पूर्णिया : 155 वर्ष पुराना नगर निकाय नहीं हो सका ओडीएफ, 46 वार्ड की आधी आबादी खुले में शौच को है मजबूर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 सितंबर 2019

पूर्णिया : 155 वर्ष पुराना नगर निकाय नहीं हो सका ओडीएफ, 46 वार्ड की आधी आबादी खुले में शौच को है मजबूर

- 46 वार्डों वाले इस शहर की आबादी करीब 3.50 लाख है, जिसमें लगभग एक दर्जन से ज्यादा वार्ड की आबादी ग्रामीण परिवेश के अनुसार जीवनयापन करने को मजबूर है- शहर की बड़ी आबादी बिहार सरकार, खासमहल, अवैध कब्जा वाली जमीन पर ही निवास कर रही है, जिन्हें नहीं मिली है शौचालय निर्माण की राशि 
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पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : एक ओर जहां सूबाई सरकार व स्थानीय प्रशासन के द्वारा जिले को ओडीएफ बनाने की मुहिम को गति दी जा रही है। वहीं दूसरी ओर वार्ड 22 की पार्षद सरिता राय ने जिलाधिकारी राहुल कुमार को पत्र प्रेषित कर शहरी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त कराने की अपील की है। पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा कि पूर्णिया नगरपालिका के रूप में 1864 में स्थापित हुआ था। इस नगर निकाय का अस्तित्व 155 वर्षों का है और 92 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में इस शहर का फैलाव है। कुल 46 वार्डों वाले इस शहर की आबादी करीब 3.50 लाख है। जिसमें से लगभग एक दर्जन से ज्यादा वार्ड की आबादी ग्रामीण परिवेश के अनुसार जीवनयापन करने को मजबूर है। इन वार्डों में आज भी लोग खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि लाख प्रयास के बाद भी शहरी क्षेत्र को आजतक ओडीएफ घोषित नहीं किया जा सका है। 

...हाट बाजार या फिर सार्वजनिक जगहों पर नहीं है शौचालय व यूरिनल : 
जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए सरिता राय ने कहा कि शहर के व्यावसायिक भवन, हाट बाजार, निजी मार्केट कॉम्पलेक्स, खेल मैदान, सार्वजनिक या सरकारी स्थल वाले क्षेत्रों में आमजनों के लिए सार्वजनिक शौचालय तक की व्यवस्था नहीं की गई है। जिसका निर्माण होना बेहद जरूरी है। हालांकि इस मुद्दे को उन्होंने कई बार निगम की बोर्ड बैठक में भी उठाया। लेकिन शहर के 56 जगहों पर सार्वजनिक शौचालय निर्माण का प्रस्ताव लाने के बाद आगे कुछ खास नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि नगर निगम के द्वारा वैसे शौचालय लाभुकों को ही राशि आवंटित की गई है जिनके पास खतियानी जमीन है। जबकि शहर की बड़ी आबादी आज भी बिहार सरकार, खासमहल, अवैध कब्जा वाली जमीन पर ही निवास कर रही है। जिसमें अधिकांश मजदूर तबके के लोग शामिल हैं। उन्हें स्वच्छता अभियान से निर्मित होने वाले शौचालय की अनुदान राशि से जहां वंचित रखा गया है वहीं उनके लिए सामुदायिक या फिर सार्वजनिक शौचालय व यूरिनल का निर्माण तक नहीं कराया गया है। 

...निविदा अभिलेखों की हो जांच : 
सरिता राय ने बताया कि एक साल से नगर निगम क्षेत्र में 56 जगहों पर डिलक्स शौचालय, सामुदायिक शौचालय व यूरिनल के निर्माण की योजना पारित होकर निविदा संबंधी अभिलेखों की शोभा की वस्तु बनी हुई है। जिस पर निविदा आहुत होने के बाद भी निर्माण स्थल पर क्रियान्वित नहीं हो पा रही है। उन्होंने कयास लगाए कि जो निविदा आमंत्रण सूचना 7 वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए शौचालय निर्माण के लिए आहुत की गई है उसका भी निष्पादन हो पाना संभव नहीं दिख रहा है। उन्होंने जिलाधिकारी से सभी 56 डिलक्स व सार्वजनिक शौचालय निर्माण के अभिलेखों की जांच कराने का भी आग्रह किया है। यही नहीं जो नगर निगम शहर को ओडीएफ कराने में अहम भूमिका निभाएगा वहां भी आमजनों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे नगर निगम की कार्यशैली स्पष्ट रूप से सामने आ रही है। उन्होंने इस दिशा में सार्थक व ठोस कदम उठाए जाने की मांग जिलाधिकारी से की है।

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