बिहार विशेष : सवर्ण सदन’ में फारवर्ड के एकाधिकार को यादवों ने दी चुनौती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 9 फ़रवरी 2020

बिहार विशेष : सवर्ण सदन’ में फारवर्ड के एकाधिकार को यादवों ने दी चुनौती

2014 के स्नातक व शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में चार ही जातियों के थे प्रमुख उम्मीदवार
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बिहार विधान परिषद। उच्च सदन। इसे आप राजनीतिक भाषा में ‘सवर्ण सदन’ भी कह सकते हैं। 1990 के पहले विधान परिषद की सभी पांच श्रेणियों में 70-80 फीसदी सदस्य सवर्ण ही होते थे। सोशलस्टि नामधारी पार्टियों के कुछ सदस्य जरूर गैरसवर्ण होते थे, लेकिन वह भी विधान सभा के कोटे वाली सीटों पर। इंद्र कुमार जैसे कुछ गैरसवर्ण लोग जरूर लोकल बॉडी से भी चुन लिये जाते थे। बिहार विधान परिषद के सामाजिक स्वरूप में व्यापक बदलाव 1990 में लालू यादव के सत्ता में आने के बाद आया। यह बदलाव सभी श्रेणी के सदस्यों के निर्वाचन में दिखा। बदलाव की धारा अभी भी जारी है। आगामी मार्च और अप्रैल महीने में विधान सभा कोटे से 9 सदस्यों का चुनाव होगा। इसके अलावा शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से 4-4 सदस्यों को चुनाव होना है। विधान सभा कोटे की सीट ‘अनुकंपा’ की सीट होती है। ऐसी सीटों को पार्टी के नेता बांटते भी हैं और बेचते भी हैं। वोट के बदले पैसा लेने का आरोप भी विधायकों पर लगता रहा है। विधान परिषद की स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की सीटों को टफ माना जाता है। मार्च या अप्रैल महीने में पटना, तिरहूत, दरभंगा और कोसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के साथ पटना, तिरहूत, दरभंगा और सारण शिक्षण निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुनाव होगा। इन आठ सीटों के लिए निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा इसी महीने में होने की संभावना है।

स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के सामाजिक स्वरूप को देखें तो इसमें अधिकतर सदस्य सवर्ण जातियों के ही निर्वाचित होते रहे हैं। 1990 के पहले इन दो श्रेणी की सीटों पर राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ सदस्य ही निर्वाचित होते रहे थे। 1990 के बाद कायस्थों की जगह यादवों ने ले ली। यादवों ने कई सीटों पर राजपूत, भूमिहार और ब्राहमणों को रिप्लेस करना शुरू किया। स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार अतिपिछड़ी जाति के आजाद गांधी पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुने गये थे। ‘वीरेंद्र यादव इंस्टीट्यूट ऑफ कास्ट स्टडी’ के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित होने वाले अतिपिछड़ी जाति के एकमात्र सदस्य आजाद गांधी रहे हैं। राजनीतिक गलियारे में माना जाता है कि वह एक परिवार वि‍शेष के संरक्षित सदस्य थे। अभी स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के सभी क्षेत्रों में चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है। 2014 में इन सभी आठ सीटों पर प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार यादव, राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहार जाति के ही थे। पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में राजद के उम्मीदवार अतिपिछड़ी जाति के थे। चुनाव की हार-जीत को इन्हीं जातियों के निर्दलीय उम्मीदवार प्रभावित करते हैं।

2014 में प्रमुख पार्टियों की उम्मीदवार की सूची

तिरहूत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र
1. देवेश चंद्र ठाकुर --- निर्दलीय
2. भूषण कुमार झा --- जदयू
3. रामकुमार सिंह --- भाजपा
4. प्रणव कुमार --- राजद

तिरहूत शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र
1. संजय कुमार सिंह ---सीपीआई
2. नरेंद्र प्रसाद सिंह --- भाजपा
3. धनंजय कुमार सिंह --- राजद

दरभंगा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र
1. मदन मोहन झा --- कांग्रेस
2. परशुराम यादव --- जदयू
3. सुरेश राय --- भाजपा

दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र
1. दिलीप चौधरी --- कांग्रेस
2. ब्रह्मदेव सिंह --- भाजपा
3. विनोद चौधरी --- जदयू

पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र
1. नीरज कुमार --- जदयू
2. आजाद गांधी --- राजद
3. वैंकेटेश शर्मा --- भाजपा

पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र
1. नवल किशोर यादव--- भाजपा
2. रामविनेश्वर सिंह --- राजद
3. अर्जुन प्रसाद --- जदयू

कोसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र
1. एनके यादव --- भाजपा
2. संजय चौहान --- जयदू
3. विष्णुदेव यादव --- राजद

सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र
1. केदार पांडेय --- सीपीआई
2. चंद्रमा सिंह --- भाजपा
3. राजाजी राजेश --- राजद




---- वीरेंद्र यादव ----

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