पूर्णियां : अवैध पैथोलॉजी में लोगांे की जान से हो रहा खिलवाड़, नहीं हो रही कार्रवाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 28 अप्रैल 2019

पूर्णियां : अवैध पैथोलॉजी में लोगांे की जान से हो रहा खिलवाड़, नहीं हो रही कार्रवाई

- एक तरफ जहां अनुमंडल के सबसे अच्छे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है वहीं दूसरी तरफ झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से मरीजों की जान सांसत में है

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बायसी : अनुमंडल क्षेत्र के डगरूआ, अमौर, बैसा एवं बायसी प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अवैध पैथोलॉजी के जाल में फंसकर आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। इस अवैध पैथोलॉजी के कारोबार में समाज के नामी गिरामी लोग भी शामिल हैं। लिहाजा इनके खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने से कतराता है। अनुमंडल के मरीजों की जिंदगी पूरी तरह भगवान के रहमोकरम पर निर्भर है। एक तरफ जहां अनुमंडल के सबसे अच्छे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है। वहीं दूसरी तरफ झोला छाप डॉक्टरों की वजह से मरीजों की जान सांसत में है। न केवल डॉक्टर बल्कि पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड तक के मामले में भी पूरे अनुमंडल में फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है। आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में डॉक्टरों और नर्सिंग होम के बोर्ड लगे हुए हैं जहां मरीजों का आर्थिक शोषण जारी है। जिला मुख्यालय व अनुमंडल मुख्यालय ही नहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी क्लिनिक और पैथोलॉजी की भरमार है। 

...50 फीसदी डॉक्टरों के पास ही वैध डिग्री : 
सूत्र बताते हैं कि जितने भी डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं उसमें लगभग 50 फीसदी चिकित्सकों के पास ही वैध डिग्री प्राप्त है। इसके अलावा अजब गजब डिग्री भी बोर्ड पर लिखी होती हैं और विश्वविद्यालय या संस्था के भी नाम भी अजीबो गरीब होते हैं। इस फर्जीवाड़े के खेल से विभागीय अधिकारी भी बखूबी वाकिफ हैं। बावजूद इसके ऐसे पैथोलॉजी के विरुद्ध न तो कभी जांच की गई है और न ही इन पर नकेल कसने के लिए कोई कार्रवाई ही की गई है। लिहाजा ये कहना वाजिब ही होगा कि सबों ने एक दूसरे को मौन समर्थन दे रखा है। जानकारी के मुताबिक केवल एमडी पैथोलॉजिस्ट या डीसीपी डिप्लोमा इन क्लिनिक पैथोलॉजी डिग्री धारक ही कोई पैथ लैब खोल सकते हैं। साथ ही पैथ लैब के कर्मचारियों के लिए भी आवश्यक योग्यता अनिवार्य है। सूत्रों की मानें तो अधिकतर पैथोलॉजी इंटर, बीए पास द्वारा चलाए जा रहे हैं। जो वर्षों बाद डीएमएसटी में डिप्लोमा कर लेते हैं। जबकि इतनी योग्यता रखने वाला व्यक्ति का पैथलैब में सिर्फ सहयोगी का ही काम कर सकता है। कई पैथलैब में एमडी पैथोलाजिस्ट की जगह एमबीबीएस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं। इतना ही नहीं उनका सहयोग करने के लिए साधारण टेकनीशियन होते हैं तो कभी कभी साक्षर भी रहते हैं। 

...एक दिन में देखे जाते हैं सैकड़ों स्लाइड : 
गौरतलब है कि किसी भी पैथोलॉजिस्ट के लिए एक दिन में 20 से अधिक स्लाइड देख पाना संभव नहीं है लेकिन जिले व अनुमंडल में साधारण पैथोलॉजी के कर्मचारियों द्वारा सैकड़ों स्लाईड देखा जाता है। अवैध क्लिनिक के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ती की जा रही है। मरीजों का आर्थिक शोषण के बाद कभी कभी प्रशासन भी हरकत में आता है। लेकिन आज तक उन संचालकों के विरुद्ध ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। लिहाजा खुलेआम फिर से अवैध रूप से ऐसे क्लिनिक और जांच घर संचालित किए जा रहे हैं। विभाग द्वारा समुचित कदम नहीं उठाए जाने से मरीज आए दिन इसके शिकार हो रहे हैं। उन्हें अपनी जान देकर भी इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। 

...चलता है कमीशन का खेल : 
सूत्रों की मानें तो ऐसे अवैध क्लिनिक और जांच घर से मोटी कमीशन खास लोगों को दी जाती है। जो इसका संरक्षण करते हैं। लिहाजा इन लोगों पर कभी आंच नहीं आती है। फर्जीवाड़ा का खेल ऐसा है कि चिकित्सक भले ही पटना और दरभंगा, पूर्णिया, सिल्लीगुड़ी, किशनगंज में कार्यरत हों उनके नाम का बोर्ड फर्जी क्लिनिकों पर लगा रहता है। ताकि जांच के दौरान क्लिनिक संचालक जवाब दे सके। ऐसे क्लिनिकों व नर्सिंग होम में धड़ल्ले से ऑपरेशन भी किए जाते हैं। जिसकी आड़ में फर्जी चिकित्सकों का धंधा बेरोकटोक जारी है। ऐसे क्लिनिक और नर्सिंग होम आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में चलाए जा रहे हैं जहां मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ आम बात है। 

...पैथोलॉजी को किया जाएगा चिन्हित : जिले के सभी प्रखंडों में संचालित अवैध पैथोलॉजी को चिन्हित किया जाएगा। जिसके बाद टीम का गठन कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। : मधुसूदन प्रसाद, सिविल सर्जन, पूर्णिया। 

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