विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 03 जून - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 3 जून 2019

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 03 जून

विशेष अभियान चलाकर आवेदनों का निराकरण करें-कलेक्टर

vidisha news
कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने आज लंबित आवेदनों की समीक्षा बैठक में सभी विभागोे के जिलाधिकारियों को सचेत करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए है कि विभागों में लंबित आवेदनों का निराकरण विशेष अभियान चलाकर 15 दिवस के भीतर शत प्रतिशत निराकरण करें।  कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के अलावा विभिन्न आयोगों एवं वरिष्ठ कार्यालयांे के साथ-साथ अखबारों में प्रकाशित खबरो की कतरने संबंधित विभागों को कार्यवाही करने हेतु उपलब्ध कराई गई है। अतः इस ओर पुरजोर लगाकर निराकरण का ग्राफ शत प्रतिशत हो की कारगर पहल करें। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के ऐसे प्रकरण जो मांगो से संबंधित है उन्हें फोर्सक्लोज करने की कार्यवाही शीघ्रतिशीघ्र की जाए। इसी प्रकार ऐसे प्रकरण जिनका निराकरण जिला स्तर पर संभव नही है उन प्रकरणों के खिलाफ भी पूर्व उल्लेखित कार्यवाही की जाए।  कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि आगामी सप्ताह में लंबित आवेदनों की गहन समीक्षा की जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी। उन्होने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे स्वंय कार्यवाही होने से बचे इसके लिए आवेदनों का शत प्रतिशत निराकरण कराने से अपने ऊपर कार्यवाही से बच सकते है।  कलेक्टेªट के सभाकक्ष में हुई उक्त बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री मयंक अग्रवाल, अपर कलेक्टर श्री वृदांवन सिंह, एसडीएम श्री लोकेन्द्र सरल, उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री प्रवीण प्रजापति, डिप्टी कलेक्टर श्री बिजेन्द्र यादव, श्री अनिल कुमार जैन, के अलावा विभिन्न विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे। 

त्रि-स्तरीय पंचायत हेतु परिसीमन की कार्यवाही क्रियान्वित पंचायतों की फोटोयुक्त मतदाता सूची के वार्षिक पुनरीक्षण

उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री प्रवीण प्रजापति ने आज पंचायतों में परिसीमन हेतु राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देशों की जानकारी दी।  अपर कलेक्टर श्री वृदांवन सिंह ने कहा कि परिसीमन के कार्य को क्रियान्वित करने वाले यह सुनिश्चित करें कि कोई भी शहरी मतदाता का नाम ग्रामीण क्षेत्र की मतदाता सूची में जुड़ ना पाए। इसी प्रकार कोई भी मतदाता छूट ना पाए का विशेष ध्यान रखा जाए।  उप जिला निर्वाचन अधिकारी के द्वारा इस दौरान बताया गया कि मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन निगम 1995  के नियम-09 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा नियम 14 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग एतदद्वारा पंचायतों के निर्वाचन हेतु 01 जनवरी 2019 की संदर्भ तारीख के आधार पर पंचायतो की फोटोयुक्त मतदाता सूची के वार्षिक पुनरीक्षण हेतु  कार्यक्रम जारी किया गया। जारी कार्यक्रम के अनुसार उप जिला निर्वाचन अधिकारी और मास्टर ट्रेनर्स का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण 3 एवं 4 जून 2019 को, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और मास्टर ट्रेनर्स की नियुक्ति की जा चुकी है। जिला स्तरीय प्रशिक्षण 17 जून 2019 को, प्राधिकृत कर्मचारियों की नियुक्ति दावे आपत्ति केंद्रों का निर्धारण प्राधिकृत कर्मचारी डाटा एंट्री ऑपरेटर एवं अन्य समस्त संबंधितों का विकासखंड स्तरीय प्रशिक्षण 17 जून 21 जून 2019 के मध्य, भारत निर्वाचन आयोग की दिनांक 1 जनवरी 2019 की स्थिति में तैयार अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची की एक प्रति (अनुपूरक सूचियों सहित) जिला निर्वाचन कार्यालय भारत निर्वाचन से निःशुल्क प्राप्त करना और रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को प्रदान करना 17 जून 2019 को प्रथम चरण कंट्रोल रूम टेबल का वेरिफिकेशन अपडेशन और मतदान केंद्रों का युक्तियुक्तकरण कंट्रोल टेबल चैकलिस्ट की प्रति रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को प्रदान करना 17 जून 2019 को, कंट्रोल टेबल चैकलिस्ट के प्रति मतदान केंद्रों के परीक्षण और युक्तियुक्तकरण के संबंध में प्रस्ताव प्राप्त करने हेतु पंचायत के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को सौंपना 19 जून 2019 को, मतदान केंद्रों में युक्तियुक्तकरण के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को सौंपना 21 जून 2019 को, मतदान केंद्रों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण कर उन्हें अंतिम करना और कंट्रोल टेबल में यथा संशोधित करना 28 जून 2019 को, कंट्रोल टेबल का परीक्षण करना और संशोधन होने पर निर्देशानुसार यथोचित हस्ताक्षर करना 19 जून 2019 से 28 जून 2019 तक, कंट्रोल टेबल डिजिटल हस्ताक्षर से वेरिफिकेशन 1 जुलाई 2019 को तथा द्वितीय चरण (प्रारूप मतदाता सूची तैयार करना) शिफ्टिंग सूची विलोपन वेरिफिकेशन सूची और संशोधन वेरीफिकेशन सूची ई.आर.एम.एस. से जेनरेट कर रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को उपलब्ध कराना, 5 जुलाई 2019 को, शिफ्टिंग सूची, विलोपन वेरिफिकेशन सूची और संशोधन वेरीफिकेशन सूची मार्किंग हेतु प्राधिकृत कर्मचारी को उपलब्ध कराना 8 जुलाई 2019 को, शिफ्टिंग सूची, विलोपन सूची, वेकेशन सूची और संशोधन वेकेशन सूची में मार्किंग का रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को प्रदान करना 11 जुलाई 2019 को, शिफ्टिंग सूची, विलोपन सूची और संशोधित कर्मचारी द्वारा की गई रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा जांच एवं 15 जुलाई 2019 को, संबंधी विवादों के निराकरण के लिए बैठक का आयोजन करना और बैठक का कार्यवाही विवरण रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को उपलब्ध कराना 15 जुलाई 2019 से 22 जुलाई 2019 मध्य, शिफ्टिंग संबंधी विवादों के निराकरण के लिए आयोजित बैठक कार्यवाही विवरण अनुसार यथोचित कार्यवाही करना 23 जुलाई 2019 को, मार्कड शिफ्टिंग सूची, विलोपन वेरीफिकेशन सूची और संशोधन वेरिफिकेशन सूची ई.आर.एम.एस. में  प्रविष्टि हेतु वेण्डर को सौंपना 26 जुलाई 2019 को, शिफ्टिंग विलोपन और संशोधन की कार्यवाही ई.आर.एम.एस. के माध्यम से पूर्ण कर चैकलिस्ट रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को प्रदान करना  02 अगस्त 2019 को, चैकलिस्ट की जांच करना और जांच उपरांत परिलक्षित त्रुटियों को सुधारने के लिए चैकलिस्ट वेंडर को वापस करना 5 अगस्त 2019 को, त्रुटियों को सुधार कर एकीकरण कर फोटोरहित और फोटोयुक्त प्रारूप मतदाता सूची जेनरेट करना 13 अगस्त 2019 को, फोटो रहित प्ररूप मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड करना 14 अगस्त 2019 को, फोटोयुक्त मतदाता सूची का मुद्रण कर रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को प्रदान करना 19 अगस्त 2019 को, फोटोयुक्त मतदाता सूची ग्राम पंचायत एवं अन्य विहित स्थानों पर सार्वजनिक प्रकाशन 21 अगस्त 2019 को, प्रारूप मतदाता सूची का सार्वजनिक प्रकाशन किए जाने संबंधी प्रमाण पत्र अपलोड करना 26 अगस्त 2019 को, स्टैंडिंग कमेटी की बैठकों का आयोजन 21 अगस्त 2019 से 26 अगस्त 2019 के मध्य आयोजित किया जायेगा। तथा तृतीय चरण अंतिम मतदाता सूची तैयार करना। रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को जांच सूची और डुप्लीकेट सूची प्रदान करना 19 अगस्त 2019 को, दावे आपत्ति प्राप्त करने के लिए प्राधिकृत कर्मचारियों का द्वितीय प्रशिक्षण एवं उन्हें आवश्यक सामग्री प्रदान करना एवं दावा आपत्ति केंद्रों के पर्यवेक्षण हेतु नियुक्त अधिकारियों का प्रशिक्षण 14 अगस्त से 19 अगस्त 2019 तक, दावा आपत्ति केंद्र पर दावे आपत्ति प्राप्त करने की अवधि 21 अगस्त से 30 अगस्त 2019 के अपराहन 3.00 बजे तक, दावा आपत्ति आवेदन पत्रों के निराकरण की अंतिम तिथि 5 सितंबर 2019 को, निराकृत दावा आपत्ति आवेदन पत्रों की ईआरएमएस में प्रविष्टि की अंतिम तिथि 9 सितंबर 2019 को, अंतिम मतदाता सूची की चैकलिस्ट जांच हेतु रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को उपलब्ध कराना 12 सितंबर 2019 को, चैकलिस्ट की जांच कर त्रुटि सुधार उपरांत बेंडर को वापस करना 16 सितंबर 2019 को, फोटोयुक्त और फोटो सहित अंतिम मतदाता सूची जनरेट कराना 18 सितंबर 2019 को, फोटोरहित अंतिम मतदाता सूची को वेबसाइट पर अपलोड करना 20 सितंबर 2019 को, फोटोयुक्त मतदाता सूची को मुद्रित रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को उपलब्ध कराना 23 सितंबर 2019 को, मतदाता सूची ग्राम पंचायत तथा अन्य स्थानों पर सितंबर 2019 को, फोटोयुक्त अंतिम मतदाता सूची विक्रय के लिए उपलब्ध कराना 26 सितंबर 2019 को, फोटोयुक्त अंतिम मतदाता सूची के सार्वजनिक प्रकाशन का प्रमाण पत्र स्कैन कर अपलोड करना 30 सितंबर 2019 को होगा। 

अपर कलेक्टर द्वारा आपदा प्रबंधन की कार्ययोजना तय करने के निर्देश

वर्षाकाल के दौरान विदिशा जिले में किसी भी प्रकार की क्षति ना हो इसके लिए किए जाने वाले प्रबंधनों पर आज विचार विमर्श किया गया। अपर कलेक्टर श्री वृदांवन सिंह की अध्यक्षता में नवीन कलेक्टेªट के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई इस बैठक में समस्त एसडीएम एवं विभिन्न विभागो के अधिकारी मौजूद थे।  अपर कलेक्टर श्री सिंह ने सभी अधिकारियों से कहा कि बाढ़ नियंत्रण हेतु जिला स्तर पर बनाई जाने वाली कार्ययोजना को शीघ्र अंतिम रूप दिया जाए जिसमें पूर्व वर्षो के बाढ़ प्रभावी क्षेत्रों में किए गए प्रबंधो को आधार बनाया जाए। उन्होंने इस प्रकार की टीमे तहसील स्तर पर भी गठित करने के निर्देश दिए है। अपर कलेक्टर ने कहा कि टीमवर्क की भावना से आपदा प्रबंधन के कार्यो का क्रियान्वयन किया जाएं। उन्होंने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में बाढ आती है तो उस क्षेत्र के प्रभावितों के लिए ठहरने, दवाईयां, पेयजल आपूर्ति के अलावा अन्य बुनियादी सुविधाआंे की पूर्ति हेतु कार्ययोजनाओं में स्पष्ट रूप से चिन्हांकन किया जाए। अपर कलेक्टर श्री सिंह ने कि हर विभाग की अपनी टीम अपने आप तैयार रहें ताकि आवश्यकता पड़ने पर जैसे ही सूचना प्राप्त हो अविलम्ब मोर्चे पर डंट जाए। जिला मुख्यालय के साथ-साथ ग्राम स्तर पर किए जाने वाले आपदा प्रबंधन के संबंध में उनके द्वारा बिन्दुवार समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि जिन विभागों की सड़के है उन विभागों के अधिकारियों का नैतिक दायित्व है कि वे सड़कों में पड़ने वाली पुल-पुलियोें पर संकेतक चिन्हों को लगवाएं और पुल-पुलियो के दोनो तरफ कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित करते हुए बैरियर अवश्य स्थापित कराए जाएं।   बाढ़ आपदा प्रबंधन पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारियां एवं पूर्व तैयारियों और राहत बचाव के संबंध में विभागों की एकजाई जानकारी संग्रहित की जाए और जिसकी प्रतियां सभी विभागों के अधिकारियों को उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि हर विभाग के नोड्ल अधिकारी एवं उसके सहायक नोड्ल अधिकारी का नाम एवं सम्पर्क नम्बर खण्ड स्तरीय कंट्रोल रूम में अनिवार्य रूप से दर्ज कराया जाए। उन्होंने स्थानीय स्थल के गोताखोरो की सूची तैयार कर एक प्रति जिला कार्यालय को उपलब्ध कराने की बात कही।  अपर कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि विदिशा नगर क्षेत्र में बेतवा नदी और वर्षारूपी जल बस्तियों में भर जाता है जिसका चिन्हांकन पूर्व में किया जा चुका है। इसके अलावा और नए क्षेत्रों में जलभराव की संभावना हो तो उसकी सूची तैयार की जाए।  वर्षाकाल के दौरान अनुविभाग क्षेत्र के सभी अधिकारी कर्मचारी समन्वय स्थापित कर एक दूसरे से सतत सम्पर्क बनाए रखेंगे। जिला मुख्यालय के साथ-साथ सभी तहसीलों में कंट्रोल रूम बनाए जाए। जिनके नम्बर अधिक से अधिक प्रसारित किए जाएं। कंट्रोल रूम को सुव्यवस्थित रूप से संचालित करने हेतु नाम दर्ज अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए।  अपर कलेक्टर श्री सिंह के द्वारा जल संसाधन विभाग के अधिकारी को निर्देश दिए कि जिले में छोटे बडे सभी बांधों, तालाबो में जल भराव के उपरांत बेस्ट वेयर गेट खोले जाते है तो उसकी सूचना पूर्व में निचले स्तरों पर दी जाए ताकि बेस्ट वेयर के जल से प्रभावित होने वाला क्षेत्र के रहवासियों को सतर्क किया जा सकें। इसी प्रकार भोपाल के कलिया सोद डेम का पानी छोडे जाने से बेतवा नदी में जल भराव अधिक हो जाने के कारण बाढ जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है अतः भोपाल के संबंधित अधिकारियों से सतत सम्पर्क बनाए रखे और उनके द्वारा डेेम से पानी छोडे जाने की सूचनाएं पूर्व में ही प्राप्त की जाए।  अपर कलेक्टर श्री सिंह ने ऊर्जा विभाग के अधिकारी से कहा कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक जगह डीपी खुली हुई है। अतः वर्षाकाल के दौरान बिजली आपूर्ति के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना ना घटे इसके लिए तमाम प्रबंध सुनिश्चित किए जाए। स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त टीम गठित करने के निर्देश उनके द्वारा दिए गए है प्रत्येक टीम में चार-चार सदस्य शामिल होंगे। इसी प्रकार प्रत्येक थाना स्तर पर होमगार्ड विभाग के द्वारा पांच सदस्यीय टीम तैनात की जाएगी जिसमें कुशल तीन गोताखोर एवं दो उनके सहयोगी शामिल होंगे। बाढ की सूचनाएं प्राप्ति हेतु ग्राम स्तर पर ही सम्पर्क दल गठित किए जाएंगे। इस कार्य में ग्राम सुरक्षा समितियों का भी सहयोग लिया जाएगा। 

समीक्षा बैठको के आयोजन की तिथियां जारी 

कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जून माह में आयोजित समीक्षा बैठकों के आयोजनों की तिथियां जारी कर दी है। उन्होंने आज टीएल बैठक में उपरोक्त जानकारी स्वंय दी।  कलेक्टर श्री सिंह ने बताया कि सभी बैठके नवीन कलेक्टेªट के सभाकक्ष में निर्धारित तिथियों को दो पालियों में आयोजित की जाएगी। प्रथम पाली की समीक्षा बैठक प्रातः नौ बजे से तथा द्वितीय पाली की समीक्षा बैठक दोपहर एक बजे से शुरू होगी। समीक्षा बैठक में शामिल संबंधित विभाग के द्वारा पावर प्रजेन्टेशन के माध्यम से जानकारियां प्रस्तुत की जाएगी।  कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि समीक्षा बैठकों की शुरूआत राजस्व कार्यो से की जाएगी। उक्त बैठक सात जून को आयोजित की गई है। द्वितीय फेस में ग्रामीण विकास विभाग के कार्यो की समीक्षा की जाएगी। बैठक ऐजेण्डा बिन्दुओं के निर्धारण हेतु अपर कलेक्टर श्री वृदांवन सिंह को अधिकृत किया गया है।  12 जून को फस्र्ट फेस में निर्माण कार्यो की समीक्षा कलेक्टर श्री सिंह के द्वारा की जाएगी। निर्माण कार्यो के अंतर्गत पीडब्ल्यूडी, पीआईयू, पीएमजीएसबाय, आरईएस के अलावा अन्य विभाग जिनके द्वारा निर्माण कार्यो को सम्पादित किया जाता है उन विभागों के विकास कार्यो की समीक्षा की जाएगी।  12 जून को द्वितीय चरण की बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग, विधायकनिधि, सासंदनिधि, जनभागीदारी के अलावा नगरपालिका क्षेत्र में सम्पादित होने वाले विकास कार्यो की समीक्षा की जाएगी।  13 जून को फस्र्ट फेस में स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा, मत्स्य एवं शिक्षा विभाग के माध्यम से क्रियान्वित योजनाआंे की तथा 13 जून को ही द्वितीय चरण की समीक्षा बैठक दोपहर तीन बजे से आयोजित की गई है जिसमें कृषि, उद्यान, खाद्य विभाग के माध्यम से सम्पादित होने वाले कार्यो की समीक्षा की जाएगी।  14 जून को प्रथम चरण की समीक्षा बैठक में शिक्षा, स्किल डेव्हलपमेंट (आईटीआई एवं अन्य), सहकारिता विभाग, खनिज एवं कृषि उपज मंडी के कार्यो की समीक्षा शामिल है। 14 जून को ही द्वितीय चरण में जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, सामाजिक न्याय एवं उद्योग विभाग के कार्यो की समीक्षा की जाएगी। 

पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति के आवेदनों का शीघ्र सत्यापन करें

कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने आज समस्त एसडीएम एवं तहसीलदार को निर्देश देते हुए उन्हें पिछडा वर्ग छात्रवृत्ति के लंबित आवेदनों का शीघ्रतिशीघ्र सत्यापन कर रिपोर्ट जिला कार्यालय को उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए है।  बैठक में पिछडा वर्ग कल्याण विभाग के सहायक संचालक श्री एएस कुरैशी ने बताया कि विदिशा अनुविभाग क्षेत्र मंे कुल 1525 आवेदन तथा कुरवाई में 64, सिरोंज में 185, बासौदा में 1130 तथा ग्यारसपुर अनुविभाग क्षेत्र में 441 छात्रवृत्ति के आवेदन सत्यापन की प्रत्यांशा में लंबित है। 

हिट एण्ड रन के एक प्रकरण में आर्थिक मदद जारी 

कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल को आर्थिक मदद जारी कर दी है।  जारी आदेश में उल्लेख है कि विदिशा की रायपुरा बस्ती निवासी श्री दौलतराम सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल हो जाने पर बारह हजार पांच सौ रूपए की आर्थिक सहायता जारी कर दी गई है।

पॉक्सो एक्ट: बच्चों को सुरक्षा की गारंटी

समाज में नैतिक आचरण का ह्रास होता दिख रहा है. सबसे दुखद है छोटे बच्चों के साथ अनाचार. इससे न केवल बच्चे और उसके परिवार को त्रासदी से गुजरना पड़ता है बल्कि पूरा समाज इस अपराध से शर्मसार होता है. भारतीय संविधान में विभिन्न अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है किन्तु बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं था. इसका एकमात्र कारण यह है कि हमारे समाज ने इस तरह के अपराध की कल्पना भी नहीं की थी. कालान्तर में बच्चों के साथ निरंतर बढ़ते अपराधों की बढ़ती संख्या को देखकर सरकार ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया.   प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस (पॉक्सो) एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीडन से बच्चों के संरक्षण का यह अधिनियम. बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों, छेडखानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है. वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है. इस अधिनियम की धारा 4 में वो मामले संज्ञान में लिये जाते हैं, जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो. इसमें सात साल सजा से लेकर उम्र कैद और अर्थ दंड भी लगाया जा सकता है. पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुँचाई गई हो. इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.  पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है. इन धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पाँच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है. पॉक्सो एक्ट की धारा 3 में पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है, जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है. यह कानून लडके और लडकी को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है. इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है. 

पॉक्सो एक्ट में संशोधन
बारह वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म में फाँसी की सजा का प्रावधान तो पहले ही हो गया था, लेकिन आइपीसी में हुए संशोधन से यौन शोषण का शिकार होने वाले बालक छूट गए थे. अब बालकों को भी यौन शोषण से बचाने और उनके साथ दुराचार करने वालों को फाँसी की सजा का प्रावधान किया गया है. 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों (कोई भी - लडकी हो या लडकों) को यौन उत्पीडन से बचाने के बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) 2012 में संशोधन को 6 अगस्त 2018 को मंजूरी दी गयी है. संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है. 

पॉक्सो एक्ट के प्रावधान
पॉक्सो एक्ट में यौन शोषण की परिभाषा में यौन उत्पीडन, अश्लील साहित्य, सेक्सुअल और गैर सेक्सुअल हमले को शामिल किया गया है. एक्ट में भारतीय दंड संहिता 1860 के अनुसार सहमति से सेक्स करने की उम्र को 16 से बढ़ाकर 18 साल किया गया है.  एक्ट के अनुसार अगर कोई व्यक्ति (बच्चा, युवा व बुजुर्ग सभी) किसी बच्चे यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे या बच्ची के साथ उसकी सहमति या बिना सहमति के कोई     यौन कृत्य करता है तो यह पॉक्सो एक्ट के दायरे में आएगा.  यदि पति या पत्नी में से कोई भी 18 साल से कम उम्र का है और वे आपस में भी यौन कृत्य करते हैं, तो यह भी अपराध की श्रेणी में आएगा और उस पर केस दर्ज हो सकता है.  इस एक्ट के तहत सभी अपराधों की सुनवाई एक स्पेशल कोर्ट में कैमरे के सामने होती है. एक्ट में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान यह कोशिश होनी चाहिए कि पीड़ित के माता-पिता या वह जिस पर वह भरोसा करता है, मौजूद रहें. अगर अभियुक्त  किशोर है, तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) के तहत केस चलाया जाएगा.  यदि पीड़ित बच्चा दिव्यांग है या मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर है, तो विशेष अदालत को उसकी गवाही को रेकॉर्ड करने या उसे समझने के लिए अनुवादक व विशेष शिक्षक की सहायता लेनी चाहिए. अगर आरोपी ने कुछ ऐसा अपराध किया है जो बाल अपराध कानून के अलावा अन्य कानून में भी अपराध है, तो उसे सजा उस कानून के तहत होगी, जो सबसे सख्त हो.  इसमें खुद को निर्दोष साबित करने का दायित्व अभियुक्त पर होता है। इसके अलावा इसमें गलत आरोप लगाने, झूठी जानकारी देने व किसी की छवि को खराब करने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है।  ऐसे लोग जो गलत काम के लिए बच्चों का व्यापार करते हैं, वे भी इस कानून के दायरे में आते हैं। अधिनियम में यह प्रावधान भी है कि यदि कोई शख्स ये जानता है कि किसी बच्चे का यौन शोषण हुआ  है, तो इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो उसे 6 महीने की जेल और आर्थिक दंड की सजा मिल सकती है।  यह कानून बाल संरक्षक की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपता है। इसमें पुलिस को बच्चे की देखभाल सहित अन्य जिम्मेदारियाँ निभानी होती हैं. इसके अलावा पुलिस की यह     जिम्मेदारी भी बनती है कि वह मामले की जानकारी 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को भी दे, जिससे सीडब्ल्यूसी बच्चे की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठा सके. एक्ट में ये भी प्रावधान किया गया है कि केस की सुनवाई अदालत बंद कमरे में दोस्ताना माहौल में करे. बच्चे की पहचान गुप्त रखी जाए. पॉक्सो के तहत स्पेशल कोर्ट पीड़ित बच्चे को दी जाने वाली मुआवजे की राशि का निर्धारण कर सकता है. एक्ट में यह भी कहा गया है कि केस को यौन शोषण होने की तारीख से एक साल के अंदर निपटाया जाना चाहिए। पॉक्सो एक्ट में अपराधियों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है. निश्चित रूप से इस कानून से बाल यौन उत्पीडन को रोका जा सकेगा. इसमें समाज की सहभागिता भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि यौन उत्पीडन का शिकार किसी भी परिवार का कोई भी बच्चा या बच्ची हो सकती है. ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम सब मिलकर अपराध को रोकें और अपराधी को दंड दिलायें ताकि अपराधियों के मन में डर बना रहे। 

शासकीय चिकित्सालयों में ओपीडी अब अब प्रातः नौ से  सांय चार बजे तक संचालित होगी

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उप सचिव द्वारा जारी आदेश का हवाला देते हुए सिविल सर्जन सह अधीक्षक डाॅ संजय खरे ने बताया कि जिले के सभी शासकीय चिकित्सालयों में ओपीडी संचालन हेतु नवीन समय अवधि जारी की गई है।  अब प्रत्येक शासकीय चिकित्सालय में प्रातः नौ बजे से सायं चार बजे तक ओपीडी संचालित की जाएगी। अतः सभी शासकीय अस्पताल शाम चार बजे तक खुले रहेंगे। भोजन अवकाश के लिए दोपहर डेढ बजे से सवा दो बजे तक का समय नियत किया गया है। अब सांयकालीन ओपीडी शाम पांच बजे से छह बजे तक संचालित नही होगी।

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