बिहार : पटना के दीवारों पर सज रही है मधुबनी पेंटिंग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 जनवरी 2019

बिहार : पटना के दीवारों पर सज रही है मधुबनी पेंटिंग

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बेगूसराय (अरुण कुमार)  राजधानी पटना के दीवारों को मधुबनी पेंटिंग के माध्यम से स्वच्छ और सुंदर बनाया जा रहा है।मिथिला मधुबनी की पेन्टिंग सिर्फ मिथिला मधुबनी या दरभंगा तक ही सीमित नहीं है,मिथिला पेंटिंग और मंसूरचक की मूर्ति कला दुनियाँ में अपना स्थान बनाये हुए है।मंसूरचक की मूर्तिकला को तो फिलहाल ग्रहण लगा हुआ है,परन्तु मिथिला का मधुबनी पेंटिंग अभी भी अपने दम-खम के बदौलत दुनियाँ के पटल पर छाया हुआ है।मगर अफसोस तो तब होता है जब कोई मिहनत करके सजाने और सँवारने में लगा हुआ है तो कोई उसे गंदा करने और गंदगी फैलाने पर आमादा है,ये अल्प बुद्धि वालों का ही काम हो सकता है।बुद्धिजीवी वर्ग तो ऐसा कतई नहीं कर सकते हैं।पेंटिंग कला की सौंदर्यता अब पटना शहर के दीवारों पर देखने को मिलेगा।इसके लिये बिहार सरकार धन्यवाद के पात्र हैं,जिन्होंने यह कार्य कर अपने कला को एक मुकाम देने का प्रयास किया है।पटना नगर निवासी को अपने शहर की सौंदर्यता बरकार रखने में पूर्ण सहयोग प्रदान करना चाहिये।आज की दौड़ में बेटियाँ भी किसी से कम नहीं,हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं।मधुबनी पेंटिंग कला को बेटियाँ एक तरफ दीवारों पर पेंटिंग कला दर्शाने/बनाने में लगी हैं तो दूसरी तरफ अन्य लोग अपनी दुकान लगाने के फिराक में हैं तो कहीं मूत्र विसर्जित करने के ताक में है,ऐसे में क्या सौंदर्यीकरण सफल होना सम्भव होगा?नहीं कतई नहीं, इसपर प्रशासन को तो ध्यान देना ही पड़ेगा साथ ही ध्यान देने की आवश्यकता है वहाँ के स्थायी रहनेवालों की और इस देश के प्रत्येक नागरिकों की जो हर रोज हज़ारों,लाखों की तादाद में आते जाते हैं।प्रशासन कहाँ कहाँ और कितना निगरानी करेगी,प्रशासन पर बहुत बड़ी जिम्मेवारी रहती है।इसकी रक्षा सुरक्षा स्वयं करना होगा तभी सुन्दर बिहार का निर्माण हो सकेगा।दीवार पर बनी चित्रों का चित्रावलोकन कर आप स्वयं समझ सकते हैं कि मधुबनी पेंटिंग क्यों दुनियाँ में अपना स्थान बनाये हुए है।एकदम जीता जागता चित्रांकन लगता है,देखते ही मन पुलकित हो जाता है।शिक्षिका "खुशी पी"इसके बारे में बताती हैं कि यह हमारे बिहार और मिथिला की धरोहर के रुप में मिला है इसे संभालने और सँवारने की जिम्मेवारी हमसब की है। इन्हीं धरोहरों,कला और संस्कृति से हमारा बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिये गौरव की बात है।आगे "खुशी जी" बताती हैं कि ऐसे न जाने कितने ही कला जो हमारे बिहार की शान थीं वो धीरे धीरे लुप्त होती चली गईं,अब मंसूरचक मूर्ति कला की बात ली जाए तो आप देखेंगे कि जो दुनियाँ में मशहूर थी वो लुप्त होने के कगार पर है।अब मिथिला पेंटिंग जो सामने और सुलभ है उसको संभालने की जिम्मेवारी हमसब की है।  

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