुशासन का ढोल पीटते नज़र आ रही है। जिस राज्य में महिला पुलिसकर्मी ही सुरक्षित नहीं तो महिलाओं के साथ बलात्कार की वारदात बढ़ेगी ही | राज्य के मुख्यमंत्री अगर सूबे में सुशासन होने का दावा करते हैं तो इससे शर्मनाक घटना कुछ भी नहीं हो सकता जो आज हुआ है । डॉ दानिश ने कहा कि राज्य में इस समय भयंकर प्रशासनिक आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री को चाहिए कि तत्कालीन अपने पद से इस्तीफ़ा दें। डॉ दानिश ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग करते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज ही नहीं रही | इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना जरूरी है
शुक्रवार, 2 नवंबर 2018
बिहार में सुशासन की नहीं कू शासन की सरकार : हम
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें