385 दिनों के बाद भी कांड संख्या 395/2018 का उद्भेदन नहींमाननीय पटना उच्च न्यायालय में रिट दायर के बाद राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर कोर्ट में जवाब देने का आदेश
पटना,12 जुलाई। महज मोबाइल टूटने और पैसों को लेकर विवाद होने से आठ वर्षीया रवीना का अपहरण कर लिया गया. दीघा थाना क्षेत्र में है नकटा दियारा.यहां पर किसी का विवाह हुआ था. वैवाहिक भोज खाने राज कुमार राय की लाडली बेटी रवीना गयी थीं.उसी समय मोबाइल टूटने और पैसों को लेकर उत्पन्र विवाद का बदला रवीना का अपहरण करके ले लिया. दीघा में रवींद्र प्रसाद का मकान है. यहीं पर राज कुमार राय रहते हैं. वहीं सीधे अपह्णत रवीना का पिता राज कुमार राय ने मकान मालिक रवींद्र प्रसाद और उसके बेटे मनोज राय उर्फ मनोहर राय को आरोपित घोषित कर दिया.कारण मनोहर राय ने मामूली कहासुनी पर धमकी दे रखा कि इसका बड़ा अंजाम सामने आ जाएगा. इसी के आधार पर 5 अगस्त 2018 को राज कुमार दीघा थाना में आवेदन दिया. इसमें मकान मालिक रवींद्र प्रसाद और उसके बेटे मनोज राय उर्फ मनोहर राय को नामजद आरोपित घोषित कर दिया. दीघा से जुड़े अपहरण के एक बेहद ही संवेदनशील मामले में रिट के बाद माननीय पटना उच्च न्यायालय ने मामला का संज्ञान लिया.कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर कोर्ट में जवाब देने का आदेश दिया है.बता दें कि 22 जून 2018 को आठ वर्ष की लड़की का अपहरण कर लिया गया. 385 दिनों के बाद भी कांड संख्या 395/2018 का उद्भेदन नहीं हो सका है. लेकिन पुलिस ने न तो लड़की और न ही नामजद आरोपित को गिरफ्तार कर सकी है. दीघा थाना और पुलिस पदाधिकारी के समक्ष चक्कर लगाकर थक जाने वाले राज कुमार का कहना है कि कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है. वह सवाल करता है कि क्या उसकी बेटी आसमान में उड़ गयी कि धरती में ही समा गयी ? उसे खोज निकालने में दीघा थाना अक्षम हैं। तो राज कुमार फिर एसएसपी के द्वार पर दस्तक जमाने चले गए। पूर्व की तरह ही आश्वासन एक बार फिर मिला। 22 जून,2018 से ही रवीना को लेकर खाकी वर्दी राज कुमार को समझाने में लगे हैं कि आपकी बेटी की तलाश की जा रही है। इसी तरह 385 दिन गुजर गए. 8 साल की बच्ची 9 साल की हो गई. इस बीच फिरौती के रूप में 2 लाख रू.की मांग की गयी. राज कुमार राय का कहना है कि 385 दिनों के बाद भी मकान मालिक रवींद्र प्रसाद और उसके बेटे मनोज राय उर्फ मनोहर राय को पुलिस मन लगाकर पकड़ने की कोशिश नहीं कर रही है.पुलिसिया प्रयास से निराश होकर राज कुमार राय को भगवान के दर पर जाना पड़ा. अब देखना है कि कब भगवान के घर जाकर दुआ करने का परिणाम सामने आ रहा है?
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