पटना , भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बिहार विधानसभा से जाति जनगणना के प्रस्ताव पारित होने दिखावा बताया है. कहा कि जब 2011 के सेंसस के समय ही जाति जनगणना कराई गई थी, तब उसकी रिपोर्ट आज तक प्रकाशित क्यों नहीं हुई, नीतीश जी पहले इसका जवाब दें. आज जब केंद्र से लेकर बिहार तक इन्हीं लोगों का शासन है तो जाति जनगणना की रिपोर्ट प्रकशित करने में इन्हें क्यों परेशानी हो रही है? बिहार के दलितों-अतिपिछड़ों-पिछड़ों के लंबे समय से जाति जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित करने और उसे लागू करने की मांग रही है, लेकिन भाजपा-जदयू ने उसे अनसुना ही किया है. इसलिए विधानसभा से जाति जनगणना करवाने का प्रस्ताव पारित करके नीतीश जी जनता की आंखों में धूल नहीं झोक सकते. यदि ये रिपोर्ट प्रकाशित होती है तो स्पष्ट हो जाएगा कि दलित-पिछड़ों का बड़ा हिस्सा कैसे अधिकारहीनता के दौर से गुजर रहा है. उनके अधिकारों पर लगातार हमला हो रहा है. इन्हीं जाति-समुदायों से भूमिहीनों का बड़ा हिस्सा आता है, जिनके पास आवास तक नहीं है. इन लोगों को आवास प्रदान करने की बजाए नीतीश कुमार जनता के आंदोलनों को बकवास करार देते हैं. जाति जनगणना की रिपोर्ट को दबाकर भाजपा-जदयू के लोग दलित-गरीब-पिछड़ों को लगातार अधिकारों से वंचित कर रहे हैं. इसलिए भाकपा-माले मांग करती है कि जाति जनगणना की रिपोर्ट अविलंब प्रकाशित की जाए.
शनिवार, 29 फ़रवरी 2020
बिहार : जाति जनगणना पर दिखावे की बजाए रिपोर्ट प्रकाशित करवाएं नीतीश कुमार : माले
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