अब सरकार वनाधिकार 2006 को अप्रभावी करने का मन बना लिया है,।उसके बदले भारतीय वन संशोधन विधेयक 2019 लागू करने जा रही है। इस विधेयक का क्रियान्वयन पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है।
गया,22 जुलाई। आज सोमवार को जन संगठन एकता परिषद के बैनर तले गांधी मैदान से रैली निकालकर जिलाधिकार अभिषेक सिंह के सामने जोरदार ढंग से प्रदर्शन किया गया। इसके बाद एक शिष्टमंडल जिलाधिकारी अभिषेक सिंह से मिलकर वनाधिकार कानून 2006 के तहत वनभूमि पर रहने वालों को पर्चा दिया जाए। इससे पहले शिष्टमंडल ने अपना पक्ष रखा। आदिवासी और वन निवासियों को जंगलों से बेदख़ल करना उनका संहार करने जैसा है।वनाधिकार क़ानून 2006 के तहत ख़ारिज दावा-पत्रों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासियों को जंगल से बेदख़ल करने का आदेश दिया था, जिस पर बाद में रोक लगा दी गई। पर दावा-पत्र खारिज क्यों हुए? केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि दावा-पत्र सही से नहीं भरे गए, जबकि हक़ीक़त यह है कि सरकारों की मिलीभगत से इन्हें ख़ारिज किया गया है ताकि जंगलों में खनिज संपदा के दोहन के लिए लीज़ देने में किसी तरह की परेशानी न हो। अब सरकार वनाधिकार 2006 को अप्रभावी करने का मन बना लिया है,।उसके बदले भारतीय वन संशोधन विधेयक 2019 लागू करने जा रही है। इस विधेयक का क्रियान्वयन पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है। जिलाधिकारी श्री सिंह ने समुचित कार्रवाई कर सरकार के पास अग्रसारित कर देने का भरोसा दिया। शत्रुध्न कुमार, मंजू डुंगडुंग,जगत भूषणआदि नेतृत्व किए।
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