विशेष : चुनाव प्रचार में तार-तार होती नारी की मर्यादा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 21 अप्रैल 2019

विशेष : चुनाव प्रचार में तार-तार होती नारी की मर्यादा

'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता, जहां नारी का सम्मान होता है, पूजा होती है, वहां देवता वास करते हैं। नारी का सम्मान जहां, मानवता का उत्थान वहां। भारत में पुरातन काल से नारी को देवी के स्वरुप का दर्जा दिया गया है। नारी किसी भी रुप में रहे, वह हर रुप में पूजनीय है, वंदनीय है। व्यक्ति कोई भी हो, उसे सबसे पहले मां का ही सानिध्य मिलता है। राजनीति में महिला के सम्मान की बात की जाए तो उन्होंने कई बार सफलता के उच्च आयाम स्थापित किए हैं। हमारे देश में एक महिला प्रधानमंत्री भी बनी है तो राष्ट्रपति के पद को भी सुशोभित किया है। इसी प्रकार कई महिलाएं मुख्यमंत्री बनी हैं तो राज्यपाल पद पर भी रहीं हैं। आज कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांगे्रस की मुखिया भी महिला ही हैं। इसे देखकर यही कहा जा सकता है कि भारतीय राजनीति में जब भी महिलाओं को अवसर मिला है, उन्होंने अपनी क्षमता का बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन इसके साथ ही महिलाओं की राह में कई प्रकार के अवरोध भी पैदा हुए और आज भी हो रहे हैं। देश की आधी शक्ति के रुप में स्थापित महिलाओं का अपमान करने वाले पुरुषों को क्षमा करना वास्तव में उनका हौसला बढ़ाने के बराबर ही होगा, इसलिए उन्हें सबक सिखाना ही होगा।

जहां नारी का अपमान होता है, वहां सुख शांति नहीं रह सकती। आज राजनीति में नारी को लेकर अपमानजनक भाषा का प्रयोग खुलेआम तौर पर हो रहा है। उत्तरप्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान ने फिल्म अभिनेत्री और भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा को लेकर जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है, वह निश्चित रुप से यही प्रमाणित करता है कि आजम खान को नारियों में देवत्व के दर्शन नहीं होते। हो सकता है कि वह नारियों को केवल उपभोग की वस्तु ही समझते हों। वैसे भी आजम खान के संप्रदाय में महिलाओं को वह सम्मान नहीं मिल सका है, जो भारतीय संस्कृति में मिला हुआ है। इसीलिए मुस्लिम समाज की महिलाओं ने पुरुष वर्ग के बनाए नियमों को गंभीर चुनौती भी दी थी। तीन तलाक की प्रताडऩा को सहने वाली मुस्लिम समाज की महिलाओं ने इस दारे से निकलने का भरसक प्रयास किया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद तीन तलाक कानून को समाप्त कर महिलाओं को न्याय दिलाने में एक अप्रत्याशित कदम उठाया। जिसे देश की मुस्लिम महिलाओं ने अपनी स्वतंत्रता के समान निरुपित किया।

ऐसी बात नहीं है कि भारत माता को डायन कहने वाले आजम खान ने ही भारतीय महिलाओं का अपमान किया है। इससे पूर्व भी कई बार महिलाओं को पुरुष नेताओं के गलत दृष्टिकोण का शिकार होना पड़ा है। कुछ समय पहले की बात है कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के एक कार्यक्रम में महिलाओं को सौ टंच खरा माल बताकर पुरुष मानसिकता को उजागर कर दिया था। लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व का किस्सा भी हमें स्मरण होगा, जिसमें कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने अपनी कथित पत्नी नैना साहनी को टुकड़े-टुकड़े करके तंदूर में डाल दिया था। इसी प्रकार दिग्विजय सिंह के शासन काल में मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा के हत्याकांड की गुत्थी अभी तक उलझी हुई है। सवाल यह है कि महिलाओं के प्रति राजनेताओं के सोच में अभी तक कोई परिवर्तन नहीं आया है।

जहां तक आजम खान के बयान की बात है तो चुनाव आयोग ने उस पर प्रतिबंध लगाकर यह तो प्रमाणित कर ही दिया है कि आजम खान ने गलती की है, लेकिन उनको चुनाव आयोग ने जिस प्रकार की सजा दी है, वह क्या ऐसे घिनौने कृत्य के लिए पर्याप्त मानी सकती है। आजम खान का अपराध तो ऐसा है कि उसे पूरे जीवन भर चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने से रोका जाए तो भी वह कम ही होगी। सबसे बड़ी विसंगति तो यह है कि जब आजम खान इस प्रकार की अशोभनीय भाषा का प्रयोग कर रहे थे, तब उस समय मंच पर विराजित राजनेताओं ने तालियां पीटकर भारतीय महिला के अपमान होने का तमाशा देखा था। हम भले ही इस बात के दावे कर रहे हों कि हर क्षेत्र में महिलाओं का वर्चस्व बढ़ रहा है, लेकिन इसके उलट यह भी सच है कि कहीं न कहीं पुरुष की मानसिक सोच के कारण महिलाएं अपनी क्षमताओं का शत प्रतिशत प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं। जिस प्रकार आजम खान ने जयाप्रदा के अंग वस्त्रों का उल्लेख किया है, उसे सुनकर कोई भी महिला मैदान से पीछे भी हट सकती है। इस प्रकार की सोच वाले व्यक्तियों के कारण ही आज महिलाएं संकुचित दायरे में हैं।

इसे और स्पष्ट शब्दों में परिभाषित किया जाए तो यह परिलक्षित होता है कि भारतीय राजनीति पूरी तरह से दूषित हो गई है। अभी हाल ही में कांग्रेस की अखिल भारतीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी के साथ उन्हीं के पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा बहुत ही अशोभनीय हरकत कर दी। जिसे लेकर प्रियंका चतुर्वेदी ने हाईकमान को पत्र लिखकर कार्यवाही करने की मांग करते हुए प्रताडि़त स्वर में कहा कि कांग्रेस में अब गुंडों को सम्मान मिलने लगा है। समर्पित कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं है। उल्लेखनीय है कि प्रियंका चतुर्वेदी कांग्रेस में एक जिम्मेदार पद पर हैं, इतने बड़े पद पर होने के बाद भी उनके साथ अश्लील हरकत हो जाना कहीं न कहीं नारी शक्ति का अपमान ही कहा जाएगा। महिलाओं के प्रति इस प्रकार का सोच शायद राजनीति से जुड़ी ऐसी गंदगी है जो वास्तव में प्रतिभाशाली और योग्य महिलाओं को राजनीति से दूर रखती है।


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सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश
मोबाइल-9770015780

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