केंद्र व राज्य सरकार गन्ना किसानों को आत्महत्या की ओर ढकेल रही.चम्पारण, गोपालगंज, समस्तीपुर, सीतामढ़ी आदि जिलों में स्थिति गंभीर
पटना 23 दिसंबर भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि केंद्र व बिहार सरकार गन्ना किसानों के साथ लगातार मजाक कर रही है. उनकी किसान विरोधी नीतियों की वजह से आज बिहार के गन्ना किसान आत्महत्या की तरफ मुखातिब हो रहे हैं. ब्याज के साथ भुगतान करने के हाई कोर्ट के फैसले के बावजूद आज तक गन्ना किसानों का पिछले साल का भुगतान नहीं हो सका है. इस वर्ष भी डेढ़ माह चीनी मिलें चल चुकी हैं लेकिन न तो गन्ना किसानों के गन्ने का रेट निर्धारित किया गया है और न ही भुगतान किया गया है, जिसके कारण उनके सामने जीवन-मरण का सवाल उत्पन्न हो गया है. किसानों की रब्बी फसलों की बुआई, उनके बच्चों की पढ़ाई, शादी-ब्याह सब बाधित हंै. बिहार सरकार को न तो उच्च न्यायालय के फैसले की परवा है और न ही केन एक्ट. पहले से गरीब किसानों के लिए चले आ रहे ‘पुअर डे’ को भी खत्म कर दिया गया है. चीनी मिलें फर्जी किसान कोड बना रही हैं और पश्चिम चंपारण में गन्ना मंत्री के आदमी 310 रुपए के बदले किसानों का गन्ना 110 रु से लेकर 180 रु प्रति क्विन्टल दर पर लूटने में लगे हैं. पश्चिम चंपारण में चीनी मिलें मनमाने तरीके से गन्ना प्रभेदों को रिजेक्ट प्रभेद बता कर 35 रु प्रति क्विंटल कम पैसा देने की योजना पर अमल कर रही हैं. पहले से चली आ रही प्रति 100 क्विन्टल पर 5-6 क्विन्टल की घटतौली अब प्रति 100 क्विन्टल पर 10 क्विंन्टल तक बढ़ कर हो गयी है. किसानों की चैतरफा लूट हो रही है. गन्ना मंत्री चीनी मिल मालिकों के मंत्री बन गये हैं. ऐसे में गन्ना मंत्री बने रहने का हक वर्तमान गन्ना मंत्री खुर्शीद आलम को नहीं है. उन्हें अविलंब इस्तीफा दे देना चाहिए. भाकपा माले राज्य सचिव कामरेड कुणाल ने गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान और गन्ना मूल्य अविलंब निर्धारित करने की मांग की है. उन्होंने महंगाई और खेती में बढ़ती लागत के अनुसार गन्ना मूल्य कम से कम 400 रु प्रति क्विंटल करने की भी मांग की है. उन्होंने उपर्युक्त मांगों के लिए 27 दिसम्बर को प.चम्पारण में बंद और पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, समस्तीपुर, सीतामढ़ी जैसे गन्ना उत्पादन के जिलों में सड़क जाम-मार्च जैसे कार्यक्रमों को सफल बनाने का आह्वान किया है.

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