वासभूमि स्वामित्व कानून 2019 बनवाने को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाएंगा दलित अधिकार मंच,बिहारराज्य स्तरीय कार्यक्रम कर बिहार सरकार के समक्ष प्रस्ताव को रखा जाएगा
पटना,28 जनवरी । सूबे में बिहार सरकार के द्वारा वासभूमि स्वामित्व कानून 2019 लाएं। जन संगठन दलित अधिकार मंच,बिहार ने वास भूमि अधिकार विधेयक 2014 का प्रारूप तैयार किया था। इस प्रारूप पर 5 साल के बाद दलित अधिकार मंच,बिहार के बैनर तले आज राजनितिक दलों के प्रतिनिधियों और राज्य के प्रबुद्ध लोगों के साथ विचार-विमर्श कार्यशाला बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स में आयोजित किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता सी.पी.आई. के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने की। इसके मुख्य अतिथि एक्शन एड के निदेशक संदीप चाचरा रहे। इनके साथ लैंडेसा के राज्य निदेशक विनय ओहदार, लोजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सत्यानन्द, सी.पी.आई.एम. के प्रतिनिधि, एक्शन एड दिल्ली के क्षेत्रीय प्रबंधक तनवीर काजी, सौरभ कुमार, शाहदा बारी, दलित अधिकार मंच के प्रदेश अध्यक्ष कपिलेश्वर राम, मंच के महासचिव श्री दीपचंद दास मौजूद रहे। इनलोगों ने बहुमूल्य विचार रखें।
वर्ष 2014 में वास भूमि अधिकार विधेयक 2014 का प्रारूप तैयार किया गया था। इस विधेयक को कार्यशाला में रखा गया। इसको मंच के द्वारा सदन में प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात कार्यशाला में शामिल प्रतिनिधियों ने अपने- अपने विचार रखे। इस विधेयक का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के सभी भूमिहीन एवं बेघरों के वास भूमि के अधिकार को सुनिश्चित करना है। ये स्थापित करना कि ग्रामीण भारत की गरीबी की जड़ भूमिहीनता और बेघरो में बसता है। ग्रामीण परिवारों में सबसे ज्यादा गरीबी और सबसे दयनीय स्थिति भूमिहीन और बेघर परिवारों की है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों को स्वीकार करना जो ये स्थापित करती हैं कि समुचित आवास के अधिकार के लिए वास भूमि एक आवश्यक घटक है। यह स्थापित करना कि असमान भूस्वामित्व के कारण महिला, दलित, आदिवासी एवं समाज के अन्य पिछड़े समुदायों को भेद्भाव तथा वंचना का सामना करना पड़ता है।ये स्वीकार करना कि वास भूमि का अधिकार लोगों की पहचान एवं आत्मसम्मान से जुड़ा है। यह विश्वास करना कि वास भूमि के अधिकार से अपने लिए एक घर बनाने एवं अतिरिक्त जीविकोपार्जन जैसे मुर्गीपालन, बकरीपालन, सब्जी उगाने आदि में मदद करेगा जो संपूर्ण विकास में अहम भुमिका निभायगा। अतः उक्त उद्देस्यों की पूर्ति हेतु बिहार सरकार “वास भूमि अधिकार अधिनियम” पारित करती है। यह अधिनियम ग्रामीण भूमिहीन बेघर गरीब परिवारों को न्यूनतम भूमि के अधिकार की गारंटी देगा, ताकि आवास का अधिकार तथा अतिरिक्त जीविकोपार्जन सुनिश्चित हो। इस विधेयक में वास भूमि के अधिकार के बारे में भी मंच ने अपनी बात रखी। प्रत्येक भूमिहीन और बेघर परिवार को वास भूमि का अधिकार है जिसकी सीमा का निर्धारण राज्य सरकार इस विधेयक के अनुसार समय-समय पर करती है। इस विधेयक के अंतर्गत आवंटित वास भूमि वारिस को हस्तांतर्णीय होगा परंतु बेचने योग्य नहीं होगा। वास भूमि योग्य चिन्हित परिवारों को एक निश्चित समयावधि में सरकार को निर्धारित सक्षम प्राधिकारी के द्वारा हस्तांतरित करना होगा, जो इस विधेयक के खंड 4 के कार्ययोजना के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के हिसाब से होगा। आगे बताते चलें की दलित अधिकार मंच वासभूमि स्वामित्व कानून बनवाने के लिए पूरे राज्य में जिला स्तर पर इसके लिए हस्ताक्षर अभियान चलाई है और कुछ ही दिन के अंदर इस विधेयक व हस्ताक्षरी दस्तावेज को राज्य स्तरीय कार्यक्रम कर बिहार सरकार के समक्ष इस प्रस्ताव को रखने की कार्ययोजना है। इस कार्यशाला में अन्य संगठन से रुपेश कुमार,विद्यानंद राम, मंच की श्रीमती सुमित्रा जी, प्रेम प्रकाश, बमबम लाल, योगेन्द्र कुमार, सुमन सौरभ, राजेश्वर पासवान, धंनजय कुमार इत्यादि ने भी अपने विचार व्यक्त किया।

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