बिहार : पटना में एन.सी.आर व सी.ए.ए.के खिलाफ चार दिनों से जमकर विरोध,धरना जारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 21 जनवरी 2020

बिहार : पटना में एन.सी.आर व सी.ए.ए.के खिलाफ चार दिनों से जमकर विरोध,धरना जारी

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पटना,20 जनवरी। शाहीन बाग की तरह ही पटना के दीघा न्यू कॉलोनी के सामने एन.सी.आर व सी.ए.ए.के खिलाफ जमकर विरोध किया जा रहा है।चार दिनों से जारी धरना में महिलाओं की उपस्थिति अधिक रहती है।गौरतलब है कि उपस्थित महिलाएं पीएम नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ जोरदार विचार व्यक्त कर रही हैं। संविधान के तहत हिंदू,मुस्लिम, सिख,ईसाई को भाई-भाई बने रहने दो। अटूट एकता को तोड़ने का प्रयास न करें। यह आंदोलन जारी है और जारी रहेगा। वक्ताओं में राजद नेता व पूर्व मुखिया भाई धर्मेंद्र, कॉग्रेसी नेता शशि रंजन, आइसा की प्रियंका प्रियदर्शी आदि ने अपने संबोधन मेें विस्तार से बीजेपी की राजनीतिक के बारे में कहते रहे कि भारतीय संविधान के तहत नहीं चल रहे हैं। केवल मुसलमानों के पीछे पड़ गए हैं। इन नेताओं ने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी भारत सरकार द्वारा निर्मित एक पंजी है जिसमें उन भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो असम के वास्तविक (वैध) नागरिक हैं । यह पंजी विशेष रूप से असम के लिए ही निर्मित की गयी थी। किन्तु 20 नवम्बर 2019 को भारत के गृहमंत्री  अमित शाह ने संसद में वक्तव्य दिया था कि इस पंजी का पूरे भारत में विस्तार किया जाएगा। कहा था कि इसे भारत की जनगणना 1951 के बाद 1951 में तैयार किया गया था। इसे जनगणना के दौरान वर्णित सभी व्यक्तियों के विवरणों के आधार पर तैयार किया गया था। जो लोग असम में बांग्लादेश बनने के पहले (25 मार्च 1971 के पहले) आए है, केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जाएगा। आपको बता दें की भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अंग्रेजी में Indian National Register of Citizens कहा जाता है जो NRC की फुल फॉर्म भी है, और असम भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC ) है। नागरिकता हेतु प्रस्तुत लगभग दो करोड़ से अधिक दावों (इनमें लगभग 38 लाख लोग ऐसे भी थे जिनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावजों पर संदेह था) की जाँच पूरी होने के बाद न्यायालय द्वारा एन.आर.सी. के पहले मसौदे को 31 दिसंबर 2017 तक प्रकाशित करने का आदेश दिया गया था। 31 दिसंबर 2017 को बहु-प्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का पहला ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया। कानूनी तौर पर भारत के नागरिक के रूप में पहचान प्राप्त करने हेतु असम में लगभग 3.29 करोड आवेदन प्रस्तुत किये गए थे, जिनमें से कुल 1.9 करोड़ लोगों के नाम को ही इसमें शामिल किया गया है।असम में नागरिक पंजी को आखिरी बार 1951 में अद्यतन किया गया था। उस समय असम में कुल 80 लाख नागरिकों के नाम प्ंजीकृत किए गये थे।

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