ऐसे में हम सभी ने निर्णय लिया है कि 13 अगस्त को प्रखंड मुख्यालय,पतरघट,सहरसा पर भूमि अधिकार सत्याग्रह प्रारंभ करे और जबतक सरकार हमारी मांगों को नहीं मान लेती तबतक सत्याग्रह जारी रहेगा।
पतरघट,24 जुलाई। सहरसा जिले में है पतरघट प्रखंड। यहां काफी संख्या में महादलित रहते हैं. इनमें अधिकांश महादलित आवासीय भूमिहीन हैं।इन महादलित आवासीय भूमिहीनों का नेतृत्व ओमप्रकाश सदा,हीरालाल सदा और अशोक पासवान कर रहे हैं। त्रिमूर्ति नेताओं ने कहा कि हमलोग जन संगठन एकता परिषद के बैनर तले तीन बार पदयात्रा सत्याग्रह भाग लिए हैं। 2007 में जनादेश पदयात्रा में ग्वालियर से दिल्ली तक गए। 2012 में जन सत्याग्रह पदयात्रा में ग्वालियर से आगरा तक गए। 2018 में जनांदोलन पदयात्रा में ग्वालियर से मुरैना तक गए। बता दें कि जन,जमीन और जंगल को लेकर ग्वालियर से शुरु हुआ 25 हजार भूमिहीन ग्रामीणों और किसानों का आंदोलन मुरैना में समाप्त हो गया। एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही ने कहा कि संवाद का रास्ता खुलने से संघर्ष का रास्ता फिलहाल स्थगित किया गया है। ओमप्रकाश सदा ने कहा कि बिहार में जदयू और भाजपा सरकार को स्मरण व मांगों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से आवासीय भूमिहीनों को वासभूमि अधिकार की मांग को लेकर सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड मुख्यालय पर 13 अगस्त 2019 को भूमि अधिकार सत्याग्रह करने का निश्चय किया गया है। हीरालाल सदा ने कहा कि पिछले कई साल से हमारे हजारों भूमिहीन अभी भी वासभूमि अधिकार से वंचित हैं. हमारे समाज में किसी की मृत्यु होने पर दाह संस्कार के लिए कोई सार्वजनिक जगह नहीं है। दबंगों द्वारा लाश जलाने पर रोक लगायी जाती है। सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ हमें सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है। रोजगार के अभाव में हमारे युवा बाहर पलायन कर रहे हैं।ऐसे में हम सभी ने निर्णय लिया है कि 13 अगस्त को प्रखंड मुख्यालय,पतरघट,सहरसा पर भूमि अधिकार सत्याग्रह प्रारंभ करे और जबतक सरकार हमारी मांगों को नहीं मान लेती तबतक सत्याग्रह जारी रहेगा।
ओमप्रकाश सदा,हीरालाल सदा और अशोक पासवान ने कहा कि हमारी आठ सूत्री मांग है..
सभी आवासीय भूमिहीनों को पाँच डिसमिल आवासीय भूमि दी जाए। सरकार वासभूमि अधिकार कानून बनाए। शव के दाह संस्कार के लिए सार्वजनिक भूमि उपलब्ध कराये। मनरेगा में 150 दिन रोजगार की व्यवस्था हो।सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का सही ढंग से अनुपालन हो। 60 साल के ऊपर के सभी वृद्धों को कैम्प लगाकल वृद्धावस्था पेंशन चालू हो। सभी दलित टोलों में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जाए और सभी आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन उपलब्ध कराया जाए। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से निवेदन किया गया है कि सरकारी अधिकारी और एनजीओ के प्रमुखों को बुलाकर 'वासभूमि अधिकार कानून' बनाया जाए।
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