समय गया फिरता नहीं झट ही करो निज काम, जो बीता सो बीत गया अबहूं गहो गुरू नाम... : स्वामी व्यासानंद बाबा
पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : अटूट श्रद्धा विश्वास से जो गुरू को भजते हैं उनका कभी अनिष्ट नहीं हो सकता है। गुरू हमेशा ऐसे भक्तों के साथ अप्रत्यक्ष रूप से रहते हैं। इसलिए एकनिष्ठ होकर गुरू की भक्ति करनी चाहिए। उक्त प्रवचन महाशिवराित्र के माैके पर स्थानीय संतमत सत्संग आश्रम मधुबनी में आयोजित एक दिवसीय विशेष सत्संग के मौके पर हरिद्वार से पधारे महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के शिष्य स्वामी व्यासानंद जी महाराज बोल रहे थे। उन्होंने महाशिवरात्रि की विशेषता को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जीव जब पीव यानी परमात्मा से मिल जाता है तो वह भी परमात्मा हो जाता है। भगवान शंकर और पार्वती के वचनों में आया है कि प्रेम के बिना भक्ति संभव नहीं है। इसलिए हम सबों को आपस में प्रेम रखना चाहिए। जो नियमित सत्संग से होगा। ईश्वर के प्रति तभी प्रेम होगा जब लोगों के साथ उनका व्यवहार आदि ठीक होगा। उन्होंने कहा कि मानव शरीर देव दुर्लभ है। ईश्वर की असीम कृपा के बाद मानव शरीर मिलता है। अगर हम ईश्वर भजन नहीं करेंगे तो पुन: 84 लाख योनियों में भटकते रहेंगे। उन्होंने कहा कि संत महात्मा सभी मानव को आगाह करते हैं कि समय गया फिरता नहीं झट ही करो निज काम, जो बीता सो बीत गया अबहूं गहो गुरू नाम...। यानी पल पल समय बीत रहा है। झट ही अपना काम करो यानी परमात्मा की भक्ति करो। अगर परमात्मा की भक्ति नहीं करोगे तो मनुष्य शरीर पाने की सार्थकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पंच पाप झूठ, चोरी, व्यभिचार, नशा, हिंसा से लोगों को बचना चाहिए। सत्संग करने से सद्ज्ञान होता है समाज में प्रतिष्ठा मिलती है। लोगों को अपने समाज के लिए भी कुछ करना चाहिए। आपस में प्रेम तभी होगा जब आप संतों के बताए मार्ग पर चलेंगे। इस मौके पर आश्रम के व्यवस्थापक स्वामी चंद्रानंद बाबा, पूज्य शैलेंद्र बाबा, आश्रम के अध्यक्ष कुमार उत्तम सिंह, सचिव सुधाकर प्रसाद सिंह, परमानंद साह, अगमलाल मेहता, लाला प्रसाद रजक, डाॅ विष्णुदेव भगत, नागेश्वर मोदी, संजय कुमार, दिनेश यादव आदि ने पूज्य बाबा का माल्यार्पण किया। इस एक दिवसीय संतमत सत्संग के मौके पर जिले भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए।
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