रेलवे की तीसरी तिमाही यात्री किराया कमाई 400 करोड़ रुपये घटी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 27 जनवरी 2020

रेलवे की तीसरी तिमाही यात्री किराया कमाई 400 करोड़ रुपये घटी

railway-fare-income-reduce-400-crore
नयी दिल्ली, 27 जनवरी, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर- दिसंबर 2019) में रेलवे की यात्री किराये से कमाई इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 400 करोड़ रुपये कम हो गई जबकि माल भाड़े से आय करीब 2,800 करोड़ रुपये बढ़ गई है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गये सवाल से यह जानकारी मिली है।  इससे पहले दूसरी तिमाही में भारतीय रेल की यात्री किराये से आमदनी पहली तिमाही की तुलना में 155 करोड़ रुपये घटी थी।  मध्य प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़ की ओर से दाखिल आरटीआई के जवाब में कहा गया कि रेलवे को 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में यात्री किराये से 13,398.92 करोड़ रुपये की आय हुई थी, जो कि दूसरी तिमाही (जुलाई -सितंबर) में घटकर 13,243.81 करोड़ रुपये रह गई। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में यात्री किराये से कमाई और गिरकर 12844.37 करोड़ रुपये रह गई। हालांकि, माल भाड़े से आय में तीसरी तिमाही में मजबूत सुधार देखा गया है। पहली तिमाही में भारतीय रेल ने माल भाड़े से 29,066.92 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था। वहीं, दूसरी तिमाही में आय कम होकर 25,165.13 करोड़ रुपये रह गई। लेकिन तीसरी तिमाही में माल भाड़े से आमदनी में मजबूत सुधार दर्ज किया गया है और यह बढ़कर 28,032.80 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।  उल्लेखनीय है कि रेलवे ने माल भाड़े में सुस्ती को दूर करने के लिये कई नई पहल की हैं। माल परिवहन पर हाल ही में उसने ‘‘व्यस्त मौसम’’ अधिभार को हटा दिया। इसके साथ ही वातानुकूलित चेयर कार और एक्जीक्यूटिव श्रेणी की सीट वाली ट्रेनों में 25 प्रतिशत तक छूट देने की शुरुआत की। रेलवे ने 30 साल पुराने डीजल इंजनों को हटाने की भी शुरुआत की। इससे ईंधन खर्च में कमी आई, गैर- किराया राजस्व और भूमि के मौद्रीकरण की दिशा में भी कदम उठाये गये।

कोई टिप्पणी नहीं: