पूर्णिया : बिहार में बहुत बड़ी जनसंख्या रोजगार को मछली उत्पादन पर निर्भर : डाॅ पारस नाथ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 1 सितंबर 2019

पूर्णिया : बिहार में बहुत बड़ी जनसंख्या रोजगार को मछली उत्पादन पर निर्भर : डाॅ पारस नाथ

- मखाना सह मछली उत्पादन तकनीक विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र के दूसरे दिन कार्यक्रम आयोजित- मुख्यमंत्री शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम अंतर्गत मध्य विद्यालय महलबाड़ी डगरूआ पूर्णिया के कुल 40 छात्र छात्राओं ने किया शैक्षणिक भ्रमण
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पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता)  : भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के द्वारा पांच दिवसीय आत्मा, मधुबनी बिहार द्वारा प्रायोजित मखाना सह मछली उत्पादन तकनीक विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र के दूसरे दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता सह अधिष्ठाता सह प्राचार्य डाॅ पारस नाथ ने की। प्राचार्य ने कार्यक्रम के दूसरे दिन के प्रशिक्षणर्थियों से फीडबैक लिया। प्राचार्य ने मखाना उत्पादक किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि बिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रुप से कृषि, पशुपालन एवं मत्स्यपालन पर आधारित है। राज्य में मत्स्य पालन, पोषण सुरक्षा एवं रोजगार के लिए वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। सूबे में बहुत बड़ी जनसंख्या रोजगार को मछली उत्पादन पर निर्भर है। कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक मखाना वैज्ञानिक डाॅ अनिल कुमार ने मखाना उत्पादन के लिए वैज्ञानिक विधि से पौधशाला तैयार करने की जानकारी दी। डाॅ सुदय प्रसाद, सहायक प्राध्यापक सह कनीय वैज्ञानिक, जीव जंतु विशेषज्ञ, (मत्स्य पालन) ने मधुबनी जिले से आए हुए मखाना उत्पादक किसानों को जानकारी देते हुए कहा कि मछली पालन में जीरा संचयन, तालाब प्रबंधन, तालाब की तैयारी, खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग एवं मत्स्य स्पाॅन के लिए पूरक आहार तथा चूने का व्यवहार बहुत ही सावधानीपूर्वक एवं विशेषज्ञ की देखरेख में करनी चाहिए। बताया कि मखाना सह मछली पालन जलजमाव वाले क्षेत्र में किया जाना चाहिए।  अंगुलिका संचयन के पूर्व पुराने तालाबों को गर्मी के मौसम में सूखाकर जुताई करनी चाहिए। इससे सभी अंवाछित मछलियों, जलीय खर पतवारों से मुक्ति मिल जाती है एवं तालाब में पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है। कृत्रिम भोजन/पूरक आहार/मत्स्य आहार के रुप में सरसों की खल्ली, चावल कुन्नी, राईसब्रान, मकई आटा मिनरल एवं विटामिन मिश्रण इत्यादि मिलाकर प्रतिदिन देना चाहिए। जिसमें राइस ब्रान/मकई आटा एवं सरसो खल्ली की मात्रा बराबर होनी चाहिए। तालाब की तलहटी साफ रहनी चाहिए। इसमें कोई पत्थर या पेड़ की जड़ इत्यादि न छोड़ें क्योेंकि इससे मछली निकालने हेतु जाल चलाने में परेशानी होती है। तालाब को एक तरफ ढालू बनाएं ताकि जरुरत पड़ने पर संपूर्ण पानी को निकाला जा सके। बरसात के दिनों एकत्र अधिक पानी को बाहर निकालने के लिए भी तालाब के बांध के ऊपर की तरफ पाइप लगा होना चाहिए। इन दोनों पाइपों में कपड़े की महीन जाली लगानी चाहिए ताकि तालाब में पाली गयी मछलियां बाहर न जा सके तथा बाहर की अवांछनीय मछलियां अंदर न आ सके। अगर मछली हवा में सांस लेने के लिए पानी की सतह पर आए तो समझना चाहिए कि तालाब में आॅक्सीजन की कमी है। इसके लिए तालाब से पानी बदलने की व्यवस्था करनी चाहिए या पंप द्वारा तालाब की तलहटी के पानी को फव्वारे जैसा तालाब में फेंके। मुख्यमंत्री शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम अंतर्गत मध्य विद्यालय महलबाड़ी डगरूआ पूर्णिया के कुल 40 छात्र छात्राओं ने प्रधानाध्यापक मो फिरोज के साथ महाविद्यालय का भ्रमण किया। कृषि की तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के साथ साथ स्नातक कृषि में प्रवेश प्रक्रिया के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। इस मौके पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में मधुबनी जिले के किसान सीताराम यादव, राजकुमार मुखिया, रामबहादुर मुखिया, गणेश मुखिया, कुशेश्वर सहनी, अशोक मंडल, कुंदन कुमार भारती, उमेश कुमार सिंह, झमेली महरा, सौरभ कुमार, रामश्रृंगार कामत, महेश्वर ठाकुर, शंकर मुखिया, रामजी मुखिया, नथुनी मुखिया, अशोक कुमार सिंह, मनोरंजन प्रसाद सिंह, राउडी मुखिया, जीबछ साह आदि मखाना उत्पादक कृषकों ने उत्साह पूर्वक भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य वैज्ञानिकों में डाॅ जेएन श्रीवास्तव, डाॅ जनार्दन प्रसाद, डाॅ अनिल कुमार, डाॅ तपन गोराई, डाॅ रूबी साहा, जयप्रकाश प्रसाद, डाॅ सुदय प्रसाद एवं कर्मचारियों ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ अनिल कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ पंकज कुमार यादव द्वारा किया गया।

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