याद करके तुझे सजल हुआ मेरा नयन,देश हित में हुए जो उन शहीदों को नमन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 28 जुलाई 2019

याद करके तुझे सजल हुआ मेरा नयन,देश हित में हुए जो उन शहीदों को नमन

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अरुण कुमार (आर्यावर्त) आजादी के दीवाने आजाद वतन कर चले गए।जी हाँ आज एक ऐसे शख्सियत का अवतरण दिवस है जिसे (भुलाना भी चाहा,लेकिन भुला न पाया)कभी कोई भूल ही नहीं सकता।देश के लिये खुद को बलिवेदी पर चढ़ने वालों में एक नाम चंद्रशेखर आजाद का है जो आज भी लोगों के दिल और दिमाग में जोश भर देता है। स्मृतिशेष आजाद जब से होश संभाला और देखा समझा कि हम तो गुलाम हैं,हमारा देश और देशवासी फिरंगियों की गुलामी कर रहे हैं।यह गुलामी उन्हें मंजूर नहीं,बस क्या था निकल पड़े वतन को आजादी दिलाने बनकर आजादी के परवाने।आजाद ने सन 1922 में गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण आजाद के विचारधारा में बदलाव आ गया और वे क्रांतिकारी गतिविधियों के विचारधारा और खुद के विचारधाराओं में समरसता होने के कारण हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एशोसिएशन से जुड़कर सक्रिय सदस्य बन गए।और इसी संस्था के जरिये आजाद ने राम प्रसाद बिस्मिल के साथ प्रथम 09 अगस्त 1925 में काकोरी काण्ड कर गायब हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्एतान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एशोसिएशन का गठन कर भगत सिंह के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉन्डर्स की हत्या करके लिया और दिल्ली पहुँचकर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया। इस तरह आजादी की लड़ाई लड़ते लड़ते एक दिन देश के गद्दारों की वजह से आजाद खुद को मौत के हवाले कर सदा सदा के लिये मृत्यु को वरण कर माँ भारती की गोद में सो गया।आजाद,आजाद थे और आजाद ही रहे कभी फिरंगियों के हाथ नही लगे हाँ फोरंगियों को लोहे की चना अवश्य ही चबबाते रहे।ऐसे ही वीर सपूतों में एक अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का अवतरण दिवस है आज,जिन्हें हम याद कर खुद को गौरवानवित महसूस करते हैं।शत शत नमन उन्हें मेरा की हम चैन से सोते हैं,घर में ही आ छुपे है गद्दार कुछ आज की हम ऐ आजाद आपको ही याद करते हैं।

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