पटना,17 मार्च। कभी भी बिजली संयोजन तार में आग लग सकती है। इस ओर साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूषन कम्पनी लिमिटेड को ध्यान देने की जरूरत है। इन धृतराष्ट्र अधिकारियों को ध्यान दिलवाने का काम वार्ड पार्षद व सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से भी नहीं किया जाता है। जिसके कारण उपयुक्त व्यवस्था कम्पनी के द्वारा नहीं की जाती है। नूतन राजधानी अंचल में है वार्ड नम्बर-22 बी। आजकल नूतन राजधानी अंचल के द्वारा वार्ड पार्षदों को राषि दी गयी है कि वे स्ट्रीट लाइट लगाकर अंधेरा दूर भगाएं। यह नेक कार्य जरूर ही है। पहले जमाने में भी राजाओं की ओर से प्रजा की भलाई के लिए कार्य किया जाता था। धूप से बचने के लिए छांव की व्यवस्था की जाती थी। राहगीरों को पानी पीने के लिए कुआं खोदवां दिया जाता था। अब तो आवश्यकताओं में परिवर्तन आ गया है। अब सीएम नीतीश कुमार के साथ निश्चय से हो रहा है। वहीं वार्ड पार्षदों के अधीन वार्ड में स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए राशि दी जाती है। वह भी जगह-जगह स्टीट लाइट लगायी जाती है। कुछ तो साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी के बिजली खंभे में भी लगा देते हैं। जो जौखिमपूर्ण साबित हो सकती है। इसका नजारा वार्ड नम्बर-22 बी की पार्षद सुमित्रा सिंह के कार्यक्षेत्र का है।
एक नहीं अनेक खंभों में सैकड़ों उपभोक्ताओं के घरों में उर्जा दौराने वाले तारों का जंगल बना दिया गया है। किसी तरह से कम्पनी के कर्मचारी बिजली तार उपभोक्ता के घर में बिजली पहुंचा पाने में सफल हो जाते हैं। यह सरकारी कार्यक्रम है इसे पूरा करा ही है। वार्ड पार्षद सुचित्रा सिंह को मालूम भी नहीं होगा कि किस तरह की तकलीफ उपभोक्ता झेल रहे हैं। उनका अंधेरा भगाओं अभियान चल रहा है। जगह-जगह लाइट की व्यवस्था की जारी है। बिजली खंभे पर नजर नहीं दी हैं।तारों का जंगल है। यह स्थिति दुर्गा चैक की है। सैकड़ों तार उलझे पड़े हुए हैं। शक्तिशाली मां दुर्गे की कृपा से बड़ा हादसा नहीं हुआ है। केवल चिंगारी निकलकर ही रह गयी। अगर चिंगारी शोले की रूप ले लेती तो सैकड़ों घरों में कोहराम मच जाता। आसपास की महिलाएं चिन्तित रहती हैं। हमेषा दुर्गा माता से दुआ मांगती रहती हैं कि मां सुरक्षित रखना।
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