पूर्णिया : ...और अब एक्वापोनिक विधि से बिना मिट्‌टी उगाएं फल व सब्जियां - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

पूर्णिया : ...और अब एक्वापोनिक विधि से बिना मिट्‌टी उगाएं फल व सब्जियां

- एक्वापोनिक विधि से खेती कर घर भी सजा सकते हैं शहरवासी, पानी की होगी बचत, मछली का वेस्ट सब्जियों व सब्जियों का वेस्ट मछली के लिए लाभदायक - इस विधि से मछली के टैंक पर ही ब्रोकली, बंधा गोभी, मिर्च, नींबू, पालक, बिंस, टमाटर, शिमला मिर्च व मूली की खेती की जा सकती है

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कुमार गौरव । पूर्णिया : यदि हम आपसे यह कहें कि बिना मिट्‌टी के भी फल व सब्जियां उगाई जा सकती हैं तो सुनकर थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन एेसा संभव है। इजराइल, जापान, चीन और अमेरिका आदि देशों के बाद अब भारत में भी यह तकनीक दस्तक दे चुकी है। इस विधि से मछली के टैंक पर ही ब्रोकली, बंधा गोभी, मिर्च, नींबू, पालक, बिंस, टमाटर, शिमला मिर्च व मूली की खेती की जा सकती है। घरों में शौकिया तौर पर एक्वेरियम में मछली रखने वाले अब उसके ऊपर एक्वापोनिक विधि से सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं। इसके लिए मिट्‌टी या खाद की जरूरत नहीं है और पानी इस्तेमाल भी 90 फीसदी कम हो जाएगा। इस विधि को अमल में लाने के लिए जिले के धमदाहा निवासी व जमशेदपुर यूटिलिटीज एंड सर्विसेज कंपनी में बतौर पर्यावरण प्रबंधक कार्यरत गौरव आनंद को जमशेदपुर में फ्लावर शो में अट्रैक्शन ऑफ द शो का पहला पुरस्कार मिल चुका है। 

...90 फीसदी तक होगी पानी की बचत : 
टाटा स्टील के अमृतांशु व जमशेदपुर यूटिलिटीज एंड सर्विसेज कंपनी के गौरव आनंद जमशेदपुर में एक्वापोनिक विधि से खेती करने की विधि पर काम कर रहे हैं। इन दोनों पर्यावरणविदों ने बताया कि इस तकनीक को स्वॉयललेस कल्टीवेशन कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने इसे हाइड्रोपोनिक्स यानी जलकृषि नाम दिया है। इसमें मिट्‌टी व खाद का प्रयोग नहीं होता है। शौकिया तौर पर एक्वेरियमम में मछली रखने वाली इस विधि से घर पर ही सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं। इसके लिए मिट्‌टी या खाद की जरूरत नहीं है और पानी का इस्तेमाल भी 90 फीसदी कम हो जाएगा। 

...क्या लाभ है हाइड्रोपोनिक्स के : 
परंपरागत तकनीक से पौधे और फसलें उगाने की अपेक्षा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के कई लाभ हैं। इस तकनीक से विपरीत जलवायु परिस्थितियों में उन क्षेत्रों में भी पौधे उगाए जा सकते हैं जहां जमीन की कमी है अथवा वहां की मिट्‌टी उपजाऊ नहीं है। इस तकनीक से बेहद कम खर्च में पौधे और फसलें उगाई जा सकती हैं। 5 से 8 इंच ऊंचाई वाले पौधे के लिए प्रतिवर्ष एक रूपए से भी कम खर्च आता है। 

...यह है फल सब्जी उगाने की विधि : 
एक्वापोनिक विधि के तहत मछली घर के टैंक के ऊपर प्लास्टिक के गमले में क्ले एग्रीगेट या कुल्हड़ को तोड़कर डाला जाता है। इन पत्थरों में पानी को सोखकर रखने की क्षमता होती है। गमले को पानी के पाइप से मछली के टैंक से जोड़ा जाता है। पानी के मोटर से मछली के टैंक का पानी ऊपर गमले में आएगा और खेती के वेस्ट मछलियों के खाने के काम आएंगे। इस विधि को भविष्य की खेती के रूप में देखा जा रहा है। 

...नीम पत्ते का पानी सब्जियों के लिए लाभदायक : 
गौरव आनंद ने बताया कि नीम पत्ते का पानी सब्जियों के लिए लाभदायक है। नीम के पत्ते को तीन चार दिनों तक पानी में सड़ाकर रखें। फिर इसमें दोगुना पानी मिलाकर सब्जियों में छिड़काव करें। बैगन में लगने वाले कीड़ के लिए यह रामबाण दवा है। वहीं गुलाब की खेती में कोयले की राख का छिड़काव फूलों पर करें। इससे खेती में कीड़े नहीं लगेंगे और दो दिन बाद पानी का छिड़काव से इसे हटाया जा सकता है।

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