बिहार : ईसाई धर्मरीति के अनुसार फादर देवास्या की अंतिम विदाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

बिहार : ईसाई धर्मरीति के अनुसार फादर देवास्या की अंतिम विदाई

पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा के नेतृत्व में 110 से अधिक बिशप व फादर मिस्सा अर्पित करेंगे फादर के कुछ रिश्तेदार आ गए और कुछ केरल से आने वाले है 
father-devashya-passes-awayपटना,17 जुलाई। वयोवृद्ध फादर देवास्या चिराइल की अंतिम विदाई धार्मिक अनुष्ठान कल 18 जुलाई को ईसाई धर्मरीति के अनुसार 3 बजे से प्रेरितों की रानी ईश मंदिर (कुर्जी चर्च) में होगा. बता दें कि फादर अंतिम सांस रूबेन हॉस्पिटल में बीती रात 11 बजे लिए थे.वे 83 वर्ष के थे. और जाने महरूम फादर देवास्या चिराइल के बारे में केरल के कोट्टयम में रहने वाले थोमस और काथरिन के पुत्र हैं फादर देवास्या. इनके 2 भाई और 3 बहन हैं. इनका जन्म 01जुलाई 1936 को हुआ.केरल में स्थित पालाई मिशन होम में महज 17 साल में 1953 में प्रवेश किए.इसके एक साल के बाद 18 साल में मैंगलौर स्थित संत जोसेफ माइनर सेमिनरी में 1954 में प्रवेश किए. 3साल 21 साल में मैंगलौर स्थित संत जोसेफ में 1957 में फिलोस्फी किए.इसके 2 साल के बाद 23 साल में 1959 में बिहार आ गए.यहां के बरबीघा पल्ली में  1 साल रिजेंसी किए. फिर यहां से 24 साल में 1960 में मैंगलौर चले गए.यहां पर थियोलॉजी किए. 7 साल में पुरोहित बनने लायक पढ़ाई कर लिए. उनका पुरोहिताभिषेक 28 साल में हुआ. वह ऐतिहासिक दिवस है 02 दिसम्बर 1964. नवाभिषेकित फादर 29 साल में 1965 में सहायक के रूप में शाहपुर पल्ली में  कार्यारंभ किए. एक पुरोहित्व कार्यकाल 54 साल 2019  में जाकर सीनियर प्रिस्ट के रूप में खत्म हुआ. जमालपुर पल्ली में सहायक के रूप में 1966, बरबीघा पल्ली में सहायक के रूप में 1968, बाढ़ में सहायक पल्ली पुरोहित 1969 में, बिहार शरीफ में 1969 में स्थान्नपन पुरोहित के रूप में और 1969 में पहली बार नवादा पल्ली में पल्ली पुरोहित के रूप में कार्य करना शुरू किया. इस तरह पल्ली पुरोहित के रूप में शानदार 50 साल 2019 में पूरा किए. बरबीघा पल्ली के पल्ली पुरोहित 1979 में कार्य किए. जहानाबाद पल्ली में 1981 में ईंचार्ज रहे.1981 में ही कुर्जी महापल्ली के पल्ली पुरोहित बनें. बिशप हाउस के मिनिस्टर 1989 में बने उसी साल 1989 में निर्माण कार्य में लगाए गए.1991 में बांकीपुर के पल्ली पुरोहित रहे. 1993 में आर्च बिशप के लैंड व लींगल का कार्य संभाला. 1999 में बांकीपुर के पल्ली पुरोहित रहे.2007 से पाटलिपुत्र के पल्ली पुरोहित 2019 तक रहे. मिशन होम में 17 साल की अवस्था में प्रवेश किए और 66 साल के नन स्टॉप मैराथन धार्मिक पारी खेले. 01.07.1936 से 16.07.2019.(83 साल). बता दें कि धार्मिक अनुष्ठान के बाद चर्च के पीछे विशेष निर्मित कब्रिस्तान में दफन कर दिया जाएगा.यह लोकआस्था है कि कयामत के दिन मृतक (मुर्दा) जी उठेंगे.

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