कार्यकर्ताओं को यहाँ कोई नहीं पूछता
दुमका (अमरेन्द्र सुमन) दुमका लोकसभा क्षेत्रान्तर्गत विस क्षेत्र शिकारीपाड़ा के प्रखण्ड रानेश्वर व शिकारीपाड़ा में भाजपा कार्यकर्ताओं को पार्टी की ओर से कोई तरजीह नहीं दिये जाने से आक्रोश व असंतोष की स्थिति देखी जा रही है। पार्टी के लोकसभा ़क्षेत्र के प्रभारी सत्येन्द्र सिंह व विधानसभा प्रभारी सुनील साहू के रवैये से कार्यकर्ताओं में मायूसी छायी हुई है। पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं ने दिन मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री कमलाकांत प्रसाद सिन्हा व जवाहर मिश्रा को अपना दुखड़ा सुनाया। इन कार्यकर्ताओं का कहना था कि पार्टी के लिये कैडर बनाने से लेकर भाजपा में आस्था रखने वालों को एकजुट करने के पिछले 5 वर्षों के उनके प्रयास बेकार हो गए। कोई भी पार्टी पदाधिकारी कार्यकर्ताओं से ठीक तरीके से बात तक नहीं करते। भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता व लोजपा से शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व प्रत्याशी शिवधन मुर्मू, बबलू दत्ता, अल्पना घोष, बड़ा गुलामसुली के किशोर टुडू, गयासुद्दिन अंसारी, अफजल अंसारी, संुरेश साह ने प्रखण्ड अध्यक्ष गट्टू कनारिया पर आरोप लगाया कि प्रचार-प्रसार के लिये न तो वे किसी कार्यकर्ता को पूछते हैं और न ही झंडा-बैनर ही देते हैं। मालूम हो शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या तकरीबन दो लाख है जिसमें 32 प्रतिशत संतालों की व 14 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के खाड़ूकदमा, शहरजोरी, विशनपुर, मंझलाडीह, ढेबाडीह व अन्य ग्रामों में मुस्लिमांे का रुझान भाजपा की तरह है। इसी तरह रानेश्वर के कई ग्रामांे में इसाई धर्मावलम्बियों की संख्या काफी है जिनमें से एक बड़ी आबादी भाजपा के पक्ष में अपना विश्वास रखते हैं। पूर्व विधायक व मंत्री कमलाकांत प्रसाद सिन्हा व भाजपा के वरिष्ठ नेता जवाहर मिश्रा ने एक-एक व्यक्ति की समस्या सुनी। कार्यकर्ताओं से उपरोक्त नेताओं के संपर्क के बाद भाजपा के भीतर का अन्तर्कलह खुलकर सामने आ पहुँचा है। मोदी के नाम पर भाजपा के छुटभैये नेताओं द्वारा पार्टी की ओर से कार्यकर्ताओं के प्रचार-प्रसार मद में दी जाने वाली राशियों की बंदरबांट का आरोप यह दर्शाता है कि यदि स्थानीय स्तर पर असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को एकजुट नही किया गया तो भाजपा को इस क्षेत्र में बड़ा नुकसान हो सकता है। मालूम हो महागठबंधन की ओर से जहाँ एक ओर शिबू सोरेन बतौर प्रत्याशी मैदान में खड़े हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रत्याशी के रुप में सुनील सोरेन तीसरी मर्तबा शिबू सोरेन से दो-दो हाथ करने को आतुर दिखलायी पड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में झामुमों प्रत्याशी शिबू सोरेन से लोगांे की आस्था धीरे-धीेरे कम होती प्रतीत हो रही है। यदि भाजपा सिस्टमेटिक तरीके से इन इलाकांें में अपनी पैठ निर्वाध रख सके तो शिकारीपाड़ा से अच्छे मत की संभावना बन सकती है। आम नागरिकांे का कहना कि पिछले लोकसभा चुनाव में जेवीएम के कार्यकर्ता झामुमों के मोहजाल में नहीं फंसकर भाजपा की ओर जाना चाहते हैं किन्तु उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है। 19 मई को ही ज्ञात हो पाएगा कि शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता मोदी को अपना आईकाॅन मानते हैं या फिर झारखण्ड आन्दोलन के प्रणेता शिबू सोरेन को।
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