सतना : पिथौराबाद में प्रक्षेत्र दिवस और बीज महोत्सव का आयोजन’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 3 मार्च 2019

सतना : पिथौराबाद में प्रक्षेत्र दिवस और बीज महोत्सव का आयोजन’

’परम्परागत खेती को बढावा देना जरूरी’
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सतना। जल, जंगल, जानवर और खेती सभी एक दूसरे के पूरक हैं और इन सबको मिलाकर जैवविविधता को आगे बढ़ाया जा सकता है। पिथौराबाद गांव में जैव विविधता पार्क बनाने के अपार संभावनाएं मौजूद हैं यदि अन्य सरकारी विभागों का सहयोग लेकर सभी ग्रामीण साझा प्रयास करें तो यह गांव जैव विविधता का एक मॉडल बन सकता है। यह बातें रविवार को उचेहरा समीपी ग्राम पिथौराबाद में आयोजित प्रक्षेत्र दिवस और बीज महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि रहे पूर्व पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के ज्वाइन्ट सेकेट्री व 8 देशो के यू एन डी पी के संचालक श्री बृजमोहन सिंह राठौर ने कहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता प्रो श्याम बोहरे ने की।

’पुरखों की विरासत बचाना जरूरी है‘
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री राठौर ने कहा कि हम दो दिन से इस गांव में हैं और यहां हमने बहुत कुछ देखा है। यहां परसमनियां पठार और जंगल है तो वहां से आने वाले पानी को संचय करने के लिये तालाब भी हैं। यहां आवारा गौवंश को पालने के लिये गोशाला है। कई किसान जैविक विधि से खेती कर रहे हैं तो यहां परम्परागत देशज धानों, पारंपरिक गेहूं की अनेक दुर्लभ किस्मों के साथ ही अनेक प्रकार के दुर्लभ देशज कंदों, जड़ीबूटियों का संकलन भी है। इन सबको एकत्र कर यह गांव एक माडल के रूप में विकसित हो सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रो श्याम बोहरे ने कहा कि पुरखों ने जो विरासत जंगल, बांध बीज के रूप में सौंपी थी उनको बचाना हमारा कर्तव्य है। इसके लिये जैवविविधताप्रबंधन समिति और ग्राम पंचायत को साझा प्रयास करने चाहिये।

’अजीविका के लिए कार्य योजना बनाकर कार्य करने की जरूरत है’ : पद्मश्री बाबूलाल दाहिया 
ने कहा कि हमारा सतना जिला तीन तरह की भौगोलिक परिस्थितियों वाला भाग है पहला चित्रकूट का पहाड़ी भो भाग जहाँ 70 प्रतिशत आदिवासी समुदाय रहते हैं और काफी विपन्नता है और दूसरा परसमनिया का पहाड़ी भू भाग है जो तमाम प्राकतिक संसाधनों के होते हुए भी गरीबी का दंश झेल रहा है तीसरा मैदानी भाग है जो कई शहरों वाला भू भाग है जहां खेती तो अच्छी होती है पर किसानों को कोई खास लाभ नही मिलता क्योंकि 80 प्रतिशत आमदनी खाद बीज जुताई बुआई आदि में ही खर्च हो जाती है पर एक भाग परसमनिया के पठार के तलहटी के है जिसमे 30 से 40  गांव   आते है इसलिए इन सभी को दृष्टिगत रखते यहां के जल जंगल जमीन घर से निष्कासित पशु और परम्परागत अनाजो को बचाने अजीविका के लिए कार्य योजना बनाकर कार्य करने की जरूरत है ।

’इन्होंने भी रखी अपनी बात’ 
कार्यक्रम में , जगदीश यादव डभौरा, अजय मिश्रा मैहर, वनपरिक्षेत्राधिकारी दीपक राज प्रजापति, सरपंच अशोक नागर,रामविहारी परौहा, सुरेन्द्र दाहिया, अनीता गोड़, लक्ष्मण कुशवाहा, रजनीश कुशवाहा रीवा, रामलोटन कुशवाहा और महिपाल सिंह ने परम्परागत खेती को महत्व देने के साथ ही रासायन मुक्त खेती पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन जबलपुर से आये समाजसेवी अनिल कर्ने और आभार प्रदर्शन डॉ. बसंत तिवारी ने किया। कार्यक्रम के अंत में जैवविविधता और जैविक खेती में योगदान के लिये संतोष कोल, महिपाल सिंह व रामराज कुशवाहा को शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया।  कार्यक्रम में अरुण त्यागी, इन्द्रपाल सिंह, वन अधिकारी तरुण आनिया, आरएईओ आरएस पाण्डेय, जीतेन्द्र उरमलिया जित्तू, डॉ. गुलाब सेन, शैलेन्द्र सिंह परिहार, शौखीलाल कुशवाहा, शाखा डॉकपाल गजेन्द्र सिंह, राजेन्द्र जायसवाल व बलीराम सिंह,सचिन दाहिया,राणा सिंग, ब्रजेन्द्रप्रकाश दाहिया,योगेंद्र जायसवाल,कैदी दाहिया उपस्थित रहे।  ’समारोह स्थल पर सामरिटन नेत्र चिकित्सालय द्वारा निरू शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर’ भी आयोजित किया गया जिसमे 43 मरीजों का नेत्र परीक्षण कर 7 मरीजों को आपरेशन के लिये चिन्हित किया गया। इस अवसर पर पीआरओ पंकज उरमलिया व नेत्र सहायक घनश्याम पाण्डेय उपस्थित रहे।

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