माले प्रतिनिधिमंडल ने एम्स जाकर घायलों से मुलाकात की, पत्रकारों पर हमला निंदनीय, यह संविधान-लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है
पटना 22 दिसंबर (आर्यावर्त संवाददाता) सीएए व एनआरसी के खिलाफ 21 दिसंबर के बिहार बंद के दौरान पटना के फुलवारीशरीफ में बंद समर्थकों पर हमला प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. यदि प्रशासन ने समय रहते दंगाइयों पर लगाम लगाया होता, तो उक्त घटना को रोका जा सकता था. टमटम पड़ाव के पास बंद समर्थकों पर हुए पथराव व फायरिंग के पीछे मूलतः आरएसएस व बजरंगज दल का हाथ है. इन लोगों ने 19 दिसंबर के बिहार बंद में भी उत्पात फैलाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे नाकामयाब कर दिया गया. लेकिन 21 दिसंबर को वे अपनी मंशा में सफल रहे और बहुत सुनियोजित तरीके से हमले को अंजाम दिया. उनके द्वारा की गई फायरिंग व पथराव के कारण कई बंद समर्थक बुरी तरह घायल हो गए, जो मुस्लिम समाज से आते हैं. जाहिर है दंगाइयों ने उन्हें जान-बूझकर टारेगट किया. घायलों में 10 का इलाज एम्स पटना में चल रहा है, तो एक का इलाज पीएमसीएच में. लापरवाही बरतने के लिए फुलवारी थाना प्रशासन पर अविलंब कार्रवाई होनी चाहिए. नीतीश कुमार को इस मसले पर गंभीरता से सोचना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने पूरी तरह दंगाइयों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. उक्त बातें भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने आज फुलवारीशरीफ घटना में घायलों व उनके परिजनों से मुलाकात के बाद कही. आज भाकपा-माले की एक उच्चस्तरीय जांच टीम ने फुलवारीशरीफ की घटना का बारीकी से अध्ययन किया. जांच टीम में उनके अलावा पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, पटना जिला के सचिव अमर, खेग्रामस के राज्य सचिव गोपाल रविदास, पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण प्रसाद, मुखिया जयप्रकाश पासवान, गुरूदेव दास, योगेन्द्र यादव आदि नेता शामिल थे. जांच टीम ने एम्स जाकर घायलों व उनके परिजनों से मुलाकात की और पूरे मामले की गंभीरता से जांच-पड़ताल की.
जांच टीम ने घायलों व उनके परिजनों से मुलाकात के अलावा स्थानीय लोगों व स्थानीय थाना के पदाधिकारियों से भी बातचीत की. बातचीत से यह खुलासा हुआ कि टमटम पड़ाव के आगे सरस्वती शिशु मंदिर का इलाका आरएसएस का मुहल्ला है. प्रशासन ने भी कहा कि इस तरह की आशंका पहलेे से थी, फिर भी प्रशासन ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया. प्रशासन ने जांच टीम को बताया कि उसने 100 लोगों की लिस्ट बनाई है, जिसमें 23 हिन्दू व 17 मुस्लिम समुदाय के लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जांच टीम ने उनसे हमले के मुख्य सूत्रधारकों को गिरफ्तार करने की मांग उठाई. कहा कि ऐसा करने के बजाए प्रशासन उलटे अल्पसंख्यक समुदाय के गांवों में छापेमारी कर रही है, जो ठीक नहीं है. जांच टीम को प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ओरिएंटल बैंक के पास सुबह में 2 ट्रैक्टर रोड़ा जमा किया गया था. उसी बैंक की छत से पहले रोड़ा चलाया गया और फिर फायरिंग की गई. पेठिया मुस्लिम मुहल्ले में भी हमले की कोशिश की गई, जिसे नाकाम कर दिया गया. जाहिर बात है कि पूरी कार्रवाई बहुत ही सोच विचारकर बनाई गई थी. सीएए व एनआरसी के खिलाफ उठ खड़े हुए तूफान को संघ गिरोह सांप्रदायिक रंग देने में लगा है. जांच टीम ने एक-एक घायल से मुलाकात की. मो. शहनवाज जिनके गर्दन की हड्डी में गोली फंसी हुई है, का एक आॅपरेशन हो चुका है, फिलहाल उनकी स्थिति स्टेबल है. मो. अशरफ को पेट में गोली लगी हुई है. ये दोनों फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं. मो. आलम (पेट में गोली फंसी है), मो. सबीर आलम (पैर में गोली फंसी है), मो. फैजल (कूल्हे की हड्डी में गोली), मो. इरफान (नाक पर चोट), मो. अनस (सर में चोट), मो. तौसीफ (आंख व माथे पर चोट), मो. अकबर (जांघ की हड्डी में फ्रैक्चर) तथा शैलन्द्र कुमार (पांव का फ्रैक्चर) से माले प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की.
भाकपा-माले जांच दल ने लारपवारी बरतने के लिए स्थानीय प्रशासन पर कार्रवाई करने, अल्पसंख्यक समुदाय पर छापेमारी रोकने, हमले के रिंग लीडरों को गिरफ्तार करने, घायलों के समुचित इलाज व 2-2 लाख का मुआवजा प्रदान करने आदि मांगें उठाई हैं. भाकपा-माले ने 21 दिसंबर के बिहार बंद के दौरान पत्रकारों पर हमले की भी कड़ी भत्र्सना की है. कहा कि अभी लड़ाई संविधान व लोकतंत्र को बचाने की है. हम सबको मिलकर इसे अंजाम तक पहुंचाना है. इसलिए इस प्रकार की कार्रवाइयों को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. आगे कहा कि आज पूरा देश सीएए व एनआरसी के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है, लेकिन भाजपा, एबीवीपी और अन्य संगठन उसके पक्ष में उन्माद व नफरत का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार आखिर कब तक चुप रहेंगे? भाकपा-माले सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात फैलाने वाली ताकतों पर सख्ती से लगाम लगाने और आम लोगों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी करने की मांग करती है. साथ ही, बिहार की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की. कहा कि सीएए व एनआरसी के खिलाफ हमें एक लंबी लड़ाई लड़नी है.
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