गोवा में कांग्रेस लड़ रही है वजूद की लड़ाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 12 जुलाई 2019

गोवा में कांग्रेस लड़ रही है वजूद की लड़ाई

congress-struggle-in-goa
पणजी, 12 जुलाई, गोवा में कभी ताकतवर राजनीतिक हैसियत रखने वाली कांग्रेस अब अपना वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रही है। जिस पार्टी ने साल 2017 में हुये विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 17 सीटों पर कब्जा जमाया था वहां आज उसके दरक रहे किले को बचाने का जिम्मा महज पांच विधायकों के कंधों पर आ गया है। गत बुधवार को इस मुख्य विपक्षी दल के दस विधायक पाला बदल कर भारतीय जनता पार्टी के खेमे में पहुंच गये थे। इसमें विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर का नाम भी शामिल है। बीते दो ढाई सालों में कांग्रेस भाजपा के हाथों 13 विधायक गंवा चुकी है। वे अब सदन में भाजपा के भारी बहुमत का परचम लहरा रहे हैं। सियासी बयार की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले गोवा की विधानसभा में 40 सीटें हैं और यहां का इतिहास के पन्ने पलटे तो पता चलता है कि विधायक प्राय: अपना रंग बदल लेते हैं और सरकार बनाने गिराने का खेल शुरू हो जाता है। साल 2017 में कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे पार्टी के रूप में उभरी और तब भगवा पार्टी के पास महज 13 विधायक थे पर इसके बाद भी वे सरकार बनाने में इसलिए सफल रहे क्योंकि उन्हें तब क्षेत्रीय दलों के और निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल गया था।  कांग्रेसी खेमे का दरख़्त दरकने का सिलसिला वालोपी विधायक विश्वजीत राणे से शुरू हुआ। उन्होंने मार्च 2017 में निर्वाचन के तुरंत बाद कांग्रेस छोड़ी और अप्रैल में भाजपा में चले गए। महज पांच दिन बाद तब के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया। कांग्रेस 17 से घट कर 16 पर आ गई। राणे ने उपचुनाव जीत कर दर्ज मतदाताओं का भरोसा भी हासिल कर लिया।  कांग्रेस को दूसरा झटका अक्टूबर 2018 में तब लगा जब उसके दो विधायक सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोप्ते भाजपा में चले गये। कांग्रेस का स्कोर एक फिर घटकर 14 पर पहुंच गया।  भाजपा के लिए समस्या तब हुई जब पर्रिकर और एक अन्य विधायक फ्रांसिस डिसूजा का निधन हो गया। इससे भाजपा के विधायकों की संख्या दर्जन भर रह गई। इन चार खाली हुई सीटों पर हुये उपचुनाव में कांग्रेस को एक तो भाजपा को तीन सीटों पर सफलता मिली।  बुधवार को हुये घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के दस विधायकों ने अपनी निष्ठा बदल ली नतीजतन कांग्रेस के पास केवल पांच विधायक ही रह गये। इन पांच में से चार विधायक ऐसे हैं जो पहले राज्य की सत्ता की बतौर मुख्यमंत्री संभाल चुके हैं। कांग्रेस की किलेबंदी की कमान अब प्रतापसिंह राणे, लुजिइन्हो फेलोरियो, रवि नायक, दिगम्बर कामत (सभी पूर्व मुख्यमंत्री) और एलेक्सिओ रेजीनाल्डो लोरेंको के पास ही है। 

कोई टिप्पणी नहीं: