बिहार : चारू मजूमदार शहादत दिवस पर फासीवादी ताकतों को परास्त करने का संकल्प : माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 28 जुलाई 2019

बिहार : चारू मजूमदार शहादत दिवस पर फासीवादी ताकतों को परास्त करने का संकल्प : माले

भाकपा-माले ने नारा दिया है - एकजुट रहो और मुकाबला करो30 जुलाई को कोलकाता में आयोजित जनकन्वेंशन में बिहार से होगी दसियों हजार की भागीदारी.
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पटना 28 जुलाई 2019 भाकपा-माले के संस्थापक महासचिव काॅ. चारू मजूमदार शहादत दिवस पर आज पार्टी ने पूरे राज्य में कार्यक्रम आयोजित किए और उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लिया. पटना में माले राज्य कार्यालय में मुख्य कार्यक्रम हुआ. राज्य के विभिन्न हिस्सों में इस मौके पर पार्टी का झंडा फहराया गया, ब्रांच कमिटियों की बैठक की गई और पार्टी की केंद्रीय कमिटी की ओर से पार्टी सदस्यों के नाम जारी पत्र का पाठ किया गया. राज्य कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सबसे पहले चारु मजूमदार की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए गए और फिर तमाम शहीद साथियों के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. कार्यक्रम में मुख्य रूप से पार्टी के बिहार राज्य सचिव कुणाल, समकालीन लोकयुद्ध के संपादक बृज बिहारी पांडेय, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, पार्टी के नगर सचिव अभ्युदय, राज्य कमिटी के सदस्य उमेश सिंह व प्रकाश कुमार, संतन कुमार, लोकयुद्ध के प्रबंध संपादक संतलाल, ऐपवा की नेता विभा गुप्ता, विश्वमोहन कुमार, आरवाईए के बिहार राज्य सचिव सुधीर कुमार, निशांत कुमार सहित कई पार्टी नेता-कार्यकर्ता उपस्थित थे. जबकि आज के आयोजन का संचालन पार्टी के वरिष्ठ नेता व स्थायी समिति के सदस्य राजाराम ने किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि ऐसे दौर में जब देश में फासीवादी ताकतों का जबरदस्त उभार है, चारु मजुमदार की शिक्षा की अहमियत बढ़ जाती है. जनता के प्रत्येक हिस्से में भारी विरोध के बाद भी भाजपा सत्ता में वापस आने में सफल रही. और इस बार सत्ता में लौटते ही उसने पूरी शासन व्यवस्था को फासीवादी दिशा में मोड़ दिया है. सत्ता में दुबारा आते ही वह प्राकृतिक संसाधनों-रेलवे-हवाई अड्डों के निजीकरण, मजदूर वर्ग के अधिकारों पर हमले, जनविरोधी भारतीय वन संशोधन विधेयक आदि के जरिए काॅरपोरेटों की सेवा में जी-जान से जुट गई है. यूएपीए, एनआईए आदि कानूनों में संशोधन करके राज्य को फासीवादी दिशा में धकेलने के प्रयास जारी है. वहीं जन विरोधी शिक्षा अधिकार कानून लाया जा रहा है और सूचना के अधिकार को कमजोर कर दिया गया है. मेडिकल के क्षेत्र में भी सरकार कुचक्र कर रही है और उसकी स्वायत्ता को नष्ट कर रही है. एक देश-एक चुनाव’ के जरिए देश के संविधान, लोकतंत्र और संघीय ढांचे के खिलाफ बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. भोजन, पानी और स्वास्थ्य जैसी जरूरत की बुनियादी चीजों तथा दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के अधिकारों व जीवन पर हमले जारी हैं. दूसरी ओर, माॅब लिंचिंग की घटनायें फिर से आम हो गईं हैं. बिहार की कहानी भी कोई अलग नहीं है. विगत दो महीनों में पशु अथवा बच्चा चोरी के आरोप में कई लोगों की भीड़ हत्या कर दी गई. हत्या, लूट, बलात्कार, संस्थागत उत्पीड़न आज आम बात हो गई है. पहले चमकी बुखार मामले में सरकार की घोर नाकामी उजागर हुई और अब बाढ़ राहत-बचाव में भी सरकार का ऐसा ही उदासीन रवैया दिख रहा है.  बहरहाल, और भी आक्रामक हो चुकी मोदी सरकार और आरएसएस-भाजपा के सांप्रदायिक फासीवादी हमले का विपक्ष कोई कारगर प्रतिरोध नहीं कर पा रहा है, लेकिन भाकपा-माले जैसी क्रांतिकारी पार्टी इन ताकतों के समूल नाश तक लड़ते रहने के लिए प्रतिबद्ध है.  कामरेड चारु मजुमदार शहादत दिवस पर 30 जुलाई को हमने कोलकाता के नेताजी इन्डोर स्टेडियम में एक जन कन्वेंशन का आयोजन किया है. आज पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा वहां की आबो-हवा में सांप्रदायिक जहर घोल रही है. वह कामगार तबकों की एकता और समाज की प्रगतिशील विरासत को नष्ट करने की कोशिशें कर रही हैं. बंगाल से लेकर त्रिपुरा तक भाजपाइयों की आतंकी कार्रवाइयां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. ऐसे नाजुक समय में हमें पूरी तरह से पश्चिम बंगाल की जनता और वाम आंदोलन के साथ खड़ा होना है.  यह वक्त अपनी एकजुटता कायम रखते हुए इन ताकतों से हर स्तर पर मुकाबला करने और उन्हें निर्णायक शिकस्त देने का है.  30 जुलाई के राष्ट्रीय जनकन्वेंशन में बिहार से हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता कोलकाता पहुंच रहे हैं. 

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