- इस योजना के तहत बाकायदा शहरी क्षेत्र के हरेक वार्ड में 16-16 टर्सियरी ड्रेन बनाकर मेन ड्रेन से जोड़े जाने की योजना 2008 में लाई गई थी अमल में - मेन ड्रेन से गंदा पानी शहर में बनाए गए 26 ट्रंक ड्रेन के जरिए तीन आउटलेट तक पहुंचता और इससे शहर से बाहर गंदे पानी की निकासी हो पाती
कुमार गौरव । पूर्णिया : गत वर्ष नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री सुरेश शर्मा ने जब नगर निगम सभागार में बैठक के दौरान मास्टर प्लान पर चर्चा की थी तो ऐसा लग रहा था कि जल्द ही शहर के हालात बदल जाएंगे। लेकिन लंबा वक्त बीतने के बाद भी अभी इस दिशा में कोई सुगबुगाहट तक नहीं नजर नहीं आ रही है। बता दंे कि शहर के समग्र विकास के लिए 900 करोड़ रूपए का मास्टर प्लान तैयार किया गया है। जिसमें सभी मुख्य नालों के दाेबारा निर्माण से लेकर गंदे पानी का प्रोसेसिंग तक शामिल है। ताकि सौरा नदी व कारी कोसी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। भले ही इस मास्टर प्लान को सरजमीं पर लाने में अभी वक्त बाकी है लेकिन शहर के मुख्य नालों की जो वर्तमान स्थिति है वह काफी नारकीय बनी हुई है। गर्मी के दस्तक के साथ ही जहां मच्छरों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है वहीं दूसरी ओर बरसाती दिनों जलजमाव की सोच लोग अभी से ही सिहर रहे हैं। लिहाजा, लोगों ने मुख्य नालों की सफाई ससमय कराए जाने की मांग नगर निगम के पदाधिकारियों से की है।
...2008 में भी तैयार हुआ था मुख्य नाले का मास्टर प्लान :
इससे पूर्व वर्ष 2008 में मास्टर प्लान तैयार किया गया था। तत्कालीन डीएम डॉ एन सरवण कुमार की पहल पर यह निर्णय लिया गया था कि पूर्व से उपलब्ध करीब 11 करोड़ रूपए नाला निर्माण मद में इस प्रकार खर्च किए जाएं कि यह निर्माण कार्य ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा बन जाए। लेकिन, इसे नगर निगम की लापरवाही कहें या फिर दृढ़ इच्छाशक्ति का अभाव यह योजना महज कागजी ही साबित हुई। इसका परिणाम ये हुआ कि नालों के सुदृढ़ीकरण के लिए उपलब्ध 11 करोड़ रुपए करीब डेढ़ वर्ष पूर्व वापस हो गए। बड़ा सवाल यह कि इस पैसे की वापसी के लिए जिम्मेवार कौन है? वर्तमान में शहर के इस मुख्य नाले की स्थिति ऐसी है कि गाहे बगाहे यदि आप इस राह होकर गुजर जाएं तो नाक पर रूमाल रखना आपकी मजबूरी हो जाएगी। मास्टर प्लान के तहत शहर के सभी तीन मुख्य नालों की न सिर्फ उड़ाही की जानी थी बल्कि उनका निर्माण कार्य भी कराया जाना था।
...हरेक वार्ड में बनना था 16-16 टर्सियरी ड्रेन :
इस संबंध में तीन बार बोर्ड बैठक में वार्ड पार्षद 22 की पार्षद सरिता राय ने बाकायदा आवाज बुलंद की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पीएचईडी द्वारा डीपीआर मद में जो राशि खर्च हुई उसे काटकर नगर निगम को लौटा तो दिया लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र के हरेक वार्ड में 16-16 टर्सियरी ड्रेन बनाकर मेन ड्रेन से जोड़े जाने की योजना 2008 में अमल में ही लाई गई थी। मेन ड्रेन से गंदा पानी शहर में बनाए गए 26 ट्रंक ड्रेन के जरिए तीन आउटलेट तक पहुंचता और इस प्रकार शहर से बाहर गंदे पानी की निकासी हो पाती। इसके अंतर्गत लालगंज नाले का भी जीर्णोद्धार कार्य शामिल था। इस योजना को लेकर कोलकाता की कंपनी ने डीपीआर तैयार किया था।
...ड्रेनेज को दुरूस्त करने की थी योजना...
शहर में जलनिकासी की समस्या को हमेशा के लिए दूर करने की दिशा में जो कदम उठाए गए थे उसके तहत लालगंज ड्रेनेज के जीर्णोद्धार का काम शहर से बाहर बायपास से प्रारंभ किए जाने की योजना बनाई गई थी और करीब 04 किलोमीटर तक निर्माण कार्य कराया जाना था। जिसमें पहले से उपलब्ध 11 करोड़ रूपए के खर्च हो जाने की उम्मीद थी। यही नहीं लालगंज ड्रेनेज की गहराई 03 मीटर और चौड़ाई 02 मीटर तय की गई थी ताकि गंदे पानी का बहाव प्रभावित न हो।
...सिर्फ घोषणाओं के दम पर बिछाए गए नालों के जाल :
वर्ष 2008 में शहर के सभी वार्ड में नालों का जाल बिछाने के मकसद से योजना को हरी झंडी दिखाई गई थी। पीएचईडी द्वारा जलनिकासी के लिए बाकायदा मास्टर प्लान की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई थी। इसमें नाला निर्माण के लिए 84 करोड़ की लागत का अनुमान लगाया गया था। सरकार ने इस पीएफआर को स्वीकृति प्रदान करते हुए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार करने को कहा था। पीएचईडी ने कंसल्टेंसी की मदद से भौतिक सर्वे कर 01 अरब 56 करोड़ रूपए खर्च की वास्तविक लागत बनाई थी। इस डीपीआर को भी सरकार ने तकनीकी आधार पर मंजूरी दे दी थी।
...इसी माह मुख्य नालों की होगी उड़ाही :
शहर के सभी मुख्य नालों की साफ सफाई को लेकर जल्द ही कवायद तेज कर दी जाएगी। चुनावी प्रक्रिया में व्यस्तता के कारण इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए थे लेकिन बरसात से पूर्व हर हाल में मुख्य नालों की सूरत बदल दी जाएगी। : विजय कुमार सिंह, नगर आयुक्त, नगर निगम पूर्णिया।
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