पटना 8 दिसंबर 2018, वाम दलों ने बिहार में पिछले 8 दिनों से लगभग 1 लाख आशा कार्यकर्ताओं की राज्यव्यापी अनिश्चतकालीन हड़ताल के साथ एकजुटता जाहिर की है और इस मसले पर बिहार सरकार के अति संवेदनहीन रुख की कड़ी आलोचना भी की है. भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, सीपीआईएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, एसयूसीआईसी के राज्य सचिव अरूण कुमार, फारवर्ड ब्लाॅक के अमेरिका महतो और आरएसपी के वीरेन्द्र ठाकुर ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और आशाकर्मियों की मांगों को पूरा करते हुए हड़ताल समाप्त करवाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य सेवायें पहले की तरह बहाल हो सके. वाम नेताओं ने कहा कि बिहार में कार्यरत लगभग 1 लाख आशाकर्मी सरकारी कर्मचारी का दर्जा, 18 हजार रुपये मासिक मानेदय, योग्यताधारी आशा को नर्सिंग स्कूलों में 50 प्रतिशत सीट रिजर्व करने, प्रशिक्षण के उपरांत आशा के कार्य अवधि वर्ष तक उम्र सीमा में छूट देते हुए एएनएम पद पर पदस्थापन करने, योग्यताधारी आशा फैसलिटेटरों को प्रखंड सामुदायिक समन्वय के 50 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति करने, सभी को ईएसआई-ईपीएफ, अन्य सामाजिक सुरक्षा सहित 12 सूत्री मांगों पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल पर जाने के 15 दिन पहले आशाकर्मियों ने सरकार को सूचना दी थी लेकिन सरकार ने इस पर कोई नोटिस नहीं लिया. इससे स्वास्थ्य और आशाकर्मियों के प्रति बिहार सरकार का संवेदनहीन चरित्र उजागर हो रहा है. आशाकर्मियों की हड़ताल से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ा है. लगभग 32 जिलों के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र इस हड़ताल से प्रभावित हुए हैं. 5 दिसंबर का टीकाकरण अभियान पूरी तरह ठप्प रहा. इससे जनता को भारी परेशानी हो रही है. इसके लिए पूरी तरह बिहार सरकार की जिम्मेवारी बनती है. यदि उसने समय रहते आशाकर्मियों से किसी स्तर पर वार्ता की होती तो आज स्वास्थ्य सेवाओं पर इस कदर दवाब नहीं बनता. वाम पार्टियां मुख्यमंत्री से आंदोलनरत कर्मियों से वार्ता करने और उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई करने की मांग करते हुए राज्य के गरीबों के हित में इस हड़ताल को अविलंब समाप्त करवाने की मांग करती हैं.
शनिवार, 8 दिसंबर 2018
बिहार : आंदोलनरत आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल पर मुख्यमंत्री तत्काल हस्तक्षेप करें : वाम दल
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