पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : प्रखंड क्षेत्र में लगभग दो दर्जन से अधिक ईंट भट्ठा संचालित है। ईंट भट्ठा की चिमनियों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को पूरी तरह से दूषित कर रहा है। सरकार द्वारा निर्माण के लिए आधारित मापदंडों की धज्जियां उड़ाते हुए चिमनी मालिक सरकार को लाखों रूपए का चूना लगा रहे हैं। कहने को तो चिमनी मालिक कुछ टैक्स देते हैं पर, अफसरों की सांठगांठ के चलते राजस्व का लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। वहीं ईंट भट्ठों पर बगैर रॉयल्टी जमा किए ही मिट्टी की खुदाई हो रही है। सुबह होते ही ईंट भट्ठों के आसपास जेसीबी मशीन गरजने लगती है। मगर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी रोक लगाने का प्रयास नहीं करते। स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस अपना काम तमाम करने के बाद मिट्टी खुदाई की इजाजत देती है। जिस खेत में ईंट भट्ठा चिमनी का निर्माण होता है उसके इर्द गिर्द जमीन की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित हो रही है। लाचारी में किसान कम कीमत पर ईंट भट्ठा वाले को जमीन बेचने को मजबूर हो जाते हैं। इसके अलावा चिमनी से जो धुआं निकलता है उसे पर्यावरण में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है लोग बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। पेड़ पौधे पर इसका प्रभाव पड़ता है। प्रखंड के बीरपुर, सिमलगाछी, कनैला, भोगा करियात, मंझेली समेत कई अन्य पंचायत में ईंट भट्ठा होने के कारण पेड़ पौधे सूख रहे हैं और ग्रामीणों ने बताया कि इसका सबसे अधिक प्रभाव नारियल के पेड़ पर पड़ता है। नारियल में लगे फल समय से पहले नीचे गिरने लगते हैं। वहीं ईंट भट्ठा में काम करने वाले लगभग एक तिहाई मजदूर बाल मजदूर होते हैं। जिसका शोषण ईंट भट्ठा मालिक करते हैं। इस नाबालिग मजदूर को भी एक गिरोह के जरिए ईंट भट्ठा में पहुंचाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग भी इस उद्योग के लिए गांव से बाहर करने की बात करता है। गांव के अंदर रहने वाले लोगों में बीमारी फैलने की संभावना बढ़ गई है। इस संबंध में डॉ एसपी झा ने बताया कि चिमनी से जो धुआं निकलती है। वह धुआं कोयले के जले आग से होती है। धुआं के साथ छोटे छोटे कण जिसे हम नंगी आंखों से देख नहीं पाते हैं। वही सांस के द्वारा हमारे अंदर प्रवेश करते हैं और हमें बीमार कर देते हैं।
...शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई :
जिले में कुल 129 ईंट भट्ठा निबंधित है। जिसकी कागजी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। यदि कहीं अवैध रूप से ईंट भट्ठा संचालित है तो बेशक शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। : अनिल कुमार, जिला खनन पदाधिकारी, पूर्णिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें