पूर्णिया : जिले में काला गेहूं के बाद शुरू हुई काले चावल की खेती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 मई 2019

पूर्णिया : जिले में काला गेहूं के बाद शुरू हुई काले चावल की खेती

- गुलाबबाग के व्यवसायी सह किसान विश्वनाथ अग्रवाल ने शुरू की जिले के जलालगढ़ में काला गेहूं व काला चावल की खेती 
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कुमार गौरव । पूर्णिया : हाल के दिनों में काला चावल या ब्‍लैक राइस तेजी के साथ देश में पॉपुलर हुआ है। दरअसल पारंपरिक सफेद चावल के मुकाबले काले चावल को सेहत के लिए ज्‍यादा बेहतर माना जाता है। यह चावल कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में भी काफी कारगर है। बहुत से डॉक्‍टर भी इसके प्रयोग की सलाह देने लगे हैं। काला गेहूं की खेती के बाद अब जिले के किसान काले चावल की खेती करने में जुट गए हैं। प्रायोगिक तौर पर गुलाबबाग के व्यवसायी व किसान विश्वनाथ अग्रवाल जलालगढ़ के कृषि फार्म पर काला गेहूं के बाद अब काले चावल की खेती कर रहे हैं। जिसका उन्हें अच्छा रिस्‍पॉन्‍स भी मिल रहा है। बता दें कि काला गेहूं व चावल सेहत के दृष्टिकोण से लाभदायक होने के कारण इसकी पॉपुलैरिटी पंजाब जैसे राज्‍यों तक पहुंच चुकी है। सेहत के अलावा इसकी खेती किसानों को अच्‍छी कमाई भी करा सकती है। किसान काले चावल की खेती के जरिए पारंपरिक चावल के मुकाबले मिनिमम 500 फीसदी ज्‍यादा कमाई सकते हैं। देश के कई राज्‍यों की सरकारें इसकी खेती को प्रोत्‍साहित भी कर रही हैं। 

...क्‍या है ब्‍लैक राइस या काला चावल :  
इस संबंध में महाराष्ट्र राज्य बीज निगम के अधिकारी आनंद कुमार सिंह अरूण ने कहा कि ब्‍लैक राइस या काला चावल सामान्‍य तौर पर आम व्‍हाइट या ब्राउन राइस जैसा ही होता है। इसकी शुरूआती खेती चीन में होती थी। वहीं अपने देश में इसकी खेती असम और मणिपुर में शुरू हुई। असम व मणिपुर के बाद इसकी खेती धीरे धीरे नार्थ ईस्‍ट में पॉपुलर हो गई। उन्होंने बताया कि फिलहाल जिले के किसानों के लिए तीन किस्मों के बीज अलग अलग प्रदेशों से मंगाया गया है व खेत में बिचड़ा डालने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि काला गेहूं व चावल का बहुत औषधीय गुण भी है। इसमें ग्लाइसेमिक इनडेक्स 40 फीसदी होता है जबकि साधारण चावल में 60 फीसदी से ज्यादा होता है। जिस कारण काला चावल डायबिटिज व कैंसर जैसी बीमारी का असर कम करने में मददगार है। इसमें एंथ्रोक्साइनिन एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है। वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ अभिषेक प्रताप सिंह कहते हैं कि काला चावल एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर माना जाता है। यूं तो कॉफी और चाय में भी एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं लेकिन काले चावल में इसकी मात्रा सर्वाधिक होती है। इसके चलते बॉडी को डि‍टॉक्सिफाई करने में मददगार साबित हुआ है और कई तरह की सेहत संबंधी परेशानि‍यां भी दूर रहती हैं। एंटी ऑक्‍सीडेंट हमारे शरीर की विषाक्त संबंधी बीमारियों से लड़ता है। इसे कैंसर के इलाज के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी माना जाता है। आम सफेद चावल के मुकाबले इसमें ज्‍यादा विटामिन बी और ई के अलावे कैल्सियम, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक की भी मात्रा ज्‍यादा होती है।

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