अरुण कुमार (आर्यावर्त) रामदीरी गाँव की एक सच्ची कहानी तीन बेटियों की है।लोग बुढ़ापे का सहारा लेने के लिए बेटा-बेटा की रट लगाए रहते हैं,लेकिन बेगूसराय की तीन बेटियां बेमिसाल हैं,वे किसी बेटे से कम नहीं हैं।भाई की मौत के बाद बहनों के शादी की प्रक्रिया (बरतूहारी) जब पिता ने शुरू की तो उन्हें हर जगह दहेज की ही मार पड़ रही थी।पिता की यह हालत देख अंतत: तीनों बहनों ने शादी नहीं करने का फैसला कर लिया।उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज यह तीनों बहनें मिलकर अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा करने के साथ घर की सारी जिम्मेदारियों का बोझ उठा रही हैं।जिले की रामदीरी पंचायत स्थित आकाशपुर की रघु सिंह की तीन बेटियां अभिलाषा,रूपम और निर्मला पिता का सहारा बनकर परिवार चला रही हैं।इन तीनों बहनों को किसी बात का मलाल अफसोस नहीं है कि उनकी शादी नहीं हुई है।वे सभी खुश हैं कि वे अपने पिता का सहारा बनी हुई हैं।इन तीनों बहनों को कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है।इस संबंध में समाज के कथित सेवकों का कहना है कि18 वर्ष से अधिक उम्र की लड़की को मायके में कोई सुविधा कैसे दे सकते हैं।बेगूसराय (रामदीरी) गाँव के तीन सगी बहनों की कहानी अपने आप में अनोखी और बेमिसाल है।पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों की मनमानी,दहेज प्रथा और महिलाएं कमजोर होती हैं,जैसी सोच के खिलाफ इन तीनों बहनों ने एक साथ विरोध का बिगुल फूंक दिया है।दहेज की मांग पर जहां इन तीन बहनों ने जीवन भर शादी नहीं करने का ऐलान कर दिया वहीं समाज वालों ने अपनी कसर नहीं छोड़ी और बेटियां पराई होती हैं,इसका आईना उन्हें दिखा दिया कि वह मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा हो सकती हैं।रघु सिंह को एक पुत्र और उनसे छोटी तीन बेटियां थी।तीनों बहनों की जब शादी की उम्र हुई तो दुर्भाग्य ने जकड़ लिया और बीमारी के कारण भाई की मौत हो गई।भाई अपने पीछे पत्नी और दो बेटों को छोड़ गया।आर्थिक एवं मानसिक परेशानी के बाद भी जब माता-पिता ने शादी का प्रयास किया तो लड़की सुंदर और पढ़ी लिखी देखकर लड़के वालों ने शादी के लिए तुरंत हां तो कर दिया,लेकिन दहेज में तगड़ी रकम की मांग भी रख दी।पिता की हालत देख बड़ी बेटी अभिलाषा ने शादी नहीं करने का ऐलान किया तो उससे छोटी दोनों बहनों ने भी जीवन भर शादी नहीं करने का निर्णय ले लिया।आज तीनों बहनें मिलकर ना सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा कर रही हैं।बल्कि अपने बूढ़े मां-बाप की सेवा और देखभाल के साथ अपने भाई की विधवा पत्नी और बच्चों का भी भरण पोषण कर रही हैं।बातचीत के दौरान मां प्रभा देवी ने बेटियों की शादी नहीं करने का कारण दहेज रूपी दानव को बताया।बहनों ने आर्थिक तंगी,माता-पिता की सेवा और भतीजों की परवरिश व जवाबदेही निभाना शादी से इंकार करने का कारण बताया।बहनों ने बताया कि समाज के ठेकेदार उन्हें शादी नहीं करने के कारण परेशान करते रहते हैं।उन्हें तरह-तरह के ताने मारे जाते हैं।वे हमेशा चैलेंज करते रहते हैं कि जब तक तुम लोग अपने माता-पिता के साथ में रहेंगी,तब तक उन्हें ना पेंशन मिलेगी और ना ही आवास योजना समेत किसी भी तरह की सरकारी सहायता।लेकिन वे लोग इसकी परवाह नहीं करती हैं।कहती हैं जब ऊपर वाले को यही मंजूर है तो हमें भी उनका फैसला मंजूर है।भगवान चाहें जैसे भी रखें हमें हम वैसे ही खुश हैं।
शनिवार, 20 जुलाई 2019
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बेगूसराय : सगी तीन बहनों की भीष्म प्रतिज्ञा एक सच जो कड़वी नहीं बल्कि मीठी है
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