बिहार : सवालों के द्येरे में पल्ली परिषद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 10 मार्च 2019

बिहार : सवालों के द्येरे में पल्ली परिषद

question-for-palli-parishad
बेतिया,09 मार्च। रोम में रहने वाले पोप की देखरेख में कैनल लॉ बनाया है। इस कैनल लॉ में धर्मसंद्यी और गैर धर्मसंद्यियों के अधिकार और कर्तव्यों को विस्तार से परिभाषित किया गया है। अमेरिकन इंगलिश में रहने के कारण इंडियन इंगलिश के जानकार समझ नहीं समझते हैं। हां  धर्मसंद्यी समझते हैं तो अपने हित के हिस्से को लेकर गैर धर्मसंद्यियों को समझाते फिरते हैं। इसमें पल्ली परिषद भी है। इसको सलाहकार बॉडी बनाकर रखा गया है।इसका  चुनाव गैर धर्मसंद्यियों के बीच से होता है। पल्ली परिषद का पदेन अध्यक्ष पल्ली पुरोहित होते हैं।इन्हीं के अंदर पॉवर निहित है। अपने विवेक से संस्था के लोगों को मनोनीत करते हैं। इनकी संख्या अधिक है। बिन चर्चा के ही हाथ उठाकर मत विभाजन कर लेते हैं। संख्या में कम होने के कारण चुनाव जीतकर आने वाले मनोनीत होने वालों से मात खाते रहते हैं। पश्चिम चम्पारण जिले में रहने बेतिया निवासी वाल्टर माइकल का कहना है कि पल्ली पुरोहित सह पदेन अध्यक्ष पल्ली परिषद का प्रयास रहता है कि उनके समक्ष दुम हिलाने वाले ही परिषद  में आएं। उन्हीं लोगों से  मिशन व पल्ली चलाना चाहते  हैं।  देखिए चुनाव की प्रक्रिया यह है कि प्रत्येक मुहल्ले से एक या दो नाम मांगा जाता है , जितना भी नाम आये ,उसका चुनाव उसी मुहल्ले के निवासी गुप्त मतदान के जरिये करते हैं। नाम मांगा गया व्यक्ति उपयुक्त हैं? आम लोग उसे योग्य समझते हैं या नहीं। दूसरा यह है कि अगर समुचित नाम चुनाव के लिए नही आया तो ये पल्ली पुरोहित का काम है कि  डोर-डोर जाकर लोगों को परिषद का सदस्य बनने के लिए ,अपना नाम देने हेतु प्रोत्साहित करें फिर पैरिश के ईसाई जनता द्वारा मुहल्ला स्तर पर मतदान के माध्यम से ही सदस्य को चुना जाता है । इन्हें (पुरोहित ) इतनी हड़बड़ी क्यों रहती है ? ये जैसे तैसे अपने मन पसंद व  पक्षधर   व्यक्तियों को ही परिषद की कुर्सी पर बैठाने हेतु निर्विरोध चुन लेते हैं ।ऐसे में पैरिश की उन्नति का काम थोड़े ही होगा ।  वाल्टर माइकल कहते हैं कि बेतिया में भी इसी तरह चल रहा है।कोई बोलने वाला नहीं ।चमचों की भरमार है। तब यह सवाल है जब पल्ली पुरोहित का ही अंतिम निर्णय लेने वाले देवता है तो कौंसिल का क्या काम है? सिर्फ यह दिखाने के लिए की जब कोई काम खराब होगा ,लोग विरोध करेंगे तो इसका ठीकरा कौंसिल पर फोड़ देंगे कि कौंसिल के सहमति से हुआ है ,और अगर अच्छा काम होगा तो श्रेय अपने सर पर ले लेंगे ,वाहवाही इनकी होगी ।यही तो  पॉलिसी है इनका ।जोरदार लड़ाई लड़ने की जरूरत है।

कोई टिप्पणी नहीं: