दुमका : शैक्षणिक तनाव, कारण एवं निवारण विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 28 जुलाई 2019

दुमका : शैक्षणिक तनाव, कारण एवं निवारण विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन)  संताल परगना कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग द्वारा संचालित मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के द्वारा कॉलेज विद्यार्थियों में शैक्षणिक तनाव, कारण एवं निवारण विषय पर दिन शनिवार को एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्र के निदेशक सह मनोविज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि समाज में प्रतिष्ठित जीवन जीने का एकमात्र आधार गुणात्मक शिक्षा एवं प्रशिक्षण है। विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा न केवल उनमे विश्वास व मानकों के अनुरूप वास्तविक जगत में उचित निर्णय लेने का मार्ग प्रशस्त करता है बल्कि नए दायित्वों के सफलतापूर्वक निर्वहन के वास्ते व गत्यात्मक व्यक्तित्व समायोजन करने का भी गुण सीखने का मौका प्रदान करता है। विडंबना है कि यही विद्यार्थी आज अकादमिक तनाव से दिनरात  गुजर रहे है। यद्यपि  तनाव जीवन का एक अहम हिस्सा होता है। तथापि यदि उसे ठीक ढंग से मैनेज नही किया गया तो यह तनाव उनमे शारीरिक,संवेगात्मक व व्यवहारिक विचलनों को जन्म देने के साथ-साथ अकादमिक गतिविधियों को भी अस्वस्थ बना देता है। कॉलेज विद्यार्थी जीवन शैली में बदलाव, अत्यधिक कार्य भार, नये दायित्वों का निर्वहन, अन्तरवैयक्तिक संबंधों से घिरे अपने को जहां तनावग्रस्त महसूस करते हैं वही उच्च आकांक्षा व प्रत्याशा के अनुरूप शैक्षणिक माहौल ना मिलना भी है तो वहीं  आर्थिक , पारिवारिक, व्यक्तिगत, वातावरण व भविष्य संबंधी आदि बातें भी उनमे ना केवल नकारात्मक मनोवृत्ति को जन्म देता है बल्कि चिंता व विषाद जैसे मानसिक विकृतियों को भी पनपने का मौका देता है।निमहान्स, बंगलुरु के एक सर्वे (2018) के अनुसार 11ः विद्यार्थी अकादमिक तनाव से आत्महत्या करते है। यह आकलित है कि कुल विद्यार्थियों में 10-30ः विद्यार्थी अकादमिक तनाव से प्रभावित रहते है। वर्त्तमान में कॉलेज विद्यार्थियों का मोबाइल पर निर्भरता भी उनमे तनाव उत्पन्न कर रहा है वो अपना व्यक्तित्व निखारने के चक्कर मे फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर आदि का इतना अधिक दीवाना बन चुके होते है कि वो अपने अकादमिक जीवन को भुला बैठते है । और परीक्षा की तारीख आती नही है कि परीक्षा फोबिया के लक्षणों से घिर जाते है।तनाव के मनोवैज्ञानिक पक्ष, लक्षणों, प्रकार, स्तर आदि की चर्चा विस्तार से करते हुए डॉ शर्मा ने तनाव को दूर करने की उपायों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक सीमा तक तनाव का रहना स्वास्थ्य व अकादमिक उपलब्धि दोनो के लिए आवश्यक होता है।पर, अकादमिक तनाव को वास्तविक रूप में नियंत्रित करने के लिए कॉलेज में नियमित पठान-पाठन के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक व गुणात्मक शैक्षणिक माहौल का होना जितना जरूरी है उतना विद्यार्थियों के लिए उसका मजबूत आत्मबल का होना (जो एक प्रोफेशनल काउंसेलर से मिलती है से परामर्श लेना,) परिवार, दोस्त, समाज आदि से संवेगात्मक सहयोग का होना, पर्याप्त नींद, भोजन,व्यायाम का होना, नशा आदि से दूर रखना, अत्यधिक कार्यभार से बचने आदि बातों को अमल में लाते हुए बुलंदी के साथ जीवन जीने की चाह होनी चाहिये। मौके पर डॉ कलानंद ठाकुर ने कहा कि बच्चों में तनाव बच्चे की इच्छा के अनुसार पढ़ाई ना होना है तो कुछ उम्र के कारण भी उत्पन्न होता है। बच्चे आपराधिक व्यवहार के अनुकरण के जैसा ही तनाव का शिकार होते है। टी वी हमे जरूरत के अनुसार देखे तो भी हम तनाव से बच सकते है। अच्छी किताबे भी हमे पढ़नी चाहिए। इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभाग की डॉ पूजा गुप्ता ने तनाव के दार्शनिक पहलुओं की चर्चा की। आचरण व नियम की परिशुद्धता रख कर भी अपने को तनाव मुक्त रख सकते है।संताली विभाग के प्रो सनातन मुर्मू आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ किलिश मरांडी ने किया। कार्यक्रम में कई छात्र छात्राये उपस्थित थे।

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