विशेष : ‘प्रवासियों’ के लिए हाईटेक हुआ ‘काशी’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 12 जनवरी 2019

विशेष : ‘प्रवासियों’ के लिए हाईटेक हुआ ‘काशी’

देश की सांस्‍कृतिक नगरी काशी में 21 से 23 जनवरी तक सात समुन्दर पार से आएं 132 देशों के प्रवासी भारतीयों का जमघट होगा। वे काशी के मठ मंदिर से लेकर शिक्षा दीक्षा व रहन सहन से रुबरु तो होंगे ही, गंगा सागर से लेकर गंगोत्री तक के दर्शन भी काशी में ही कर सकेंगे। इसके लिए हर तैयारियां की गयी है। खास यह है कि प्रयागराज में अर्धकुंभ के दौरान प्रवास करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बन रही ‘टेंट सिटी‘ की ही तर्ज पर काशी में भी वातानुकूलित ‘टेंट सिटी‘ बसाया गया है। इसमें 1,480 प्रवासी भारतीय प्रवास करेंगे। जहां उन्हें ग्रामीण परिवेश का एहसास होगा। उनकी अगवानी खुद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे 

hi-tech-kashi
देश का 15वां और यूपी के पहले प्रवासी भारतीय दिवस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को नयी नेली दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। कभी धूल-मिट्टी से सनी दीवारें अब वर्ली, मधुबनी समेत थ्रीडी पेंटिंग से सज गई हैं। दीवारों पर कहीं गहरे हरे नीले रंग के संयोजन के साथ शंकर तांडव नृत्य मुद्रा, तो कहीं गंगा की महिमा,ऐतिहासिक घाट और मंदिर तो कहीं भगवान बुद्ध साधना में लीन बैठे दिख रहे हैं। या यूं कहें काशी की सशक्त पहचान सारनाथ और महात्मा बुद्ध से लेकर विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला, सांड-सीढ़ी, साधु-संयासी, संगीतकार, घंटघयिाल तक दीवारों पर चटख रंगों से उभारी गई है। प्रभु श्रीराम के साथ मां सीता, लक्ष्मण के वन गमन के प्रसंग से लेकर संस्कृति, परंपरा और इतिहास को समेटे शहर की दीवारों पर बनी अनगिनत कलाकृतियां लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी है। इसका मकसद यही है कि जिस बेस कल्चर को प्रवासी देश छोड़कर गए हैं, वहीं उनको दिखाना है। उन्हें काशी की समृद्ध परंपरा और संस्कृति से भी रूबरू कराना है। गौरतलब है कि 21 से 23 जनवरी तक वाराणसी में होने वाले तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस में 7 हजार से ज्यादा प्रवासी भारतीय एकत्रित होंगे। कार्यक्रम के दौरान बहुतायत संख्या में वाराणसी आए प्रवासी आधुनिक जीवन के साथ ही ग्रामीण जीवन का भी लुत्फ उठाएंगे। इसके लिए वाराणसी के सिंधौरा मार्ग स्थित बड़ालालपुर के समीप ऐढे गांव में एक नए शहर ‘टेंट सिटी‘ को बसाया गया है। पर्यटकों को किसी प्रकार से अपने आवास तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो। इसके लिए हर एक समूह में लगाए गए टेंटों को नाम दिया जा रहा है। इन्हें गंगा, यमुना, गोदावरी, क्षिप्रा, वरूणा, गोमती और सरस्वती नाम रखने का प्रस्ताव हुआ है।
  
hi-tech-kashi
खास यह है कि प्रयागराज में अर्धकुंभ के दौरान प्रवास करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बन रहे ‘टेंट सिटी‘ की ही तर्ज पर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी 43 हेक्टेयर में फैले ‘टेंट सिटी‘ में 1,480 प्रवासी भारतीय प्रवास करेंगे। ‘टेंट सिटी‘ में बने सैकड़ों लग्जरी टेंटों में प्रवास के अलावा उसी ऐढे गांव के ग्रामीण प्रवासी भारतीयों को ग्रामीण परिवेश का एहसास भी कराएंगे। इस गांव में बन रहें ‘टेंट सिटी‘ में फाइव स्‍टार होटल जैसी सुविधाएं उपलब्‍ध होंगी। टेंट सिटी पूरी तरह फायर प्रूफ है। इसमें सात ब्‍लॉक ह। 50 विला रूम, फाइव स्टार सुविधा से युक्त 450 डीलक्स और 120 फैमली स्टे कॉटेज हैं। कम से कम 1,000 वर्ग फीट एरिया वाली 60 डॅारमेट्री भी बनाई गई है। टेंट सिटी का हर डाइनिंग हाल भी कुछ अलग ही होगा। इसमें विला के लिए बनाए जा रहे डाइनिंग हॉल को भी मंदिर नुमा बनाया जा रहा है। टेंट सिटी लालटेन की रोशनी से रोशन होगी। इसमें मिट्टी तेल की जरूरत नहीं होगी क्योंकि आधुनिक ढंग से बने लालटेन में बिजली के बल्ब लगे हैं जो रोशनी बिखेरेंगे। सभी टेंट के अंदर व बाहर लालटेन टांगे जा रहे हैं। इसके अलावा रास्तों के किनारे बल्ली के सहारे भी लालटेन टांगकर टेंट सिटी को प्रकाशमय किया जा रहा है। वहीं एक दूसरे हॉल के प्रवेश द्वार पर काशी के गंगा घाटों की पेंटिंग बनाई जाएगी। ऐसे में वहां बनने वाले अस्पताल, पुलिस स्टेशन सहित सभी तरह के बनावट को कुछ अलग अलग तरह से बनाया जा रहा है। युवा प्रवासी भारतीय दिवस के तहत बीएचयू में आने वाले प्रवासी भारतीयों को लोक नृत्य और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। परिसर में जिधर से उनका काफिला गुजरेगा, उन चैराहों पर संगीत एवं मंच कला संकाय के छात्र-छात्राएं विभिन्न अंचलों के नृत्य की प्रस्तुति देंगे।

hi-tech-kashi
मेहमानों के स्‍वागत पर लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान हैं। प्रशासन ने शहर से दूर गांव में प्रवासियों के लिए ‘टेंट सिटी‘ इसलिए बनाने का निर्णय लिया क्योंकि सात हजार प्रवासी भारतीयों के शिरकत के चलते वाराणसी के सभी होटल पहले से ही बुक्ड हो गए हैं। इसके होटल और ‘टेंट सिटी‘ के अलावा वाराणसी के 550 लोगों ने अपने घरों के दरवाजे काशी आतिथ्य के तहत प्रवासी भारतीयों के लिए खोल दिया है। अपने गांव में ‘टेंट सिटी‘ बनता देख ऐढ़े गांव के ग्रामीण बेहद खुश हैं। उन्होंने तो अभी से मन बना लिया है कि सभी ग्रामीण मिलकर पूरे गर्मजोशी के साथ बैंड बाजा और गजरे के फूल के साथ अपने गांव आने वाले प्रवासी भारतीयों का स्वागत करेंगे। ग्रामीणों ने खान-पान की भी विशेष व्यवस्था की योजना बनाई है, जिसमें बाटी, दाल, चोखा, दही-चूड़ा, मक्के की रोटी, गुड का तिलवा, खांड़ और मक्के-बाजड़े की रोटी भी मैन्यू में रखा गया है। यह सारा खाना लकड़ी के चूल्हे पर गांव की औरते द्वारा बगैर किसी सरकारी मदद के बनाया जाएगा। ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनके गांव में बन रहे ‘टेंट सिटी‘ में प्रवासियों के प्रवास के चलते उनके गांव के दिन भी बहुर जाएंगे। ऐढ़े गांव के समीप पढ़ने वाले रिंग रोड के ओवर ब्रिज की दीवारों को भी पेंट किया जा रहा है, ताकि आने वाले मेहमानों को धार्मिकता का एहसास दिलाया जा सके। दीन दयाल हस्तकला संकुल के गलियारों को आर्ट गैलरी सरीखा सजाया गया है। बाहरी दीवारों को भी आकर्षक बनाया गया है। सामने की दीवार में आदमकद काशी विश्वनाथ मंदिर की आकृति बनाई गयी है। इतना ही नहीं, सड़क के दोनों किनारों की दीवारें भी काशी की परंपरा व प्राचीनता को प्रदर्शित कर रही हैं। घाट, मंदिर, गलियां, साधू जैसे कई पहलुओं को आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किया गया है। आसपास के लोगों के अलावा शहर से लोग सजे, संवरे संकुल को देखने पहुंच रहे हैं और फोटो व सेल्फी ले रहे हैं। जिन लोगों को अंदर की दुकानें एलाट हुई हैं वे भी अपने काउंटर को नया लुक देने में जुटे हैं।

hi-tech-kashi
बता दें, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की पहल पर 2003 में शुरू प्रवासी भारतीय दिवस का यह 17वा आयोजन है। इसके लिए आतिथ्य सत्कार, भव्य सजावट और जनभागीदारी के जरिए प्रवासियों के बीच काशी के नए स्वरूप की जबदरस्त ब्रांडिंग की तैयारी है। माना जा रहा है कि आयोजन की सफलता से दुनिया भर में बदलते बनारस की तस्वीर जाएगी और यहां पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ ही निवेश के भी अवसर बढ़ेंगे। ‘नवीन भारत के निर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका’ थीम पर होने वाले इस सम्‍मेलन में 75 देशों के करीब आठ हजार प्रतिनिधि शामिल होंगे। ऐसे में लोकसभा चुनाव के पहले यूपी में दो मेगा इवेंट के रूप में प्रयागराज के अर्धकुंभ और वाराणसी में होने वाले देश के 15वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन को देखा जा रहा है। इन दोनों ही महाआयोजनों में हजारों-लाखों के हुजूम के जुटने वाले लोगों के दिलों को मौजूदा यूपी और केंद्र की सरकार तो छूना चाहती ही है, साथ ही साथ इनसे प्रभावित और लाभांवित होने वाले स्थानीय लोगों के लिए भी बीजेपी कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती। यही वजह है कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को और ज्यादा भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए घाटों के रंग रोगन, उनकी सफाई और उन्‍हें आकर्षक बनाने पर काम किया जा रहा है। इस मौके पर गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा के भव्य रूप के साथ वाराणसी की विरासत को भी दर्शाया जाएगा। सम्मेलन का उद्धाटन ट्रेड फसिलटी सेंटर में होगा। सम्मेलन स्थल पर फिल्म जगत की प्रसिद्ध अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी, पद्म भूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र, मनोज तिवारी के अलावा छात्र-छात्राएं अलग-अलग देशों की संस्कृति और वेशभूषा के अनुसार कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। सम्मेलन में आने वाले मेहमान खुद तय करेंगे कि वे काशी में क्या देखेंगे, कहां घूमेंगे या किस मंदिर में दर्शन पूजन करेंगे। शासन, प्रशासन की ओर से अतिथियों के घूमने, टहलने व पर्यटन को लेकर कोई बाध्यता नहीं होगी। 

hi-tech-kashi
पर्यटन विभाग ने प्रवासी अतिथियों के पर्यटन, दर्शन-पूजन को लेकर कार्ययोजना तैयार की है। इसे पीबीडी (प्रवासी भारतीय दिवस) की साइट पर अपलोड किया जा रहा है। प्रवासी अपनी रुचि व श्रद्धा के आधार पर अपने लिए विकल्प चुन सकेंगे। होटल में ठहरेंगे या टेंट सिटी में, इसका चुनाव भी प्रवासी ऑनलाइन ही कर रहे हैं। इसी के आधार पर शासन, प्रशासन को भी एक आंकड़ा मिल जाएगा कि कौन कहां जाएगा और क्या देखेगा। सम्मेलन के लिए जिले के सभी होटलों के मिलाकर 1200 कमरें प्री बुक कर लिए गए हैं। प्रवासी अपनी क्षमता व पसंद के आधार पर होटल या टेंट सिटी आदि की बुकिंग कराएंगे और इसके लिए भुगतान करेंगे। प्रवासी भारतीयों को कुंभ स्‍नान के लिए बनारस से प्रयागराज ले जाने को एक हजार लग्‍जरी कार और बसों की व्‍यवस्‍था की जा रही है। कुंभ नहाने के बाद सभी को चार लग्‍जरी ट्रेनों से दिल्‍ली ले जाया जाएगा। इलाहाबाद से 24 जनवरी की शाम से देर रात के बीच ट्रेनें चलकर अगले दिन दोपहर तक दिल्‍ली पहुंच जाएंगी। वहां ये प्रवासी भारतीय 26 जनवरी की परेड़ में शामिल होंगे। बनारसी पान, लस्‍सी, मलइयो और अन्‍य लजीज व्‍यंजन तो भारत के साथ ही पूरे विश्‍व में मशहूर हैं, लेकिन प्रवासी भारतीय सम्‍मेलन में पहुंचने वाले मेहमानों को घूमते-फिरते इसका स्‍वाद चखाने के लिए अहमदाबाद की तर्ज पर बनारस में भी फूड स्‍ट्रीट विकसित किए जाएंगे। सम्‍मेलन स्‍थल बड़ा लालपुर से गंगा घाट तक विदेशी मेहमानों को किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए 50 प्रवासी भारतीयों पर एक अधिकारी नियुक्‍त किए जाएंगे। यह अधिकारी मेहमानों के काशी आगमन से लेकर सम्‍मेलन के बाद प्रयागराज के लिए रवाना होने तक की सभी जिम्‍मेदारियां निभाएगा और जवाबदेह होगा। काशी से प्रयागराज जाते समय मेहमानों के साथ पुलिस स्‍कॉट और एम्‍बुलेंस की व्‍यवस्‍था होगी। 



--सुरेश गांधी--

कोई टिप्पणी नहीं: