- 21 वीं सदी के लिए तेजी से हो रहा पर्यावरण परिवर्तन एक चिंता का विषय है और चिंतन का भी
कुमार गौरव । पूर्णिया : पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया नया विवि होते हुए भी अपने स्थापना के दिन से ही चर्चित रहा है। स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर विभिन्न विषयों की पढ़ाई यहां हो रही है। पूर्णिया उत्तर पूर्व बिहार का महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्र है। पीयू में क्रॉप साइंटिस्ट एवं बायोटेक्नोलॉजिस्ट सोसायटी द्वारा आयोजित प्रथम विश्वस्तरीय कांग्रेस का आयोजन होने जा रहा है। पीयू, नेपाल और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है। पूरे भारत में पूर्णिया जिला अपनी चिकनी बालुई बाढ़ कछारी मिट्टी के लिए प्रसिद्ध है। जो विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती के लिए उपादेय हैं। 21 वीं सदी के लिए तेजी से हो रहा पर्यावरण परिवर्तन एक चिंता का विषय है और चिंतन का भी। बायोटेक्नोलॉजी और क्रॉप साइंस, दोनों के सहयोग से फसल की पैदावार में गुणात्मक परिवर्तन संभव है। इस कांग्रेस में उभरती हुई फसल पैदावार तकनीक, पर्यावरण परिवर्तन के परिस्थितिक और मानवीय पहलुओं, फसल पैदावार, बीज रोपण तकनीक और बायोटेक्नोलॉजिकल दृष्टि से फसल विज्ञान से जुड़े कई पहलुओं पर महत्वपूर्ण विचार विमर्श होगा। कुलपति कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वैश्विक कांग्रेस से प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, विद्वानों ओर छात्रों द्वारा अंतरराष्ट्रीय एवं स्थानीय कृषि क्षेत्र में किए गए शोध और नए प्रयोगों की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। इस कांग्रेस का लक्ष्य है आपस के महत्वपूर्ण तथ्यपरख शोध कार्यों, नई खोजों के आदान प्रदान से निकल कर आए तथ्यों से नए शोधकर्ताओं, नीति निर्धारकों को लाभ पहुंचे और सामान्य जनता भी क्रॉप साइंस और बायोटेक्नोलॉजी के साथ जुड़कर कृषि क्षेत्र में लाभ उठा सके। इस कांग्रेस में शोधकर्ताओं से शोध आलेख भी मांगे गए हैं और सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। यह वैश्विक कांग्रेस जो क्रॉप साइंस और बायोटेक्नोलॉजी पर आधारित है।
...तीन चरणों में संपन्न होगा :
प्री कांग्रेस (28-30 जून 2019) दार्जिलिंग में, मुख्य कांग्रेस (02-04 जुलाई 2019) पीयू में तथा पोस्ट कांग्रेस (05-07 जुलाई 2019) सिक्किम में आयोजित होने जा रहा है। क्रॉप साइंस और बायोटेक्नोलॉजी पर आधारित इस वैश्विक कांग्रेस की अध्यक्षता पीयू के कुलपति प्रो राजेश सिंह करेंगे। इस कांग्रेस में पूर्वांचल विवि, नेपाल, त्रिभुवन विवि, नेपाल, रॉयल विवि भूटान, यांगून विवि, म्यांमार, नेशनल विवि, बांग्लादेश की भी भागीदारी रहेगी।
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