जॉर्ज फर्नांडीस की उपलब्धियों की याद में स्मारक खोला जाएगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

जॉर्ज फर्नांडीस की उपलब्धियों की याद में स्मारक खोला जाएगा

जॉर्ज फर्नांडीस ने 1967 से 2004 तक एक नहीं बल्कि 9 बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की।16 वर्ष की आयु में बैंगलोर के संत पीटर सेमिनरी में धार्मिक शिक्षा के लिए भेजा गया। 19 वर्ष की आयु में वे सेमिनरी छोड़ भाग गए और मैंगलौर के रोड ट्रांसपोर्ट कंपनी तथा होटल एवं रेस्‍तरां में काम करने लगे। इन्हें संत बनाने की प्रक्रिया शुरू हो
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मेंगलुरु : ईसाई समुदाय के द्वारा दिवंगत केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस की उपलब्धियों की याद में स्मारक बनाये हैं।बेजई गिरजाघर परिसर में रविवार को आमजन के लिए खोल दिया जाएगा। बेजई के पादरी फादर विल्सन विटस डिसूजा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि फर्नांडीज की याद में बेजाई गिरजाघर की पहल के तहत उनके जन्मस्थल में एक समाधि बनायी गयी है। डिसूजा ने कहा कि मेंगलुरु के बेटे फर्नांडीस देश के महान नेताओं में से एक थे। उन्होंने कहा कि फर्नांडीस को लोकतंत्र में दृढ़ विश्वास था और इसके लिए उनके मन में बहुत सम्मान था। उन्होंने देश की प्रगति के लिए अथक कार्य किया। फर्नांडीस नौ बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य चुने गये थे।फर्नांडीज की समाधि उनके धार्मिक रिवाजों के अनुसार उनकी कब्र पर बनायी गयी है। पादरी ने कहा कि यह स्मारक बनाने का मकसद सभी के दिल और दिमाग में फर्नांडीस की याद को अमर बनाना है.इस स्मारक को आमजन के लिए खोले जाने के अवसर पर पूर्व विधायक जेआर लोबो और विधायक वेदव्यास कामत समेत कई नेता एवं गणमान्य हस्तियां मौजूद रहेंगी। फर्नांडीस का जन्म 1930 में बेजई में हुआ था जॉर्ज फर्नांडीस का जन्‍म 3 जून 1930 को मैंगलोर के मैंग्‍लोरिन-कैथोलिक परिवार में हुआ था। वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। परिवार के नजदीकी सदस्‍य इन्‍हें 'गैरी' कहकर बुलाते थे। इन्‍होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मैंगलौर के स्‍कूल से पूरी की। इसके बाद मैंगलौर के संत अलोसियुस कॉलेज से अपनी 12वीं कक्षा पूरी की। घर की पारम्परा के अनुसार उन्हें 16 वर्ष की आयु में बैंगलोर के संत पीटर सेमिनरी में धार्मिक शिक्षा के लिए भेजा गया। 19 वर्ष की आयु में वे सेमिनरी छोड़ भाग गए और मैंगलौर के रोड ट्रांसपोर्ट कंपनी तथा होटल एवं रेस्‍तरां में काम करने लगे। 1949 में जॉर्ज मैंगलोर छोड़ मुम्बई काम की तलाश में आ गए। मुम्बई में इनका जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा रहा। एक समाचारपत्र में प्रूफरीडर की नौकरी मिलने से पहले वे फुटपाथ पर रहा करते थे और चौपाटी स्‍टैंड की बेंच पर सोया करते थे लेकिन रात में ही एक पुलिस वाला आकर उन्‍हें उठा देता था जिसके कारण उन्‍हें जमीन पर सोना पड़ता था। 1950 में वे राममनोहर लोहिया के करीब आए और उनके जीवन से काफी प्रभावित हुए। उसके बाद वे सोशलिस्‍ट ट्रेड यूनियन के आन्दोलन में शामिल हो गए। इस आन्दोलन में उन्‍होंने मजदूरों, कम पैसे में कम्पनियों में काम करने वाले कर्मचारियों तथा होटलों और रेस्तरांओं में काम करने वाले मजदूरों के लिए आवाज उठाई। इसके बाद वे 1950 में श्रमिकों की आवाज बन गए। सन 1961 तथा 1968 में मुम्बई सिविक का चुनाव जीतकर वे मुम्बई महानगरपालिका के सदस्‍य बन गए। इसके साथ ही वे लगातार निचले स्‍तर के मजदूरों एवं कर्मचारियों के लिए आवाज उठाते रहे और राज्‍य में सही तरीकों से कार्य करते रहे। इस तरह के लगातार आन्दोलनों के कारण वे राजनेताओं की नजर में आ गए। 1967 के लोकसभा चुनाव में उन्‍हें संयुक्‍त सोसियलिस्ट पार्टी की ओर से मुम्बई दक्षिण की सीट से टिकट दिया गया जिसमें वे 48.5 फीसदी वोटों से जीते। इसके कारण उनका नाम 'जॉर्ज द जेंटकिलर' रख दिया गया। उनके प्रतिद्वन्द्वी पाटिल को यह हार बर्दाश्त नहीं हुई और उन्‍होंने राजनीति छोड़ दी। 1960 के बाद जॉर्ज मुम्बई में हड़ताल करने वाले लोकप्रिय नेता बने। इसके बाद राजनीति में बहुत बदलाव आया और 1969 में वे संयुक्‍त सोसियालिस्ट पार्टी के महासचिव चुन लिए गए और 1973 में पार्टी के चेयरमैन बने। 1974 में जॉर्ज ने ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन का अध्‍यक्ष बनने के बाद भारत की बहुत बड़ी रेलवे के खिलाफ हड़ताल शुरू की। वे 1947 से तीसरे वेतन आयोग को लागू करने की मांग कर रहे थे और आवासीय भत्‍ता बढ़ाने की भी मांग कर रहे थे। 1977 में, आपातकाल हटा दिए जाने के बाद, फर्नांडीस ने अनुपस्थिति में बिहार में मुजफ्फरपुर सीट जीती और उन्हें इंडस्ट्रीज के केंद्रीय मंत्री नियुक्त किया गया। केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने निवेश के उल्लंघन के कारण, अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों आईबीएम और कोका-कोला को देश छोड़ने का आदेश दिया। वह 1989 से 1990 तक रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कोंकण रेलवे परियोजना के पीछे प्रेरणा शक्ति थी। वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार (1998 -2004) में रक्षा मंत्री थे, जब कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान और भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए एक अनुभवी समाजवादी, फर्नांडीस को बराक मिसाइल घोटाले और तहलका मामले सहित कई विवादों से डर लगा था। जॉर्ज फर्नांडीस ने 1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव जीते। वाजपेयी सरकार के दौरान जॉर्ज फर्नांडीस देश के रक्षामंत्री थे। जॉर्ज फर्नांडीस सत्ता में रहे या विपक्ष में, हमेशा बेझिझक अपनी बात कहते रहे। पूर्व ट्रेड यूनियन नेता, राजनेता, पत्रकार, कृषिविद फर्नांडीस जनता दल के प्रमुख सदस्य भी थे। उन्होंने ही समता पार्टी की स्थापना की थी। अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने रेलवे, उद्योग, रक्षा, संचार जैसे अहम मंत्रालय संभाले। जॉर्ज फर्नांडीस ने 1967 से 2004 तक एक नहीं बल्कि 9 बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। 

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