बिहार : मोदी की कारपोरेटपरस्त नीतियों के कारण आज देश भयानक मंदी की चपेट में: दीपंकर भट्टाचार्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 9 नवंबर 2019

बिहार : मोदी की कारपोरेटपरस्त नीतियों के कारण आज देश भयानक मंदी की चपेट में: दीपंकर भट्टाचार्य

गेट पब्लिक लाइब्रेरी के मैदान में दसियों हजार खेत व ग्रामीण तथा मनरेगा मजदूरों का जुटान.पटना-दिल्ली सरकार की पंूजीपरस्त नीतियों के खिलाफ आंदोलन तेज करने का आह्वानमंदिर-मस्जिद पर चर्चा की बजाए शिक्षा-रोजगार-जमीन और जनता के मुद्दों पर हो चर्चाबाबरी मस्जिद गिराने वाली ताकतों को सजा मिलनी चाहिए
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पटना 9 नवंबर 2.019 ,अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा-खेग्रामस के 6 ठे राज्य सम्मेलन के अवसर पर आज गर्दनीबाग स्थित गेट पब्लिक लाइब्रेरी के मैदान में बिहार के हजारों खेत-ग्रामीण व मनरेगा मजदूरों का जुटान हुआ. सम्मेलन में महिलाओं की भी बड़ी संख्या शामिल थी. यह सम्मेलन नफरत नहीं रोजगार चाहिए, बराबरी का अधिकार चाहिए और मनरेगा में कम से कम 200 दिन काम व प्रति दिन 500 रु. प्रति दिन न्यूनतम मजदूरी की मांग पर आयोजित थी. प्रदर्शनकारियों की मांगों से संबंधित तख्तियों व लाल झंडे से पूरा मैदान और गर्दनीबाग का इलाका उमड़ पड़ा था. आज की सभा व रैली के मुख्य वक्ता भाकपा-माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य थे. उनके अलावा भी माले व खेग्रामस के कई नेता मंच पर उपस्थित थे. अपने वक्तव्य की शुरूआत में माले महासचिव ने कहा कि आज से तीन साल पहले नरेन्द्र मोदी ने देश में अचानक नोटबंदी कर दी थी. फिर आधा-अधूरा जीएसटी लेकर आए. लगातार उनकी सरकार अंबानी-अडानी और बड़े पंूजीपतियों की ही सेवा में लगी रहती है. यही कारण है कि आज देश भीषण मंदी के दौर से गुजर रही है. मंदी का असर ऐसा है कि पांच रुपए वाले बिस्किट पर भी संकट आ गया है. राशन-व्यवस्था नहीं चल रही है. भूख से लगातार मौतें हो रही हैं. न जेब में पैसे हंै, न मनरेगा में काम है, न मजदूरी है. 

यह मंदी किसी प्राकृतिक कारण से नहीं है. यह सिर्फ इसलिए है कि देश की सरकार बड़े पूंजीपतियों की सेवा में लगी हुई है और मजदूर-किसानों की कोई बात नहीं हो रही है. सरकार ने तो जमीन, मजदूरी, रोजगार के सवाल पर बात करना छोड़ ही दिया, , वे चाहते हैं कि हम भी इसपर चर्चा करने छोड़ दे. वे चाहते हैं कि हम हिंदु-मुस्लिम विवाद या फिर मंदिर-मस्जिद पर चर्चा करें. आज के सम्मेलन से यह तय करके जाएं कि हम अपने ही मुद्दों पर बात करेंगे.  आर्थिक मंदी से सबलोग परेशान है. छोटे पूंजीपतियों से लेकर व्यवसाायी परेशान है. मोदी जी ने मंदी दूर करने के नाम पर रिजर्व बैंक का 1 लाख 76 हजार करोड़ पैसा ले लिया. तो उसका खर्च आर्थिक संकट के समाधान में होना चाहिए था. वृद्धा, विधवा, विकलांगों को कम से कम 3000 रु. प्रति माह पेंशन मिलना चाहिए था. यह पैसा यदि गरीबों के पास तो यह फिर इसी बाजार में खर्च होता. मनेरगा में साल भर रोजगार की गारंटी और 500 रु. न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की जाती,  लेकिन सरकार ने वह पैसा मजदूरी अथवा पेंशन में खर्च करने की बजाए उलटे पूंजपतियों को ही देने में लगी हुई है. इससे आम लोगों का संकट और बढ़ेगा ही. माले महासचिव ने एनआरसी पर सवाल उठाया. कहा कि असम के बाद भाजपा-आरएसएस पूरे देश में एनआरसी लागू करना चाहते हंै. 1951 के पहले के कागजात मांगे जा रहे हैं, अब उसके आधार पर नागरिकता की सूची बनेगी. जबकि कागजी तौर पर ही सही, बिहार व अधिकांश राज्यों में जमींदारी उन्मूलन 1951 के बाद हुआ है. यानी कि यह सरकार हमें अब जमींदारी के दौर में ले जाना चाहती है. अधिकांश गरीबों के पास आज भी जमीन के कोई कागजात नहीं है. इसलिए इस एनआरसी का पूरे देश में जबरदस्त विरोध होना चाहिए क्योंकि इसकी सर्वाधिक मार दलित गरीबों, मजदूर-किसानों पर ही पड़ने वाली है.

आज सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के संबंध में उन्होंने कहा कि अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराया जाना गलत है. अतः जिन्होंने बाबरी ढांचा गिराया उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए. हमें किसी मंदिर-मस्जिद विवाद में नहीं पड़ना है, बल्कि शिक्षा, रोजगार, जमीन, राशन-किरासन, मजदूरी, पेंशन आदि सवालों पर अपने आंदोलन को आगे बढ़ाना है . आज बिहार में भी सांप्रदायिक ताकतों की चांदी है. पर्व-त्योहार की आड़ में दंगा-फसाद को बढ़ावा दिया जा रहा है. हाल ही में जहानबााद में हमने देखा कि किस प्रकार अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले हुए. छठ के मौके पर मधेपुरा के डीएम ने सांप्रदायिक उन्माद बढ़ाने वाले बयान दिए. हमें इन तमाम चीजों से सावधान रहना है. बिहार में विधानसभा चुनाव आने वाला है. इस चुनाव में गरीबों की अपनी दावेदारी दिखलानी होगी. बिहार के गरीबों के विकास से ही बिहार का विकास होगा. चुनाव जनता के मुद्दों पर होने चाहिए और भाजपा-आरएसएस द्वारा फैलाए जा रहे झूठ-अफवाह व झांसे में हमें नहीं आना है. इधर-उधर पाला बदलने वाली पार्टियों से भी हमें सतर्क रहना है. सभा को माले महासचिव के अलावा खेग्रामस के सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, विधायक दल के नेता काॅ. महबूब आलम, विधायक सत्यदेव राम, विधायक सुदामा प्रसाद, आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) की राज्य अध्यक्ष शशि यादव, रसोइया संघ की नेता सरोज चैबे, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी आदि नेताओं ने संबोधित किया. इसके पूर्व सम्मेलन की शुरूआत संगठन के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा ने अपने स्वागत भाषण से किया. सभा का संचालन खेग्रामस के बिहार राज्य अध्यक्ष वीरेन््रद प्रसाद गुप्ता व राज्य सचिव गोपाल रविदास ने की. मंच पर इन नेताओं के अलावा भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, माले के बिहार राज्य सचिव काॅ. कुणाल, काॅ. केडी यादव, काॅ. आरएन ठाकुर, काॅ. अरूण सिंह, काॅ. शिवसागर शमार्, काॅ. पंकज सिंह आदि नेता उपस्थित थे.

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