नहीं रहे प्रगतिशील किसान महिपाल सिंह खेत में करंट लगने से हुआ निधन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

नहीं रहे प्रगतिशील किसान महिपाल सिंह खेत में करंट लगने से हुआ निधन

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भोपाल,19 जुलाई। एक प्रगतिशील किसान की मौत करंट लगने से होने की खबर है। सतना जिले के पिथौराबाद  में रहने वाले प्रगतिशील किसान  का नाम महिपाल सिंह है।  प्रत्येक दिन की तरह आज भी शुक्रवार को महिपाल खेत की सिंचाई करने गए थे। जहां विधि के विधान तहत करंट की चपेट में पड़ गए। वहीं पर दम तोड़ दिए। इस तरह महिपाल का असामयिक निधन हो गया। कहा जाता है कि महिपाल सिंह न केवल खेती के नये तरीकों की खोज में लगे रहते थे बल्कि जहां से जो जानकारी मिलती उसको अपने खेतों में आजमाया भी करते थे। इस क्षेत्र के किसानों में सक्रिय किसान थे। सभी तरह की समस्याओं का समाधान गांव में हो जाए तो ठीक है। ऐसा नहीं होने पर किसी भी सरकारी कार्यालय में जाकर करवाने में सक्षम थे।  अहिंसात्मक संघर्ष करने में अग्रणी रहते थे वे एक मुखर वक्ता  थे।  उतना ही जोश गांव के विकास को लेकर भी समय समय पर देखने को मिलता था। गांव में किसी को किसी प्रकार की समस्या हो तो सबसे पहले दिमाग में उन्हीं का नाम कौंधता। कई बार तो वे खुद भी पीड़ित के घर खड़े दिखाई देते। किसी के शुभ कार्य में भले ही देरी से पहुंचते पर किसी को गांव में दुख पड़ा है इसकी जानकारी होने के बाद उनकी मौके पर अनुपस्थिति का कोई कारण नहीं बनता था। चाहे वह 24 घंटे का कोई भी समय क्यों न रहा हो गांव में शायद ही कोई रहा हो जो उनको महिपाल सिंह रहता रहा हो सभी प्यार से एमपी सिंह कहकर बुलाते। 

हमारे घर या संस्था की तरफ जितने भी खेती किसानी को लेकर प्रशिक्षण या सेमिनार हुये शायद ही कोई ऐसा रहा हो जिससे वे अनुपस्थित रहे हों। इसका फायदा भी था। नई जानकारी तो मिलती ही लगे हाथ कार्यक्रम में शामिल हुये मंत्री, विधायक या बड़े अधिकारी से गांव के विकास की चर्चा हो जाती और किसी गांव वाले की समस्या का निदान भी।  उन्होंने चार साल पहले गोबर को पूरे खेत में पहुंचाने के लिये एक तरीका खोजा। उन्होंने एक टंकी तैयार कराई जिसमें गोबर भर देते। बाद में उस टंकी के माध्यम से बोरिंग का पानी खेत तक जाने लगा। फायदा यह हुआ कि पूरे गोवर की लेयर एक समान रूप से हर पौधे तक पहंचती। इसमें उपज भी बढ़ी। यहीं नहीं जैविक कीटनाशक भी इसी तरीके से फसल तक पहुंचाया। मैने उनके इस तरीके को खेती किसानी के 15 जुलाई 2016 के अंक में स्थान भी दिया। इसके बाद तो जानकारी लेने और इस तरीके को देखने पता नहीं कितने किसान उनके खेत तक पहुंचे। इनमें तत्कालीन आत्मा परियोजना सतना के संचालक एआर त्रिपाठी और उनकी टीम के एटीएम व बीटीएम भी शामिल रहे। इसी साल पिथौराबाद स्टेडियम में आयोजित कृषि प्रक्षेत्र दिवस में शामिल होने पहुंचे वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी बीएमएस राठौर तथा प्रदेश के बंबू मिशन संचालक वीवी सिंह साहब ने भी उनके खेत जाकर उनकी खोज को देखा और सराहा था। इस दौरान एमपी सिंह का सम्मान भी संस्था द्वारा किया गया। आज वे हमसे भले ही बिछुड़ गये हैं लेकिन हमारे दिल में हमेशा रहेंगे।

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