- उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं की पहचान एवं प्रबंधन पर बल
पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक माह की नौंवीं तारीख को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में मंगलवार को सदर अस्पताल सहित प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र पर गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गई। साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं की पहचान कर उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया। इस अवसर पर हॉस्पिटल मैनेजर सिंपी कुमारी ने बताया कि इस सदर अस्पताल में 49 गर्भवती महिलाओं की निःशुल्क प्रसव पूर्व जांच की गई। इसमें उच्च रक्तचाप, वजन, शारीरिक जांच, मधुमेह, एचआईवी एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर अन्य जांच की गई। साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं को भी चिन्हित किया गया एवं बेहतर प्रबंधन के लिए दवा के साथ जरुरी परामर्श दिया गया। जांच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गई। एनीमिक महिलाओं को हरी साग सब्जी, दूध, सोयाबीन, फल, भूना हुआ चना एवं गुड़ खाने की सलाह दी गई। साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गई। सिविल सर्जन डॉ मधुसूदन प्रसाद ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जांच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।
...उच्च जोखिम गर्भधारण की पहचान जरुरी :
गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जांच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है। संपूर्ण प्रसव पूर्व जांच के अभाव में उच्च जोखिम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती। इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था में 7 ग्राम से खून का कम होना, गर्भावस्था में मधुमेह का होना, एचआईवी, पॉजिटिव होना (एड्स पीड़ित), कम उम्र में गर्भधारण, अत्यधिक वजन का कम या अधिक होना, पूर्व में सिजेरियन प्रसव का होना, अन्य जटिल रोग से पीड़ित होना, उच्च रक्तचाप की शिकायत होना इत्यादि उच्च जोख़िम गर्भधारण के कारण होते हैं।
...संशोधित प्रारूप में रिपोर्टिंग :
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के कुशल क्रियान्वयन के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति ने पत्र जारी कर मासिक प्रतिवेदन संशोधित प्रपत्र में भरकर सभी स्वास्थ्य संस्थानों से पीएमएसएमए पोर्टल पर 25 तारीख तक अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। संशोधित प्रपत्र में गर्भवतियों के प्रसव पूर्व जांच के लिए शामिल किए गए सभी मेडिकल जांच का ब्योरा, जांच करने वाले चिकित्सक का पद एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा प्रदान की जाने वाली जांच की सुविधा के साथ उच्च जोखिम गर्भधारण वाली महिलाओं की संख्या, प्रबंधन का स्तर एवं रेफर हुई महिलाओं की संख्या को शामिल किया गया है।
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