बिहार : माओवादी कहकर माले नेताओं व आदिवासियों की प्रताड़ना बंद करे सरकार: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 18 मार्च 2019

बिहार : माओवादी कहकर माले नेताओं व आदिवासियों की प्रताड़ना बंद करे सरकार: माले

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पटना 18 मार्च 2019, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने विगत शुक्रवार को जमुई जिले में महिलाओं व आदिवासियों पर अर्द्धसैनिक बलों द्वारा की गई गोलाबारी की घटना की कड़ी निंदा की है. इस गोलाबारी में तीन ग्रामीण बुरी तरह घायल हो गए हैं. घायलों को प्रशासन ने गिरफ्तार भी कर जेल भी भेज दिया. उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ भाकपा-माले के नेतृत्व में विगत 17 मार्च को सैकड़ों महिला-पुरुषों ने अपने पारंपरिक हथियार, तीर-धनुष, टांगी, नगाड़ा और लाल झंडे के साथ चरका पत्थल थाने का घेराव किया और थाना परिसर के ही समीप स्थित हाईस्कूल में धरना दिया. उन्होंने कहा कि पुलिस आए दिन माओवादी का बहाना बनाकर आदिवासियों का सर्च अभियान करती है, उन्हंे उत्पीड़ित करती है और इसे पुलिस-नक्सली मुठभेड़ का नाम दे देती है. विगत शुक्रवार को सोनो ब्लाक के बोंगी पंचायत के आदिवासी जंगलों में स्थित पहाड़ बाबा स्थल पर पूजा करने गये थे. बकरे की बलि के बाद भोजन की तैयारी कर ही रहे थे कि ठीक उसी वक्त अर्धसैनिक बल के जवान वहाँ पहुँच गए और गोलीबारी शुरू कर दी. इसके कारण श्रद्धालुओं में भगदड मच गई. इसी क्रम में गगनपुर गाँव के आदिवासी बुधन टूडू के पैर में गोली लग गयी. बुधन टुडू के साथ-साथ कैला मरांडी, पिता -संझला मरांडी, उम्र 42 वर्ष तथा रतना टुडू, पिता सुफल टूडू, उम्र 26 वर्ष को पुलिस ने पकड़ लिया. इसके बाद बोंगी पंचायत के घुठिया, हिंडला, सुअरमारा गाँव के ग्रामीणों के साथ बेरहमी से मारपीट किया गया. महिला प्रमिला देवी के साथ अभद्र व्यवहार किया गया एवं उनके बक्से को तोड़ कर बीस हजार रुपये निकाल लिया गया. तीनों घायलों को माओवादी बताकर जेल भेज दिया गया. माले राज्य सचिव ने कहा कि जमुई में पुलिस का ऐसा तांडव कोई नया नहीं है. इसके पहले भी आदिवासियों और माले नेताओं को माओवादी कहकर लगातार दमन-अभियान चलाया जाता रहा है. सत्ताधारी दल से जुड़े नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ में हमारे कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करते रहते हैं. इस मामले में हमारी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल कई बार मुख्यमंत्री से मिल चुका है, लेकिन इस दिशा में किसी भी प्रकार की प्रगति नहीं हो सकी है. भाकपा-माले माओवादी कहकर आदिवासियों की जारी इस प्रताड़ना पर अविलंब रोक लगाने की मांग करती है. साथ ही हमारी मांग है कि जेल में बंद सभी भाकपा-माले कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों की अविलंब रिहाई की जाए.

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